1912 ई. में भारत की राजधानी कोलकाता से दिल्ली लायी गयी। अंग्रेजों ने अभी तक ‘ब्रिटिश भारत’ पर कोलिकाता (कलकत्ता) से ही शासन किया था। पर वह देश के एक कोने में स्थित था, इसलिए अंग्रेजों को प्रशासनिक असुविधा तो थी ही साथ ही पूरे भारत को लूटने का काम भी दिल्ली से ही सरल […]
महीना: दिसम्बर 2013
प्रवीण दुबेजैसी संभावना थी वही सामने आया, चार राज्यों के चुनाव परिणामों में कांग्रेस को जनता ने नकार दिया है। किसी ने ठीक ही कहा है ”बोए पेड़ बबूल के तो आम कहां से होय” कांग्रेस को जब-जब देशवासियों ने मौका दिया, वो जहां-जहां भी सत्ता में रही उसने जनता के साथ झूठ, छल, कपट […]
धरा पर स्वर्ग उतर आए यदि मानवाधिकारों की समझ आ जाए – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com मनुष्य जीवन धर्म, अर्थ, कर्म एवं मोक्ष आदि पुरुषार्थ चतुष्टय का दूसरा नाम ही है। पुरुषार्थ का अभाव होने पर मनुष्य होने का कोई अर्थ ही नहीं। दुनिया में हर प्राणी और वस्तु, जड़-चेतन सभी का अपना मौलिक […]
उत्सवी आनंद के रूप में लें लोकतंत्र के महासमर को – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com जो होना था वह हो चुका है आज सामने आ ही जाएगा। लोकतंत्र के इस महासमर की पूर्णाहुति का निर्णायक दौर आखिर आ पहुँचा है जहाँ हम सभी को हर प्रतिस्पर्धा उत्सवी आनंद के साथ लेने का अभ्यास […]
गतांक से आगे….किसी भी धार्मिक पुस्तक में उन सभी वस्तुओं का वर्णन होता है, जो ईश्वर ने इस दुनिया में बनाई है। ईश्वरीय पुस्तकें समस्त विश्व के लिए हैं, इसलिए उनका भेद देश और काल के आधार पर नही किया जा सकता है। अनेक स्थानों पर शब्दों में उनका वर्णन किया गया है और असंख्य […]
सोशल वेबवाइट FB यानी facebook चलाने वालों मे एक फीसदी लोगों को भी यह पता नहीं होगा कि इसके फाउंडर मार्क जुकरबर्ग नहीं बल्कि अप्रवासी भारतीय दिव्य नरेंद्र है। दिव्य नरेंद्र हिंदुस्तानियों के लिए ज्यादा जाना-पहचाना नाम नहीं है। महज 29 साल के दिव्य नरेंद्र अमरीका में रहने वाले अप्रावासी भारतीय हैं। उनके माता-पिता काफी […]
राष्ट्रीय (तथा कथित) सलाहकार (एनएसी) द्वारा सोनिया गांधी की अध्यक्षता में 2011 में साम्प्रदायिक व लक्ष्यित हिंसा रोधक विधेयक का प्रारूप तैयार किया गया है। इसे अब संसद के आगामी सत्र में प्रस्तुत करने की योजना है। शीर्षक देखकर आम आदमी समझेगा कि इसके द्वारा साम्प्रदायिक हिंसा को रोकने तथा उसके लिए दण्ड दिये जाने […]
डाक्टर इन्द्रा देवीकिसी भी सामाजिक परिवेश से जब हम मानव जीवन की व्याख्या करने बैठते है तो नारी-जीवन की व्याख्या सबसे पहले हो जाती है। भोला मानव मॉ की गोद में ही अपने विवेक की आँखें खोलता है,तत्पश्चात् वह सामाजिक सम्बन्घों से आवश्यकता अनुसार परिचित होने लगता है। सामाजिक जीवन में पूर्णत: प्रविष्ट हो जाने […]
हम क्यों हो गए हैं इतने अधीर और आतुर – डॉ.दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com हम सारे के सारे इन दिनों जबर्दस्त अशांत, उद्विग्न और अधीर हैं। जो लोग समरांगण में हैं उनके लिए ऎसा होना वाजिब है लेकिन जो तमाशबीन हैं या जिन्हें इस रण से कोई सीधा सरोकार नहीं है अथवा परिणामों से रूबरू […]
राजीव रंजन प्रसादतहलका प्रकरण किसी एक व्यक्ति या एक संस्था पर प्रश्नचिन्ह नहीं है। यह गढ़ों और मठों के टूटने की कड़ी में एक और महत्वपूर्ण घटना है। वैचारिक असहिष्णुता और विचारधारात्मक अस्पृश्यता के वातावरण में जब यह घटना घटी तो अनायास ही इसके सम्बन्ध समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र और राजनीतिशास्त्र से जुड़ने लगे। एक आम अपराधी […]