अत्यन्त प्राचीन काल से भारत में मीठे नीम का उपयोग किया जा रहा है | कई टीकाकारों ने इसे पर्वत निम्ब तथा गिरिनिम्ब आदि नाम दिए हैं | इसके गीले और सूखे पत्तों को घी या तेल में तल कर कढ़ी या साग आदि में छौंक लगाने से ये अति स्वादिष्ट,सुगन्धित हो जाते हैं | […]
Month: July 2014
1979-80 में भगलपुर जेल में कैदियों की आंख में तेजाब डाल कर अंधा करने का आंखफोड़वा प्रकरण हुआ। जेल की चाहरदिवारी की यह कू्रर घटना मीडिया माध्यम से समाज तक पहुंची। देश में किसी महिला पर तेजाब फेंकने का पहला मामला 1982 में आया। तकनीक के युग में मीडिया मजबूत हुआ तो दूर दराज की […]
आज का चिंतन
(29 जुलाई 2014 के लिए) समय मिलता नहीं, चुराना सीखें आम तौर पर यह जुमला मशहूर है कि समय नहीं मिलता। किसी काम वाले से पूछें या महान से महान निकम्मे से, सारे के सारे एक वाक्य तकरीबन रोजाना और कितनी ही बार कहते रहे हैं कि समय नहीं मिलता, क्या करें। आदमी को अपने […]
रामकिशोर पंवार ”रोंढावाला” आदिकाल से लेकर अंत तक भारत एवं भारतीय संस्कृति में नदी -नारी दोनो को ही जीवन दयानी के रूप के रूप मूें पूजा जाता रहेगा। जहां एक ओर नारी जन्म देती है तो वही दुसरी ओर नदी मोक्ष प्रदान करती है। एक सच तो यह भी है कि प्राचिन इतिहास की अनेक […]
डॉ0 वेद प्रताप वैदिक अभी महाराष्ट्र सदन के कर्मचारी अर्शद जुवैर का मामला ठंडा भी नहीं हुआ था कि सानिया मिर्जा का मामला गर्मा गया। सानिया को तेलंगाना प्रांत की सरकार ने अपना ‘ब्रांड एम्बेसेडर’ (नामी राजदूत) घोषित किया और मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव ने उसे एक करोड़ रु. का चेक दे दिया। इसी पर बवाल […]
जजों की नियुक्ति में सरकारी दखल
डॉ0 वेद प्रताप वैदिक न्यायपालिका में उच्चतम स्तर पर भ्रष्टाचार का एक नया मामला उजागर हुआ है। मद्रास उच्च न्यायालय के एक भ्रष्ट एडिशनल जज को स्थायी जज का दर्जा कैसे मिल गया, यह सवाल मार्कंडेय काटजू ने पूछा है। काटजू उस समय मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे। रमेशचंद्र लाहोटी सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य […]
रोजे़दार अर्शद के मुंह में रोटी
डॉ0 वेद प्रताप वैदिक दिल्ली के महाराष्ट्र सदन में काम कर रहे एक कर्मचारी के साथ शिव सेना के सांसदों ने जिस तरह का बर्ताव किया है, वह निंदनीय है। उस कर्मचारी का नाम अर्शद जुबैर है। अर्शद जुबैर के मुंह में जबर्दस्ती रोटी ठूंसकर वह सांसद क्या बताना चाहता था? सांसद राजन विचरे को […]
नौकरी की मजबूरी
डॉ0 वेद प्रताप वैदिक न्यायमूर्ति मार्कन्डेय काटजू के रहस्योद्घाटन से किसकी प्रतिष्ठा पर आंच आई हैं? क्या कांग्रेस पार्टी की? क्या सरकार की? क्या तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश की, जिन्हें एक भ्रष्ट न्यायाधीश को सर्वोच्च न्यायालय में नियुक्त करने की सिफारिश करनी पड़ी थी? सच्चाई तो यह है कि हमारी राजनीति के हमाम में सब नंगे […]
जहां एक ओर दौड़-भाग भरी जिंदगी और तमाम इच्छाओं की त्वरित पूर्ति के लिए दिन-रात खपती युवा पीढ़ी के लिए साहित्य, समाज, देश और राजनीति के विषय में सोचना, लिखना, पढ़ना जैसे दूर की कौड़ी हो गया है। वहीं ग्वालियर-चंबल की धरती पर जन्मे लोकेन्द्र सिंह राष्ट्र प्रेम की लौ अपने हृदय में शैशवकाल से […]
पुण्य प्रसून वाजपेयी इस बार ७ रेसकोर्स में ईद-मिलन होगा या नहीं। यह सवाल मुश्किल होना नहीं चाहिये, लेकिन रमजान के दौर में लुटियन्स की दिल्ली जिस तरह इफ्तार पार्टियों से महरुम रही और इसी दौर में सत्ताधारियों का विचार हिन्दुस्तान हिन्दुओं का है, का सवाल हवा में उछलने लगा उससे यह सवाल तो खड़ा […]