अंग्रेजी के जैंटलमैन को हिंदी के ‘भद्रपुरूष’ (भले आदमी) का समानार्थक मानने की भूल उसी प्रकार की जाती है जिस प्रकार रिलीजन को धर्म का पर्यायवाची मानकर की जाती है। ‘भले आदमी’ को किसी के विषय में इस प्रकार प्रयोग किया जाता है जैसे वह दिमागी रूप से कमजोर हो या किसी प्रकार से भी […]
Month: December 2013
जनता ने लिखी परिवर्तन की इबारत
नरेश भारतीदेश की दिशा में परिवर्तन के संकेत स्पष्ट हैं। राजनीतिक दंगल में उतरने वालों को अब देश की दशा में निर्णायक परिवर्तन लाने के लिए सशक्त जन आह्वान सुनने को मिल रहा है। विधानसभा चुनावों का वर्तमान दौर पूरा हो चुका है और प्राप्त परिणामों का विश्लेषण करते हुए पार्टी नेतृत्व अब अपनी अपनी […]
भगवान के डाकियों को लीलते कीटनाशक
आशीष वशिष्ठबढ़ते कीटनाशको के उपयोग ने पक्षियों के जीवन को बहुत नुकसान पहुंचाया है. किसानों के मित्र समझे जाने वाले पक्षियों की प्रजातियों में दिन-प्रतिदिन भारी कमी होती जा रही है. हालात ये हैं कि कुछ समय से तो कुछेक प्रजातियों के पक्षी नजर ही नहीं आ रहे हैं. विशेष बात तो यह है कि […]
आज का चिंतन-14/12/2013
एक जगह के तनाव दूसरी जगह न ले जाएं – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com यों देखा जाए तो तनाव मन का वहम ही होता है और यह वह वहम है जो आदमी को भीतर से भी खोखला कर देता है और बाहर से भी कमजोर कर देने वाला होता है। तनाव हमेशा घटना सापेक्ष […]
बिखरे मोती-भाग 30
एक पुण्य चलेगा साथ में, सब होवेगा शून्यप्रेमहीन बन्धु जहां,और कुल्टा हो नार।दयाहीन जो धर्म हो,मत करना स्वीकार ।। 444 ।। आयु, मृत्यु, कर्म, धन,और पांचवां ज्ञान।गर्भ में ही सारे मिलें,ऐसा विधि-विधान ।। 445 ।। ेकर्म से अभिप्राय व्यवसाय से है। सत्पुरूषों से ले प्रेरणा,करें शिष्टï व्यवहार।ऐसे कुल संसार में,पाते हैं ख्याति अपार ।। 446 […]
आज का चिंतन-13/12/2013
सबसे बड़े नालायक वे हैं जो औरों को तनाव देते हैं – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com आदमी का जन्म संसार के कल्याण और अपने बंधुओं, क्षेत्रवासियों एवं संपर्कितों के सुख-दुःखों में भागीदारी निभाते हुए व्यष्टि एवं समष्टि का कल्याण करने के लिए हुआ होता है। सामाजिक प्राणी के रूप में इंसान की जो […]
वैदिक संपत्तिउपक्रम : संसार के सभी मनुष्य सुख शांति चाहते हैं और उसको प्राप्त करने के लिए अपनी परिस्थिति के अनुसार कभी भौतिक और कभी आध्यात्मिक साधनों के द्वारा प्रयत्न भी करते हैं। परंतु उनकी सुख शांति का आदर्श वही होता है, जिससे कि वे प्रभावित होते हैं, और उसी प्रकार के ही प्रयत्नों का […]
आज का चिंतन-11/12/2013
गोयरों को न पालें वरना पीपल को भस्म होना ही है – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com हम कितने ही अच्छे क्यों न हों, कितने ही अच्छे काम करने वाले क्यों न हों, जमाना हमारा मूल्यांकन अकेले का नहीं करता है बल्कि उन सभी के साथ करता है जो लोग हमारे इर्द-गिर्द हुआ करते हैं। […]
‘ये न्याय नही निर्णय है’
आरूषि-प्रकरण में न्यायालय ने आरूषि और नौकर हेमराज की हत्या के आरोप में तलवार दंपत्ति को दोषसिद्घ करार देते हुए आजन्म कारावास का दण्ड है। तलवार-दंपत्ति ने न्यायालय के इस निर्णय को चुनौती देने की घोषणा करते हुए कहा है कि वह दिये गये निर्णय से न्याय से वंचित किये गये हैं, इसलिए सक्षम न्यायालय […]
‘लीग ऑफ नेशन्स’ और भारतप्रथम विश्वयुद्घ 1914ई. से 1919 ई. तक चला। तब भारतवर्ष की राजनीतिक सत्ता अंग्रेजों के आधीन थी। विश्वयुद्घ की समाप्ति पर ‘लीग ऑफ नेशन्स’ की स्थापना की गयी। तब पराधीन भारत इस नये वैश्विक संगठन का सदस्य अपने बल पर नही बन सकता था, क्योंकि वह तब ‘राष्ट्र’ नही था। ऐसी […]