भूमि अधिग्रहण बिल केंद्र सरकार ने 5 सितम्बर 2013 में पास कर दिया है. जिस प्रकार खाद्य सुरक्षा बिल के पीछे सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की प्रतिष्ठा जुडी थी उसी प्रकार भूमि अधिग्रहण बिल से राहुल गांधी की प्रतिष्ठा जुडी है. पिछले कुछ समय से वे कुछ किसानों के आन्दोलनों पर […]
महीना: सितम्बर 2013
सफलता का मूलाधार है वाणी माधुर्य – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com अक्षर में जो ताकत है उसका कभी क्षरण नहीं हो सकता। अक्षर ब्रह्म है और इसी से लौकिक एवं पारलौकिक सृष्टि, पालन और संहार का पूरा क्रम निर्धारित है। विचारों और कल्पनाओं से मूत्र्त होते शब्द हों या फिर समाधि में प्राप्त, शब्दों […]
विष्णुगुप्त मुजफ्फ रनगर का दंगा सत्ता प्राप्त करने की घिनौनी राजनीति का दुष्परिणाम है। अगर ऐेसा नहीं होता तो एक महिला के साथ छेड़खानी पर हुई मजहबी हिंसा को पूरी छूट ही क्यों दी गयी? सरकार और प्रशासन द्वारा मजहबी हिंसा पर रोक लगाने की जरूरत क्यों नहीं समझी गयी? मजहबी हिंसा के पीड़ित परिवार […]
सद्गुण और सुख को हरै, जब आवै अभिमाननोट : संसार में विद्या, यश, बल, त्याग ऊंचा कुल, धन, रूप तो क्षणिक हैं। जैसे केंसर की गांठें होती हैं, ठीक इसी प्रकार ये हमारे मानस में सात प्रकार के अहंकार की गांठें हैं। इनका चित्त में निर्माण मत होने दो, क्योंकि इनसे निकलना कोई खाला जी […]
गाय का दूह कर कुत्तों को न पिलायें – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com वर्तमान की सबसे बड़ी समस्या और कुछ नहीं है, यह है अपात्रों के लिए काम करने, मार्गदर्शन देकर उन्हें प्रोत्साहित करने और उनके लिए जी-जान से समर्पित होकर काम करने वालों की संख्या में विस्फोटक इजाफा होना। जो पात्र लोग […]
गतांक से आगे… भारतीय इतिहास को विकृतीकरण से उबारने का आवाहन करते हुए स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि अब यह हमारे लिए है कि (इतिहास की) शोध का हम अपना व्यक्तिगत स्वतंत्र मार्ग अपनावें और वेदों, पुराणों और अन्य प्राचीन ऐतिहासिक गृथों का अध्ययन करें, और जीवन की साधना बना देश का भारत भूमि […]
हिंदी दिवस एक बार पुन: आ गया है। हर वर्ष हम 14 सितंबर को ‘हिंदी दिवस’ के रूप में मनाते हैं। हिंदी हमारी राजभाषा है, लेकिन राष्ट्रभाषा नही बन पायी है। स्वतंत्रता के बीते 66 वर्षों की यह दुखद उपलब्धि है कि हम आज तक हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा नही बना पाए, यद्यपि भारतवर्ष […]
राकेश कुमार आर्य भारत धर्मान्तरण का जहर फेेलता ही जा रहा है। धर्म के नाम पर भारतीय उपहाद्वीप विभाजन की भयानक पीड़ा पूर्व में झेल चुका है। आगे क्या हो सकता है ये सोचकर भी मन सिहर उठता है। परंतु देश का बहुसंख्यक यदि किसी गफलत में सोता रहा तो कुछ भी संभव है, देश […]
आत्मनिर्भरता के लिए जरूरी है परंपरागत हुनर और स्थानीय काम-धंधे – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com हर क्षेत्र में स्थान विशेष की आबोहवा और पारिस्थिकीय तंत्र के अनुरूप परिवेश और लोक जीवन का विकास होता है। यही कारण है कि देश और दुनिया के तमाम क्षेत्रों में अलग-अलग जलवायु, परंपराएं, लोक संस्कृति, रहन-सहन और […]
इस्लाम और ईसाइयत इन दोनों ने भारत में आकर इस देश की संस्कृति को मिटाने का हर संभव प्रयास किया। यदि वह क्रम बीते कल की बात हो गयी तो हम भी इसे ‘गड़े मुर्दे उखाड़ने’ की नीति मान कर छोड़ देते। किंतु दुर्भाग्य से यह क्रम आज भी थमा नही है। जो खबरें समाचार […]