विजय कुमार सिंघल भारतीय संस्कृति में ऐसी हजारों पुरानी परम्परायें हैं, जो ऊपर से देखने में व्यर्थ और मामूली लगती हैं, लेकिन गहराई से विचार करने पर हमें उनका मर्म और उनकी वैज्ञानिकता समझ में आती है। यह सम्भव है कि हमारे अज्ञान के कारण और काल के प्रभाव से उन परम्पराओं में कुछ विकृतियाँ […]
महीना: मई 2013
20 वर्षों से डायबिटीज झेल रहीं 65 वर्षीय महिला जो दिन में दो बार इन्सुलिन लेने को विवश थीं, आज इस रोग से पूर्णत: मुक्त होकर सामान्य सम्पूर्ण आहार ले रही हैं । जी हाँ मिठाई भी । डाक्टरों ने उस महिला को इन्सुलिन और अन्य ब्लड सुगर कंट्रोल करने वाली दवाइयां भी बंद करने […]
शांता कुमारगतांक से आगे…परिणाम यह हुआ कि सब के सब पुलिस के हाथ आ गये और लगभग 23 प्रमुख क्रांतिकारी जेल के सींखचों में बंद कर दिये गये। इनमें से जयगोपाल तथा हंसराज बोहरा पुलिस की यातनाओं से आतंकित होकर तथा क्षमा मिलने के लालच में मुखबिर बन गये। सांडर्स हत्या तथा बम काण्ड के […]
संबंधों में माधुर्य भरी सफलता चाहें तो सतत संवाद के प्रति गंभीर रहें – डॉ. दीपक आचार्य9413306077 दुनिया की सारी समस्याओं की जड़ ही है संवादहीनता। सामाजिक जिन्दगी का पर्याय माने जाने वाले मनुष्य के लिए व्यष्टि और समष्टि के साथ संबंधों की अनिवार्यता जरूरी है। इसके बगैर न मनुष्य अपने लक्ष्यों और जीवन में […]
– डॉ. दीपक आचार्य9413306077 हमारी कुल जनसं या में उन लोगों की सं या भी काफी है जो स्थापित और प्रतिष्ठित लेखक हैं, स्थापित होने के सफर पर हैं, नवोदित हैं और आगे बढ़ने की जद्दोजहद में रमे हुए हैं। इनमें स्वान्त: सुखाय भी हैं और परोपकारी तथा जगतोद्घारक भी हैं।सम सामयिक परिस्थितियों, सामाजिक हालातों, […]
विकास कुमार गुप्ता 70 के दशक में क्रिकेट भारत के सुदूर गांवों में उतरने लगा, तब मैदान में एक ओर गिल्ली डंडे चलते थे तो दूसरी ओर कुछ बच्चे सामूहिक रूप से तीन डंडियों के आगे खड़े होकर क्रिकेट के चैके-छक्के लगाना सीख रहे थे। तब उनके पास न तो बाजार से लाये उन्नत किस्म […]
मुजफ्फर हुसैनगतांक से आगे….जब से वह अपना यह धार्मिक वस्त्र धारण करता है तब से किसी जीव की हत्या करना मना है। न तो मक्खी, न मच्छर और न ही जूं यानी किसी जीव के मारने पर कड़ा प्रतिबंध है। यदि कोई हाजी जमीन पर पड़े हुए किसी कीड़े को देख ले तो अपने अन्य […]
मनीराम शर्माभारत में उच्च स्तरीय न्यायाधीशों के लिए स्वयं न्यायपालिका ही नियुक्ति का कार्य देखती है और उस पर किसी बाहरी नियंत्रण का नितांत अभाव है।फलत: जनता को अक्सर शिकायत रहती है कि उसे न्याय नहीं मिला और उतरोतर अपीलों का लंबा सफर करने बावजूद आम नागरिक वास्तविक न्याय से वंचित ही रह जाता है। […]
लोकतन्त्र प्रणाली में जनता के वोटों की संख्या के आधार पर सरकार का गठन किया जाता है। जिससे वोट एक शक्तिशाली हथियार बन गया है। इस वोट रूपी हथियार का मुस्लिम समाज भरपूर उपयोग करके अधिक से अधिक लाभ उठाने का सतत् प्रयास करता आ रहा है। अनेकों जातिगत मतभेद होने के उपरान्त भी मुस्लिम […]
देखे नही पर दोष को… तीर, कांच तन में घुसें,तो देवें तुरत निकाल।बुरा बोल घट में चुभै,दरद करै विकराल ।। 38।। जाको दुख दें देवगण,बुद्घि को हर लेत।वाणी का संयम घटै,कष्टï मीत को देत।। 39।। अर्थ, काम में धर्म का,गर होवै समावेश।धाम मिलै फिर मोक्ष का,और कहलावै दरवेश ।। 40।। मृत्यु खाती प्राण को,रूप बुढ़ापा […]