मोहपाश में नज़रबंद न रहें दुनिया को जानें-पहचानें – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com यों तो संसार और मुक्ति को एक-दूसरे का विरोधाभासी कहा जाता है लेकिन सत्य यह भी है कि संसार को जाने बिना मुक्ति संभव नहीं है। जहाँ संसार को जान लेने और समझ लेने की यात्रा का अंत होता है वहीं से […]
Month: February 2014
भारत की समस्या क्या है?
भारत की वास्तविक समस्या अशिक्षित समाज नही है जैसा कि कह दिया जाता है। वास्तव में भारत की वास्तविक समस्या शिक्षित समाज है। समस्या का निरूपण क्योंकि यह शिक्षित समाज करता है, इसलिए यह चोरी स्वयं करता है और कानून में दूसरों को फंसाता है। यह है इसकी शिक्षा का चमत्कार। वैसे हमारी व्यवस्था का […]
गतांक से आगे….आगामी धर्मसंसार में फेले हुए समस्त मतमतांतरों की आलोचना करता हुआ, एक विद्वान नामी पुस्तक में कहता है कि आगामी धर्म वैदिक धर्म ही होगा। अब संसार ईमान के दुर्ग से निकलकर बुद्घि और तर्क की ओर चल रहा है। जब तक मजहबी सिद्घांत को तत्वज्ञान पुष्ट न करे, तब तक वह स्थिर […]
आज का चिंतन-08/02/2014
संसार भरा पड़ा है दुःख देने वाले नालायकों से – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com संसार में चित्त और जीवन को प्रभावित करने वाले दो ही कारक मुख्य हैं – सुख और दुःख। सुख प्राप्त होने पर मनुष्य खुश होता है जबकि दुःख प्राप्त हो जाने की स्थिति में वह खिन्न हो उठता है। हर मनुष्य […]
गतांक से आगे…हिंद महासागर में इंडोनेशिया और उसके आसपास के टापुओं से मछलियां और चीन, जापान तथा अन्य पूर्वी एशिया के देशों के खाने में उपयोग होने वाले जलचर इतनी बड़ी संख्या में पकड़े गये हैं कि उनका सफाया हो गया है। इसे दुनिया में डीप फिशिंग क्षेत्र कहा जाता है। विश्व में यह भाग […]
आज का चिंतन-06/02/2014
त्याग और सेवा ही है शाश्वत संबंधों की बुनियाद – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com संबंध दो प्रकार के हैं। एक सम सामयिक और क्षणिक संबंध होते हैं जिनमें आकस्मिक कार्य या स्वार्थ से लोग एक-दूसरे से जुड़ जाया करते हैं और कार्य या स्वार्थ सध जाता है तो संबंध अपने आप समाप्त हो जाते […]
गाय और हमारी कृषि व्यवस्था
राकेश कुमार आर्य महान वैज्ञानिक डा. अलबर्ट आइन्स्टीन ने अपने जीवनकाल में एक बार भारत से अनुरोध किया था कि ‘भारत टै्रक्टर रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक और यंत्रीकृत खेती की पद्घति को न अपनाये क्योंकि इनसे 400 वर्षों की खेती में ही अमेरिका में जमीन की उपजाऊ शक्ति बहुत सीमा तक समाप्त हो चली है।’ आज […]
वीर सावरकर के आदर्श शिवाजी थे
प्रो. देवेन्द्र स्वरूपपहला 30 अगस्त 1911 को लिखा दूसरा 13 नवंबर 1913 को तीसरा 10 सितंबर 1914 को चौथा 2 अक्टूबर 1917 को पांचवा 24 जनवरी 1920 को छठा 31 मार्च 1920 को। क्या उन्होंने कभी सोचा कि सावरकर के बार बार दया की याचिका करने पर भी अंग्रेज शासकाकें ने उनको जेल से रिहा […]
‘आप है अराजकतावादियों की बाप’
राजनीति के लिए अराजकतावाद का शब्द सर्वप्रथम क्रोपटकिन नामक राजनीतिक मनीषी ने दिया। क्रोपटकिन ने इस शब्द को यूं परिभाषित किया-”अराजकवाद जीवन तथा आचरण के उस सिद्घांत और वाद को कहते हैं जिसके अधीन समाज की कल्पना राज्यसंस्था से विरहित रूप में की जाती है। इस समाज में सामंजस्य उत्पन्न करने के लिए किसी कानून […]
बिखरे मोती-भाग 37
अंत:करण में मल भरा, और वासना है प्रधानगतांक से आगे….उस व्यक्ति पर प्रभु की विशेष कृपा है। क्योंकि उपरोक्त ऐसे गुण हैं जो अभ्यास से नही अपितु मनुष्य के जन्म लेते ही उसके स्वभाव में आ जाते हैं। हथौड़ी पाहन तोड़ दे,बेशक होय महान।एक तेज के कारनै,व्यक्ति हो बलवान ।। 518।। भाव यह है कि […]