यजुर्वेद में व्रत की बहुत सुन्दर परिभाषा दी गई है- अग्ने-व्रतपते व्रतं चरिष्यामि, तच्छकेयं तन्मे राध्यताम। इदं अहं अनृतात् सत्यम् उपैमि।। यजु. 1/5 अर्थात्, हे अग्निस्वरूप व्रतपते सत्यव्रत पारायण साधक पुरूषों के पालन पोषक परमपिता परमेश्वर! मैं भी व्रत धारण करना चाहता हूँ। आपकी कृपा से मैं अपने उस व्रत का पालन कर सकूँ। मेरा […]
Month: June 2013
हरिद्वार डूब जाएगा
मैंने वर्ष 1998 में अपने मासिक समाचार पत्र (मीडिया शक्ति) में फस्ट पेज पर एक खबर छापी थी ” हरिद्वार डूब जायेगा”. जिसमें मैंने आशंका व्यक्त की थी कि उतराखंड (उस समय उत्तर प्रदेश था ) टिहरी बांध खुद न खास्ता कभी टूट गया तो अगले चोबीस मिनट में ऋषिकेश तीन सो फुट पानी […]
आज का चिंतन-27/06/2013
बच्चों का बचपन निगल रही है आज की शिक्षा डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com शिक्षा का सीधा संबंध होता है व्यक्ति के पूर्ण निर्माण से। शिक्षा का मतलब यही नहीं है कि हम कमाने या धंधा करने लायक बन जाएं और पैसे गिनने तथा जमा करते रहने की मशीन के रूप में काम में आने […]
सरकार के अनुसार गायब लोग लाश मिलने तक मरे नहीं माने जायेंगे। केदारनाथ हादसे में जो हज़ारों लोग अलकनंदा, भागीरथी और गौरी में समा गये और उनकी लाशें भी या तो बहकर कहीं दूर निकल गयीं या फिर मलबे, पत्थरों और झाड़झंकाड़ में सदा के लिये फंसकर इंसान की आंखों से ओझल हो गयीं, […]
जैन जब से विश्व के प्रामाणिक संदर्भ ग्रंथों ने यह स्वीकार किया है कि चीनी भाषा के बाद हिन्दी के मातृभाषियों की संख्या सर्वाधिक है, कुछ ताकतें हिन्दी को उसके अपने ही घर में तोड़ने का कुचक्र एवं षड़यंत्र रच रही हैं। यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि हिन्दी का मतलब केवल खड़ी बोली […]
आज का चिंतन-26/06/2013
भगवान को पसंद हैं श्रद्धा और एकांतसंसार से मुक्त होने चाहिएं तीर्थ डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com भगवान चरम शांति, महा आनंद और शाश्वत आत्मतोष प्रदाता है और उसे वे ही स्थान पसंद होते हैं जहाँ असीम शांति हो, पंच तत्वों से भरपूर उन्मुक्त प्रकृति का आक्षितिज विस्तार हो और सदा बहती रहें श्रद्धा और आस्था की […]
आज का चिंतन (25/06/2013)
नर-नारायण के धाम पर ये कैसा पैशाचिक ताण्डव – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com यह वही दैवभूमि है जहाँ भगवान […]
भगवान भोले नाथ का गुस्सा,प्रतीक रूप में मौत के ताण्डव नृत्य में फूटता है। देवभूमि उत्तराखंड में आई भयंकर प्राकृतिक आपदा को इसी गुस्से के प्रतीक रूप में देखने की जरूरत है। इस भूक्षेत्र के गर्भ में समाई प्राकृतिक संपदा के जिस दोहन से उत्तराखंड विकास की अंग्रिम पांत में आ खड़ा हुआ था,वह […]
सिद्धार्थ मिश्र स्वतंत्र केदारनाथ में घटित अकल्पनीय प्राकृतिक त्रासदी के दंश सदियों तक इतिहास की तिथियों में याद किये जायेंगे। इस हादसे ने लाखों लोगों को अपनी चपेट में ले लिया । जिनमें से हजारों लोग अब तक अपने प्राण गंवा चुके हैं । इतिहास गवाह है कि ऐसे प्राकृतिक तांडव के मूल में […]
हमारी शब्द रचना क्षमता
डॉ. मधुसूदनसूचना:विषय कुछ कठिन है। धीरे धीरे आत्मसात करते हुए पढें। प्रश्न अवश्य पूछें, शंका-समाधान करने का प्रयास अवश्य किया जाएगा। पर त्वरित उत्तर की अपेक्षा ना करने का अनुरोध करता हूँ। (एक)पवित्र ज्योतिःपुंज नियति ने हमारे भरोसे एक पवित्र ज्योतिःपुंज सौंपा है; जो, आध्यात्मिक ज्ञान का अथाह सागर भी है।जिसकी शब्द रचना क्षमता अनुपम ही नहीं […]