विनोद बंसलइतिहास इस बात का साक्षी है कि मुगलों के अत्याचारों से हिन्दू समाज को न सिफऱ् बचा कर बल्कि उसके संस्कार, संस्कृति व स्वाभिमान की रक्षा करने में गुरू गोविन्द सिंह जी का योगदान अविस्मरणीय है। वे शायद दुनिया के एक मात्र ऐसे महा पुरुष हैं जिनकी तीन पीढिय़ों ने देश व धर्म की […]
महीना: जनवरी 2014
(1) प्रारंभिक अधिकार-इसके अंतर्गत निम्नलिखित विषय आते हैं-(ए) भारत सरकार तथा एक या अन्य राज्यों के बीच विवाद।(बी) दो या अधिक राज्यों के बीच विवाद।(2) अपीलीय क्षेत्राधिकार-इसमें तीन प्रकार की अपीलें की जा सकती हैं-(ए) संवैधानिक,(बी) दीवानी(सी) फौजदारी से संबंधित(3) परामर्शदात्री अधिकार-उच्चतम न्यायालय राष्ट्रपति को परामर्श दे सकताा है, परंतु इसको मानना या न मानना […]
दिनेश चंद्र त्यागीहिंदू महासभा के अखिल भारत संगठन की स्थापना सन 1915 में हरिद्वार में हुई। उस समय वीर सावरकर और भाई परमानंद दोनों ही अण्डमान की जेल में बंद थे। 1920 में भाई परमानंद को अण्डमान से मुक्ति मिली। कुछ ही समय बाद भाईजी अखिल भारत हिंदू महासभा में जुड़ गये। 1921 में स्वातंत्रयवीर […]
इनकी जानकारी होने पर स्वयं सेल्यूकस ने बुरा माना। किंतु राष्ट्रधर्म के समक्ष सेल्यूकस के बुरा मानने का चाणक्य ने बुरा नही माना। अपने कत्र्तव्य पथ पर यथावत आरूढ़ रहे। गुप्तचरों के पीछे गुप्तचर रखने की अनूठी परंपरा में घुसपैठ का प्रश्न ही नही था। आज प्रधानमंत्री की तो बात ही छोडिय़े पुलिसकर्मी तक के […]
धर्म व्यर्थ है दया बिन, यही शास्त्र का सारजिस प्रकार कुत्ता अपनों को अर्थात कुत्ते को देखकर द्वेष करता है, गुर्राता है, गैरों को देखकर दुम हिलाता है। ठीक इसी प्रकार की प्रवृत्ति दुष्ट की होती है। इस प्रकार के व्यक्ति ईश भजन से दूर किंतु मादक पदार्थों के नशे में चूर रहते हैं, और […]
रोशनी का पैगाम देता है आज का सूरज – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com आज का सूरज सभी धरतीवासियों को नई रोशनी का परिचय देता है। अंधेरों से घिरे जो लोग साल भर सूरज से लुकाछिपी करते रहते हैं वे भी छतों पर किसी न किसी बहाने आकर सूरज को अपनी पावन और शुभ्र जिस्म […]
पागलपन से कम नहीं है दान-पुण्य के नाम पर यह बर्बादी – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com मकर संक्रांति के ये दो-तीन दिन हमारे यहाँ दान-पुण्य और धर्म के नाम पर उन्माद अभिव्यक्ति का वार्षिक पर्व हो चला है। धर्म और दान-पुण्य करें मगर इसके नाम पर आजकल जो हो रहा है वह किसी भी दृष्टि […]
वेद-मत का प्रचार प्रसार करना महर्षि दयानंद जी महाराज का जीवनोद्देश्य था। उनके सत्प्रयासों और कठोर तपस्वी जीवन के परिणाम स्वरूप मिथ्या-पंथों-संप्रदायों एवं मत मतांतरों के मठाधीशों के हृदय की धड़कनें बढ़ गयी थीं। क्योंकि सबको अपने मिथ्यावाद की चूलें हिलती दिख रही थीं। अंग्रेजों के ईसाई पादरी भी महर्षि के शुद्घि अभियान और शास्त्रार्थ […]
(पिछले दिनों 29 दिसंबर को राजस्थान के नागौर जिले के कुचामन सिटी में गौ रक्षा अधिवेशन का आयोजन गौ-पुत्र सेना के तत्वावधान में किया गया। जिसमें लेखक को मुख्य वक्ता के रूप में बोलने के लिए आमंत्रित किया गया। प्रस्तुत लेख उसी अधिवेशन में दिये गये भाषण और चिंतन पर आधारित है, इसका पहला भाग […]
कोई काम थोंपें नहीं स्वेच्छा का ख्याल रखें – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com कर्मयोग और मन-मस्तिष्क का सीधा संबंध मनुष्य की इच्छा से होता है। इच्छा होने पर उसे जो काम सौंपा जाता है अथवा जो काम वह करता है उसमें पूरी निष्ठा लगाता हुआ मन से पूरा करता है और उसकी उत्पादकता एवं […]