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प्रमुख समाचार/संपादकीय

इराक में इस्लाम कहाँ है?

ब्रजकिशोर सिंह मित्रों,जहाँ तक मैं जानता हूँ कि इस्लाम का अर्थ शांति होता है लेकिन विडंबना यह है कि जहाँ-जहाँ भी इस्लाम है वहाँ-वहाँ ही शांति नहीं है। पूरी दुनिया में मुसलमान दूसरे धर्मवालों से तो संघर्ष कर ही रहे हैं जहाँ जिस देश में सिर्फ मुसलमान ही हैं वहाँ आपस में ही लड़ रहे […]

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प्रमुख समाचार/संपादकीय

मुख्य न्यायाधीश ने मोदी सरकार की आलोचना की

अवधेश कुमार उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढ़ा ने जजों की नियुक्ति में सीनियर ऐडवोकेट गोपाल सुब्रमण्यम की अनदेखी करने पर सरकार की आलोचना की है। लोढ़ा ने कहा है कि सरकार ने उन्हें जानकारी दिए बिना यह फैसला लिया। मुख्य न्यायाधीश ने इस मामले को न्यायपालिका की आजादी से जोड़ते हुए कहाए श्न्यायपालिका […]

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भारतीय संस्कृति

भारतीय संस्‍कृति को पतन की ओर ले जाता मीडिया

राजेश दूबे १९९५-१९९६ में वैश्वीकरण ने अपने पाव भारत में फैलाना आरम्भ किया इसके साथ ही भेड़ बकरियो की तरह समाचार चैनल बाजार में दिखने लगे क्योकि पुरे विश्व को भारत एक उभरते हुए बाजार के रूप में दिखाई दे रहा था और इस बाजार को आम जनमानस तक पहुँचाने के लिए प्रचार प्रसार की […]

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बिखरे मोती

बिखरे मोती भाग-55

मंजिल पर पहुंचे वही, जिनके चित में चावगतांक से आगे….सन्तमत और लोकमत,कभी न होवें एक।अवसर खोकै समझते,बात कहै था नेक।। 632 ।। कैसी विडम्बना है? वर्तमान जब अतीत बन जाता है तो व्यक्ति की तब समझ में आता है कि मैं तत्क्षण कितना सही अथवा कितना गलत था? ठीक इसी प्रकार यह संसार सत्पुरूषों की […]

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राजनीति

राजनीति का राष्ट्रवादीकरण करना ही उसका हिन्दूकरण करना है:शंकराचार्य

(साप्ताहिक साक्षात्कार) जोधपुर। श्री आदि जगदगुरू शंकराचार्य महासंस्थान सुमेरूपीठ काशी के जगद्गुरू शंकराचार्य अनंत श्री विभूषित स्वामी नरेन्द्रानंद सरस्वती जी महाराज भारतीय धर्म और संस्कृति के मर्मज्ञ शंकराचार्य हैं। वह हिन्दुत्व के निडर प्रस्तोता और एक सफल व्याख्याकार हैं। पिछले दिनों जोधपुर में 8 जून 2014 को अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री […]

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संपादकीय

मोदी जी! मेट्रो सिटी नही ‘मेधा ग्राम’ बसाइए

ग्राम अपने आप में एक ऐसी व्यवस्था है जिसके विषय में इसके पूर्णत: आत्मनिर्भर पूर्णत: आत्मानुशासित और पूर्णत: आत्मनियंत्रित रहने की परिकल्पना को हमारे ऋषि पूर्वजों ने साकार रूप दिया। आज के भौतिकवादी युग में किसी ईकाई या संस्था के पूर्णत: आत्मनिर्भर आत्मानुशासित अथवा आत्मनियंत्रित होने की कल्पना नही की जा सकती। ग्राम्य और शहरी […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

मथुरा नरेश कुलचंद का वो अप्रितम बलिदान

बात सन 986-987 की है। भारत पर उस समय आक्रमण करने की एक श्रंखला को महमूद गजनवी अभी आरंभ कर नही पाया था। तब प्रतीहार वंश भारत में पतनोन्मुख हो चला था, यद्यपि यह वंश भारत के लिए बहुत ही गौरव प्रदान कराने वाला रहा था। ऐसा गौरव जिसे देखकर इतिहासकारों की मान्यता बनी कि […]

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