आज मौत कितनी सस्ती हो गयी है कि ऐसे कई गिरोह सक्रिय है जो सिर्फ चन्द रुपयो के लिए किसी की भी हत्या कर देते है फिर चाहे जिसकी हत्या करानी है वह कोई भी क्यों न हो वे यह भी नही सोचते कि उस व्यक्ति कि हत्या से कितने बच्चे अनाथ हो जायेंगें उसके […]
महीना: जनवरी 2014
व्योम की तरंगों से संभव है विचारों का सूक्ष्म आदान-प्रदान – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com हममें से कई लोगों का यह अनुभव रहा है कि अक्सर हमें वे लोग संपर्क साधने की कोशिश करते हैं जिनके जेहन में हम आ जाते हैं अथवा जो हमारे जेहन में आ जाते हैं। कई बार यह […]
भारत एक बार फिर अपना गणतंत्र दिवस मना रहा है। 1950 की 26 जनवरी से हम अपना यह पवित्र राष्ट्रीय पर्व मनाते आ रहे हैं। यह वह दिवस है जिसे प्राप्त करने के लिए भारत ने सैकड़ों वर्ष का संघर्ष किया। जब पहला विदेशी आक्रांता यहां आया, उसी दिन से उसे बाहर निकालने की लड़ाई […]
गोदुग्ध को हमारे यहां प्राचीन काल से ही स्वास्थ्य सौंदर्य के दृष्टिकोण से अत्यंत लाभदायक माना गया है। हमारे देश में स्वतंत्रता के वर्षों पश्चात भी गोदुग्ध, छाछ, लस्सी आदि हमारे राष्ट्रीय पेय रहे हैं। सुदूर देहात में आप आज भी जाएंगे तो लोग आपको चाय-कॉफी के स्थान पर दूध आदि ही देंगे। हां, इतना […]
मूरख अदना आदमी, दबे पै ही रस देयश्लाघा हो विद्वान की,आदर करते धनवान।सभा बीच वागीश की,विरल होय पहचान ।। 496।। मुक्ति की इच्छा यदि,त्याग दे सारे ऐब।निर्मल रख इस चित्त को,मतकर कभी फरेब ।। 497।। मीत के राज प्रकट करै,वह नीचों का नीच।दम घुटकै मर जाएगा,सांप ज्यों बांबी बीच ।। 498।। सोना बिन सुगंध के,गन्ना […]
राकेश कुमार आर्यकांग्रेस का कर्णधार (पी.एम. पद का प्रत्याशी) आगामी चुनावों में कौन होगा? इस पर पार्टी मोदी के सामने अपने युवराज को लाने से बचने का बहाना बना रही है। पार्टी का कहना है कि कांग्रेस में पी.एम. पद का प्रत्याशी घोषित करना उसकी परंपरा नही रही है। बात तो सही है, जिस पार्टी […]
गण और गणनायक दोनों स्वीकारें मर्यादाओं की लक्ष्मण रेखाएँ – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com तंत्र का सुव्यवस्थित और दीर्घकालीन संचालन और स्थायित्व बनाए रखने के लिए उससे जुड़े हुए प्रत्येक अंग-उपांग को स्वस्थ और काबिल बनाए रखना पहली शर्त और प्राथमिक अनिवार्यता है। जड़ और जीवन दोनों के लिए अपनी कुछ मर्यादाएं हैं जिनका […]
आज गणतंत्र दिवस है। वह दिन जो गण के नाम समर्पित है। जो गण का अपना, अपने लिए और अपने द्वारा संचालित है। आम गण का अपना ही जब सब कुछ है फिर गण का कोई वजूद कहीं क्यों नहीं दिख रहा है? गण के नाम पर जो कुछ हो रहा है, हुआ है और होने वाला है […]
गतांक से आगे….नौकरों की हालत इस विज्ञापन से ज्ञात हो जाती है और पता लग जाता है कि नौकरों की कितनी खुशामद करनी पड़ती है। इस वर्णन से स्पष्ट हो रहा है कि अब नौकरों के द्वारा विलास की वृद्घि नही की जा सकती। यह तो नौकरों का हाल हुआ। अब जरा कारखानों के बारे […]
हिंसा और मांसाहार के विभिन्न पहलुओं पर विचार कर लेने के पश्चात इस मुद्दे पर चिंतन करने की आवश्यकता है कि आज जो दुनिया के पर्यावरण की स्थिति है, उसके अनुसार मनुष्य शाकाहारी बनकर जीवित रहेगा या फिर उसे मांसाहार अपनाकर अपना जीवन व्यतीत करना होगा? प्रकृति का नियम है कि हर चीज अपनी असलियत […]