हम सभी के लिए आज गर्व का दिवस है क्योंकि आज हिन्दी दिवस है। हिन्दी दिलों को जोड़ने और आत्मीय भावों का निरन्तर संचार करने वाली भाषा है जिसकी अहमियत हर आम और खास भारतवासी को समझने की जरूरत है। हिन्दी हमारे रग-रग और जन मन में रची-बसी भाषा है जिसका अब तक इतना उन्नयन […]
महीना: सितम्बर 2014
मनमोहन कुमार आर्य 10 मई सन् 1971 को विज्ञान परिषद्, प्रयाग के प्रांगण में स्वामी ब्रह्मानन्द दण्डी जी से आपने संन्यास की दीक्षा ली। आर्य जगत के लब्ध प्रतिष्ठित शोध विद्वान व हमारे प्रेरणास्रोत प्रा. राजेन्द्र जिज्ञासु सपरिवार इस संन्यास-संस्कार में सम्मिलित हुए थे। इस घटना के विषय में प्रा. जिज्ञासुजी ने लिखा है कि […]
गांधी परिवार से अलग तबीयत के थे फिरोज
फिरोज गांधी धर्मनिरपेक्ष, राष्ट्रवादी और प्रगतिशील होने के साथ ही सुलझे व्यक्तित्व के धनी थे और उन्हें बीमा व्यापार के राष्ट्रीयकरण के पैरोकार के तौर पर हमेशा याद किया जायेगा। फिरोज गांधी: ए पालिटिकल बायोग्राफी के लेखक शशि भूषण ने बताया कि फिरोज गांधी को इंदिरा के पति और नेहरू के दामाद के रूप में […]
आम तौर पर हर इंसान के साथ यही होता है। कभी वह प्रसन्न रहता है, कभी खिन्न। प्रसन्नता और खिन्नता वह ऎसे अहम कारक हैं जिन्हें आने और जाने के लिए न समय की जरूरत होती है, न किसी और की। चंचल मन की सदा-सर्वदा परिवर्तित होती रहने वाली स्थिति को पाश्चात्यों की परिभाषा में […]
स्वामी त्रिदण्डी जी महाराज अखिल भारत हिंदू महासभा के मार्गदर्शक मंडल के महासचिव हैं। उनका भारत के धर्म, संस्कृति और महासभा की नीतियों के विषय में चिंतन बहुत स्पष्ट है। उनके साथ हमारी चलभाष पर बातचीत हुई तो उन्होंने कहा कि यह बड़े दुख की बात है कि इस देश में हिंदू को आज भी […]
ऋषिजीवन की एकघटना: महर्षि दयानंद सरस्वती के जीवन की एक घटना है। महर्षि हरिद्वार के कुम्भ मेले में एक स्थान पर टिके हुए थे। उनके पास कुछ लोग बैठे थे, जिनमें से दो चार मुसलमान भी थे। उन लोगों का परस्पर वार्तालाप हो रहा था। तब एक मुसलमान ने किसी हिंदू से कहा कि तुम […]
हिन्दी को लेकर उठते सवाल
हिन्दी दिवस एक बार आकर फिर दहलीज़ पर खड़ा है । सितम्बर की चौदह तारीख़ इसके आने के लिये सरकारी तौर पर निर्धारित है । इस कारण इसे आना ही पड़ेगा । सरकारी आदेश है । हुकुम अदूली कैसे की जा सकती है ? सरकारी दफ़्तरों में महीना भर मिसल गतिशील हो जाती है । […]
छत्तीसगढ़ का अपना एक गौरवपूर्ण इतिहास है। प्राचीन काल में इसे ‘दक्षिण कोशल’ के नाम से जाना जाता था। यहां छठी शताब्दी से 12वीं शताब्दी तक सरयूपरिया, पांडुवंशी, सोमवंशी कलचुरि तथा नामवंशी शासकों का शासन रहा। चालुक्य शासक अनमदेव ने वर्ष 1320 ई. में बस्तर में अपने राजवंश की स्थापना की थी। 16वीं शताब्दी में […]
पूज्य पिताश्री महाशय राजेन्द्र सिंह आर्य जी की पुण्यतिथि: 13 सितंबर पर विशेष पिता एक अहसास है-पिता हमारी बुलंदियों की नींव रखता है-‘‘अपने सपनों में, और उसे साक्षात करता है-अपने संघर्ष से, अपने पुरूषार्थ से, अपने उद्यम से, अपने त्याग से और अपनी तपस्या से। हम जब-जब अपने जीवन पथ पर कहीं बुलंदियों को छूते […]
कुम्भलगढ़, उदयपुर, राजस्थान। चीन की दीवार का नाम विश्व में सभी जानते हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि भारत में भी एक ऐसी दीवार है जो सीधे तौर पर चीन की दीवार को टक्कर देती है। जिसे भेदने की कोशिश अकबर ने भी की लेकिन भेद न सका। जिसकी दीवार की मोटाई इतनी है […]