जब किसी विद्वान ने हिंदी साहित्य के लिए तन, मन और धन के शब्द के समुच्चय को दिया होगा तो सचमुच उसने हिंदी साहित्य की बहुत बड़ी सेवा की थी। ये तीन शब्द भारत की ही नही अपितु विश्व की भी समग्र व्यवस्था को अपने आप में निहित करने वाले सार्थक शब्द हैं। परिवार से […]
महीना: अप्रैल 2014
मुजफ्फर हुसैनगतांक से आगे…….लेकिन उसके लिए कुछ कड़े नियम थे। जब हमारा देश गुलाम था, उस समय अनेक रियासतों में तो कुछ दिन और महीने तय थे, जिनमें पशुओं के वध पर सख्त पाबंदी थी। लेकिन आजादी के बाद इस प्रकार के कानून नही रहे। लोकतंत्र और स्वतंत्रता का लाभ उठाकर भारत में सीमित मांस […]
-जनता के हित के लिए लाया जाने वाला जनहित वाद है। जहां केाई व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह के मौलिक अधिकारों के अतिक्रमण के कारण विधिक क्षति होती है, और वे सामाजिक या आर्थिक अयोग्यता के कारण न्यायालय जाने में असमर्थ हैं। तो कोई भी व्यक्ति अनुच्छेद-32 के तहत सर्वोच्च न्यायालय व अनुच्छेद-226 के तहत […]
हम सब कर रहे हैं आत्महत्या किश्तों-किश्तों में – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com अपने जीवन के महत्त्व से अपरिचित होकर आजकल हम जो कुछ कर रहे हैं वह जीवन न होकर मृत्यु का मार्ग है जिस पर हम सारे के सारे बिना सोचे-समझे आँखें मूँद कर आगे बढ़ते ही चले जा रहे हैं। हमारे […]