(प्रात:काल उठकर मैं नित्य प्रति की भांति अध्ययन कर रहा था तो मैंने वैदिक विद्वान पं. रघुनंदन शर्मा की पुस्तक ‘वैदिक संपत्ति’ को पढ़ना आरंभ किया। इस पुस्तक के संस्करण की भूमिका 13 सितंबर 1931 को लिखी गयी थी। यह महज संयोग ही है कि 13 सितंबर ही पूज्य पिता महाशय राजेन्द्र आर्य जी की […]
Categories