विनय कंसलआजकल भारत सहित विश्वभर के सभी विकासशील और विकसित देशों में पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन को संतुलित बनाये रखने तथा ग्रीन हाउसों को अपनाने के लिए मीटिंग व सम्मेलनों का आयोजन करके तो बड़ी लंबी चौड़ी बातें की जा रही हैं, लेकिन आज तक ये मीटिंग और सम्मेलन किसी ठोस नतीजे पर नही पहुंच […]
Month: July 2014
ओ३म् सनातन सत्य स्वरूपाअगम अगोचर अजर अनूपाओ३म् अमर अविनाशी स्वामीघट-घट वासी अंतर्यामी ।। 5 ।।नित्य निरंजन मुनिजन-रंजनओ३म् सदा ही सब दुख भंजनसत्यं शिवं सुंदरं अनुपमओ३म् सच्चिदानंद स्वरूपम ।। 6 ।।ओ३म् अनादि अनंत अपारासकल विश्व को उसने धाराओ३म् सृष्टि का सिरजन हारा,वो ही सच्चा मित्र हमारा ।। 7 ।।ओ३म् पिता है ज्ञान प्रकाशकसदगुण प्रापक दुर्गुण नाशकजनम […]
बारिश की नन्ही बूंदों से, तपती धरती कुछ शांत हुई,जीवों को जीवनदान मिला, चहुं ओर खुशी की बात हुई। सूखे मुरझाये पौधों में, नव प्राणों का संचार हुआ,सूखी माटन्ी भी महक उठी, कण-कण में जीवन वास हुआ। वर्षा की खुशी में नाच उठे, मैढक, मोर, किसान,बादल देख पपीहा बोले, पीहू पीहू की तान। खेतिहार मजदूर […]
गतांक से आगे…..श्री रामेश्वरलाल माहेश्वरी ने बताया कि-आहार से जो पोषक तत्व कम मात्रा में प्राप्त होते हैं, उनकी पूर्ति गौ-अमृत में विद्यमान तत्वों से होकर स्वास्थ्य लाभ होता है। गौ-अमृत से किसी भी प्रकार के कीटाणु नष्ट करने की अपार शक्ति है। इससे कीटाणु से संबंधित सभी बीमारियां नष्ट हो जाती हैं। गौ अमृत […]
आराम या विराम नही-काम होना चाहिए
‘उगता भारत’ के पांचवें वर्ष का पहला अंक पाठकों के हाथों में सौंपते हुए अपार प्रसन्नता हो रही है। आज से ठीकचार वर्ष पूर्व इस समाचार पत्र का ‘जन्म’ हुआ था। तब कारवां में दस बीस लोग सवार थे। आज चार वर्ष का सफर तय करने के बाद इसके कारवां में हजारों पाठकों का आशीर्वाद […]
डॉ.मुखर्जी की विरासत और मोदी सरकार
डा0 कुलदीप चन्द अग्निहोत्री 1952 में भारतीय जनसंघ का गठन करते समय डा0 श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने एक वैक्लपिक वैचारिक राजनीति के लिये प्रयास किया था । पंडित नेहरु ने अपने राजनैतिक स्वार्थों के लिये देश विभाजन स्वीकार कर लेने के बाद भी उन्हीं नीतियों को जारी रखने की क़सम खाई हुई थी , जिनके चलते […]
मनमोहन कुमार आर्य इससे पूर्व कि सृष्टि और आध्यात्मिक विज्ञान की चर्चा की जाये, संक्षेप में यह जानना आवष्यक है कि वेद क्या हैं? वेद एक शब्द है जिसका अर्थ जानना व ज्ञान होता है। संसार में वेद नाम की अन्य कोई पुस्तक नहीं है जिसका कि कोई इतिहास न हो अर्थात् वेद-नामेतर सभी पुस्तकों […]
आज का चिंतन-13/07/2014
सेवा वही जिसमें स्वार्थ न हो – डॉ. दीपक आचार्य9413306077dr.deepakaacharya@gmail.com सेवा हर इंसान को करनी चाहिए, यह उसका प्राथमिक फर्ज है। उदरपूर्ति के लिए जरूरी काम-काज के बाद जो कुछ समय हमें मिलता है, उस पर हमारा कोई अधिकार नहीं है, वह समय समाज का है। यह वह समय होता है जब हमें आत्मकेन्दि्रत स्वभाव को छोड़कर औरों के […]
बिखरे मोती भाग-57
अध्यात्मवाद की वैदिक पद्घति : संध्योपासन-भाग दो गतांक से आगे……आचार्य भद्रसेनमहाराज कृष्ण गीता में कहा है-इंद्रियाणि प्रमाथीनि हरन्ति प्रसभं मन:।हे अर्जुन! इंद्रियां बड़ी बलवान हैं। ये जबरदस्ती मन को अपनी ओर खींच लेती हैं। अत: इंद्रियों के बलवान होने के साथ साथ उनका सन्मार्गगामी होना भी परमआवश्यक है। यह तभी होगा, जब उनके अंदर से […]
राष्ट्र की आस्था बनाम व्यक्ति की आस्था
स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज ने सांईबाबा के लिए पिछले दिनों कह दिया कि सांई हिंदू नही, मुसलमान थे। इसलिए उनकी पूजा उचित नही कही जा सकती। स्वरूपानंद जी महाराज द्वारका पीठ के शंकराचार्य हैं, उनका कहना है कि सांई भगवान का अवतार नही है। स्वरूपानंद जी महाराज ने ये भी कहा है किसांई हिंदू मुस्लिम […]