– डॉ. दीपक आचार्य9413306077 हमारे आस-पास जो हो रहा है, जो दिख रहा है, सुन रहे हैं और देश-दुनिया में जो हो रहा है। उस पर पैनी निगाह रखने के साथ ही संवेदनशीलता जरूरी है। जो घटनाएं हमारे काल में हो रही हैं उसके लिए हम ही जि मेदार हैं और इनका निवारण व समूल […]
महीना: मई 2013
– डॉ. दीपक आचार्य रेगिस्तानी धरती का पर्याय जैसलमेर भले ही सीमावर्ती होने की वजह से देश के मुख्य भू-भागों से दूर है, मगर यहाँ की सरजमीं सदियों पुरानी रोचक गाथाओं, शौर्य-पराक्रम भरे इतिहास, विलक्षण परम्पराओं, अनूठे कला-संस्कृति व साहित्य के साथ ही ढेरों ख़ासियतों की वजह से खासा आकर्षण जगाती है। इस दिव्य धरा के बारे में वही अनुभव […]
– डॉ. दीपक आचार्य9413306077 जो लोग अपना भविष्य सुनहरा बनाना चाहते हैं उन्हें जीवन निर्माण के बुनियादी सिद्घान्तों और अनिवार्य रूप से पालन करने योग्य आचार-विचारों और व्यवहार को समझना होगा। जीवन निर्माण के लिए धरातल का मजबूत होना जरूरी होता है।हर व्यक्ति में उच्चतम स्तर की जन्मजात मौलिक प्रतिभाएं होती हैं जिनका उपयोग करते […]
– डॉ. दीपक आचार्य9413306077 लोग अपनी हदों, सामर्थ्य और मर्यादाओं को लांघ कर आगे बढ़ने लिए हमेशा उतावले बने रहते हैं। इन लोगों को यही लगता है कि संसार में जो और लोग हैं वे हमसे ज्यादा हुनरमंद या प्रभावी नहीं हैं और ऐसे में समाज तथा संसार में जो कुछ नया करना है, परिवर्तन […]
– डॉ. दीपक आचार्य9413306077आज नारद जयंती पर नारदजी का स्मरण करते हुए हमें हिचक हो रही। हो भी क्यों नहीं? हिचक इसलिए कि हमने कलियुग के जाने कितने-कितने किरदारों को नारदजी का प्रतीक मान लिया है।त्वरित समाचार और संचार सुविधाओं के आदि जनक नारद का पावन स्मरण आज वे सभी लोग कर रहे हैं जो […]
विवाहों के समय हमारे समाज में फिजूलखर्ची बढ़ती ही जा रही है। डी.जे., बैंड, आतिशबाजी, अपेक्षा से अधिक लोगों को आमंत्रित करना आदि की बीमारी अपने अपने सामाजिक रूतबे को दिखाने के लिए वर पक्ष और कन्या पक्ष दोनों ही कर रहे हैं। सचमुच यह बीमारी अपेक्षा से अधिक बढ़ चुकी है। समाज के गंभीर […]
डा. शिवानीपंचमहाभूतों में से जल चतुर्थ महाभूत माना जाता है। जहां जल जीवन के लिए उपयोगी और अनिवार्य है, वही समस्त प्रगति का संवाहक भी है। वैदिक साहित्य का न्यूनतम 50 प्रतिशत भाग जलतत्व का किसी न किसी रूप में उल्लेख करता है। वेद में जितना वर्णन इन्द्र या जल के अधिष्ठाता देवताओं का हुआ […]
भरत में नारी सदा पूज्यनीया और वंदनीया रही है। कुछ लोगों का यह कहना कि भारत में नारी सदा उपेक्षा और तिरस्कार की पात्र रही है-सर्वदा भ्रामक दोषपूर्ण और अतार्किक है। परंतु इसमें दोष ऐसा मिथ्या आरोप लगाने वाले भारतीयों का नही है, क्योंकि उन्होंने अपने आदर्श विदेशी इतिहास लेखकों और विचारकों का उच्छिष्ट भोजन […]
जब भारतीय स्वातन्त्रय समर के इतिहास का प्रक्षालन कोई गंभीर, जिज्ञासु और राष्ट्रप्रेमी पाठक करेगा और उसे भारतीय इतिहास सागर की गहराई से सावरकर नाम का रत्न हाथ लगेगा तो वह निश्चित रूप से प्रसन्न वदन होकर उछल पड़ेगा, उसे चूमेगा और अपने मस्तक को झुकाकर उसका वंदन, अभिनंदन और नमन करेगा। क्योंकि ऐसे रत्न […]
– डॉ. दीपक आचार्य941330607मरु भूमि का लोक साँस्कृतिक वैभव, हस्तकलाएँ, शिल्प स्थापत्य, अनूठी पर पराएँ और लोक जीवन अपने आप में विलक्षणताओं भरे कई इन्द्रधनुषों का सदियों से दिग्दर्शन कराता रहा है।शेष दुनिया से दूर, रेगिस्तान के बीच और विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद यहाँ लोक संस्कृति, स यता और परिवेशीय वैविध्य का मनोहारी संगम […]