कौटिल्य ने देश को चलाने के लिए किसी मंत्री की योग्यता की एक व्यवस्थित सूची हमें दी है। उनके अनुसार-‘‘एक मंत्री को देशवासी (विदेशी ना हो) उच्चकुलोत्पन्न (संस्कारित और उच्च शिक्षा प्राप्त) प्रभावशाली, कलानिपुण, दूरदर्शी, विवेकशील, (न्यायप्रिय दूध का दूध और पानी का पानी करने वाला-नीर-क्षीर विवेकशक्ति संपन्न) अच्छी स्मृति वाला, जागरूक, अच्छा वक्ता, (समाज […]
Month: July 2014
१९५२ में भारतीय जनसंघ का गठन करते समय डा० श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने एक वैक्लपिक वैचारिक राजनीति के लिये प्रयास किया था । पंडित नेहरु ने अपने राजनैतिक स्वार्थों के लिये देश विभाजन स्वीकार कर लेने के बाद भी उन्हीं नीतियों को जारी रखने की क़सम खाई हुई थी , जिनके चलते भारत विखंडित हुआ था […]
हिन्दू समाज को सागर मंथन करना होगा
विश्व हिन्दू परिषद की केन्द्रीय प्रबन्ध समिति की बैठक पिछले दिनों हिमाचल प्रदेश में ज्वालामुखी के स्थान पर हुई । हिमाचल प्रदेश में परिषद की यह बैठक लगभग अढाई दशकों बाद हो रही थी । १९९१ में ऐसी ही एक बैठक शिमला में हुई थी । लेकिन इस बार की यह बैठक बदले हुये विश्व […]
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’ हमारी बहन-बेटियों को दहेज उत्पीड़न के सामाजिक अभिशाप से कानूनी तरीके से बचाने और दहेज उत्पीड़कों को कठोर सजा दिलाने के मकसद से संसद द्वारा सम्बंधित कानूनी प्रावधानों में संशोधनों के साथ भारतीय दण्ड संहिता में धारा 498-ए जोड़ी गयी थी। मगर किसी भी इकतरफा कठोर कानून की भांति इस कानून […]
नानी कहना चाही एक कहानी
मित्र हो या भाई, इनका हक कभी नहीं मारना चाहिए। नहीं तो उस ठग जैसा हाल होता है। ‘ नानी कहना चाही एक कहानी।‘किस ठग जैसा, नानी। ‘सब बच्चों ने एक साथ पूछा।नानी कहने लगी कहानी। एक देश में रहते दो ठग थे। दोनों में गहरी दोस्ती थी। कई रईसजादों को ठग चुके थे पर […]
नई दिल्ल्ाी। भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने कहा है कि सुनंदा पुष्कर की मौत में सोनिया गांधी के दामाद राबट्र बाड्रा का हाथ हो सकता है। स्वामी ने कहा कि अगर इस मामले पर सरकार ने जरा सी भी कोताही बरती तो इसके लिये हम अदालत का दरवाजा खटखटायेंगे। आगे स्वामी […]
रूपकुण्ड की मेरी यात्रा
मैं काफी वर्षों से रूपकुंड जाने का इच्छुक था मैंने सोचा की नंदा देवी राज जात यात्रा के दौरान मैं रूपकुंड जाऊँगा पर लगातार दो साल से राज जात यात्रा किसी न किसी कारणवस स्थगित होने के कारण रूपकुंड जाने का प्लान नहीं बन पा रहा था पर इस साल मैंने सोचा की यात्रा हो […]
उखड़े दरबार का प्रलाप
-डा० कुलदीप चन्द अग्निहोत्री भारत की जनता ने लोक सभा के चुनावों में जो जनादेश दिया है उससे बुद्धिजीवियों के उस समुदाय में खलबली मची हुई है जो अब तक इस देश के जनमानस को सबसे बेहतर तरीक़े से समझने का दावा करता रहा है । बुद्धिजीवियों का यह समुदाय कैसे निर्मित हुआ , इस […]
उमेश उपाध्याय“धर्म निरपेक्षता” शब्द ही सही नहीं है। पश्चिमी देशों में चर्च को राज्य और शासन से अलग करने के संदर्भ में “सेकुलरवाद” की सोच आई। मगर उसे “धर्मनिरपेक्ष” कहकर पश्चिम प्रेरित भारतीय बुद्धिजीवियों ने उसका अनर्थ ही कर डाला। जिसकी व्याख्या राजनेताओं ने सिर्फ अल्पसंख्यकों को भरमाने के लिए की है।कॉंग्रेस के वरिष्ठ नेता […]
बार-बार आती है मुझको, मधुर याद बचपन तेरी।गया, ले गया, तू जीवन की सबसे मस्त खुशी मेरी।।चिंता सहित खेलना सजा वो फीका निर्भय स्वच्छंद।कैसे मुल्क जा सकता है, बचपन का अतुलित आनंद।।ऊंच-नीच का ज्ञान नही था, छुआछूत किसने जानी।बनी हुई थी झोंपड़ी और चिंछड़ों में रानी।।रोना और मचल जाना थी, क्या आनंद दिखाते थे।बड़े बड़े […]