‘धर्म बदल लो, टैक्स दो या फिर जान गंवाओ’ अब कहाँ गए वो गाजा के समर्थक लोग जो हल्ला कर रहे थे ,,, इराक में आतंकियों ने अपने कब्जे वाले हिस्से में रहे गैर-इस्लामी लोगों से कहा है कि या तो वे धर्म बदल लें या फिर उन्हें धार्मिक टैक्स दें या फिर जान […]
Month: July 2014
कोई रूप नहीं बदलेगा सत्ता के सिंहासन का कोई अर्थ नहीं निकलेगा बार-बार निर्वाचन का ! एक बड़ा ख़ूनी परिवर्तन होना बहुत जरुरी है अब तो भूखे पेटों का बागी होना मजबूरी है !! जागो कलम पुरोधा जागो मौसम का मजमून लिखो चम्बल की बागी बंदूकों को ही अब कानून लिखो ! हर मजहब के […]
राजर्षि धर्मवीर ठाकुर जयपाल सिंह नयाल आज भारत जैसे निर्धन एवं पिछड़े हुए देश में, चिंता नही मूक पशुओं की चिकित्सा के विषय में बात होगी। किंतु विचार करके देखें तो बात ऐसे मनुष्यों का स्वास्थ्य निर्भर करता है। कुछ तो ऐसे हैं, जो पशुओं के स्वास्थ्य को उपेक्षा की दृष्टिसे देखते हैं, परंतु अधिकांश […]
गतांक से आगे…… आचार्य भद्रसेन महाराज कृष्ण गीता में कहा है- इंद्रियाणि प्रमाथीनि हरन्ति प्रसभं मन:। हे अर्जुन! इंद्रियां बड़ी बलवान हैं। ये जबरदस्ती मन को अपनी ओर खींच लेती हैं। अत: इंद्रियों के बलवान होने के साथ साथ उनका सन्मार्गगामी होना भी परमआवश्यक है। यह तभी होगा, जब उनके अंदर से राग द्वेष आदि […]
सुरेश चंद नागर हम में से अधिकांश लोग यह जानते हैं कि तंबाकू का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। लेकिन फिर भी अधिकतर इसके प्रति उदासीन हैं। इसका मुख्य कारण सही जानकारी का अभाव और तंबाकू के दुष्प्रभावों का असर धीरे-धीरे होना है। यदि ये कहा जाए कि तंबाकू एक हल्का जहर है तो […]
गतांक से आगे….. वेद में नदी के नाम से नदी, किरणें, वाणी और इंद्रियों का वर्णन आता है, परंतु यह स्मरण रखना चाहिाए कि किसी भी मंत्र में नदियों का वर्णन संख्या के साथ नही किया गया। इसका कारण है और वह अत्यंत सत्य नींव पर स्थित है। कल्पना करो कि आपने कहा कि यहां […]
हिंदी शासकीय संज्ञाएं
(एक) आज का, उद्देश्य।आज का, उद्देश्य है, यह दिखाना कि, हिंदी में संस्कृत द्वारा कितनी सारी संज्ञाएँ रची जा सकती है। यह प्रत्यक्ष उदाहरणों से दिखाना; चाहता हूँ; किसी और के कथन या उद्धरण से नहीं। जब पाठक इन शब्दों को अंग्रेज़ी के शब्दों के आमने सामने देख कर तुलना करेगा, तो स्वयं ही निर्णय […]
गतांक से आगे….. समस्या कश्मीर नही पाकिस्तान है : भारत यदि पाकिस्तान को खण्ड-खण्ड करके उसे समाप्त नही करेगा तो कश्मीर समस्या कभी भी हल नही होगी। समस्या कश्मीर नही, पाकिस्तान है। ऐसा नही होने पर पाकिस्तान भारत को खण्ड-खण्ड करता रहेगा। अत: अखण्ड भारत का निर्माण करना, पाकिस्तान का विघटन करना तथा जम्मू कश्मीर […]
बिखरे मोती भाग-58
क्षमावान का भी कोई, बैरी पनप न पाय गतांक से आगे….जो राजा डरपोक हो,और संन्यासी बनै कांप।इनको भूमि निगलती,ज्यों चूहे को निगलै सांप।। 653 ।। ‘संन्यासी बनै कांप’ से अभिप्राय है-जो ज्ञानवान संत हैं, किंतु नदी के रेत की तरह एक ही स्थान पर पड़े हैं। दुष्टों की पूजा नही,बोलै न वचन कठोर।।संतों का आदर […]
‘ग्लोबल-विलेज’ की दोषपूर्ण अवधारणा
आजकल संपूर्ण विश्व को एक ग्राम (ग्लोबल बिलेज) कहने का प्रचलन बड़ी तेजी से बढ़ा है। विश्व में इस समय बाजारीकरण का वर्चस्व है और एक देश का उत्पाद दूसरे देश में बड़ी सहजता से उपलब्ध हो जाता है। थोड़ी सी देर में आज आप हवाई यात्राओं से विश्व के किसी भी कोने में पहुंच […]