महोदयनवभारत टाइम्स समाचार पत्र 11/9/14 में छपे लेख :”किस पर चलेगा लव जिहाद का डंडा” लेखिका फौजिया रियाज जिस समाज से आती है उसमे महिलाओं की कितनी दुर्दशा होती है उससे तो वो भलीभाति परिचित ही होंगी।आज आनर किलिंग के नाम पर हत्याऐ ,प्रेम विवाह में किरकरी, लडकी का कोई स्वतंत्र अस्तित्व नहीं , महिलाओं […]
महीना: सितम्बर 2014
श्री निवास एडवोकेट केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री राधा मोहन सिंह का कहना है कि गाय हमारी सांस्कृतिक धरोहर है, भारत जैसे कृषि प्रधानदेश में गौमाता का महत्व प्राचीन काल से ही रहा है। क्योंकि गाय हमारी अर्थव्यवस्था का आधार रही है। श्री सिंह ने अखिल भारत हिंदू महासभा के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष पं. बाबा नंदकिशोर […]
जगत में ऐसा कोई नहीं जिसे शांति पसंद नहीं हो। प्रत्येक सजीव खुबसूरत जिंदगी को शांति से व्यतीत करने की चाहत रखता है लेकिन हकीकत यही है कि इस आधुनिक दुनिया में हर कोई बेचैन और अशांत है और शांति की जुगत करता रहता है जिसके लिए मानव जीवन का अपना अधिकांश समय न्यौछावर कर […]
राय वही है जो वक्त जरूरत अत्यन्त आवश्यक समझकर दी जाए और मार्गदर्शन करते हुए सकारात्मक परिवर्तन का सशक्त माध्यम बने। असल में यही ज्ञान का सदुपयोग है। आमतौर पर बिना मांगे जो दी जाती है वह राय न होकर बकवास ही है और इसका कोई उपयोग नहीं है। यही कारण है कि सदियों से […]
पूर्वजन्म के संस्कारों का इंसान पर खूब प्रभाव रहता ही है। चित्त के संस्कारों में से काफी कुछ संस्कार अपने पिछले जन्मों से जुड़े हुए होते हैं और इनका प्रभाव अपने वर्तमान जन्म पर भी पड़ता है। कुछ लोगों का स्वभाव, व्यवहार और सोच आदि पूर्वजन्मों से न्यूनाधिक रूप से मेल खाती है चाहे वे […]
गोडसे ने गांधी को क्यों मारा-3
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चीन के राष्ट्रपति का भारत में आगमन
पहली ख़बर – सत्रह सितम्बर को चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग भारत में आ गये । दूसरी ख़बर- उससे एक दो दिन पहले चीन की सेना के सैनिक लद्दाख में भारतीय सीमा में घुस आये । तीसरी ख़बर- सत्रह सितम्बर को ही अपने देश की आज़ादी के संघर्ष में लगे हुये तिब्बतियों ने दिल्ली में […]
हममें से हर कोई ऎसा है जो जीवन की ढेरों राहों पर चलते हुए किसी न किसी इंसान के बारे में ऎसा सोचता ही है कि कितना अच्छा होता यदि ये लोग नहीं होते। आम तौर पर इंसानियत का व्यवहार करने वाले, लोगों की भलाई और सेवा-परोपकार करने वाले लोगों के बारे में कोई ऎसा […]
सरकार व्यक्ति और व्यवस्था
किसी संस्कृत के कवि ने कितना सुंदर कहा है :- यन्मनसा ध्यायति तद्वाचा वदति,यद्वाचा वदति तत्कर्मणा करोति,यद्कर्मणा करोति तदभि सम्पद्यते। अर्थात मनुष्य जैसा विचारता है-ध्यान करता है, वैसा ही बोलता है, जैसा बोलता है-वैसा ही कर्म करता है और जैसा कर्म करता है वैसा फलोपभोग करता है।इसका अभिप्राय है कि संसार के सारे व्यवहार-व्यापार का […]
गतांक से आगे….. काला कानून क्रमांक-९ १९५४ में भारत सरकार ने धारा ३७० के आधार पर भारत के संविधान की धारा ३५ए जोड़ दी, जिसके अनुसार जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान से आए हुए शरणार्थियों को मूल अधिकारों से वंचित रखा। काला कानून क्रमांक-१० धारा ७(२) जो लोग १९४७ में जम्मू कश्मीर से पाकिस्तान चले गये, […]