अरविंद छाबड़ाओम जय जगदीश हरे। ये आरती उत्तर भारत में वर्षों से करोड़ों हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को स्वर देती रही हैए लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके रचयिता पर ब्रितानी सरकार के खिलाफ प्रचार करने के आरोप भी लगे थे। पंजाब के छोटे से शहर फि ल्लौर के रहने वाले श्रद्धा राम फि […]
Month: March 2013
विनोद बंसलभारत व्रत पर्व व त्यौहारों का देश है। यूं तो काल गणना का प्रत्येक पल कोई न कोई महत्व रखता है किन्तु कुछ तिथियों का भारतीय काल गणना (कलैंडर) में विशेष महत्व है। भारतीय नव वर्ष (विक्रमी संवत्) का पहला दिन (यानि वर्ष-प्रतिपदा) अपने आप में अनूठा है। इसे नव संवत्सर भी कहते हैं। […]
कलम उठाया जब लिखने को आंसू टपके, लहू भी टपका।हाथों में अखबार जो आया जख्म मिले और दर्द भी टपका।।इलाहाबाद जंक्शन पर मचा भगदड़ का तूफान।वहां पर मौजूद थे मेरे अनुज एडवोकेट शेखर और विरेन्द्रटे्रनों में बैठने की जल्दबाजी में अनेकों मारे गये इंसानदुख भरे हालात में परिजन कर रहे थे अपनों की पहचानजब मुझे […]
गतांक से आगे…हे भारती! तू उन ऋषियों की संतान है जिन्होंने मानव मात्र के लिए आदर्श उपस्थित किये थे। इसलिए तेरा जीवन आज भी आदर्शों से ओतप्रोत होना चाहिए-चौबीस घंटे जी इस राग में।समर्पण, अभिप्सा और त्याग में।।अपना, वेदों का ये विधानरे मत भटकै प्राणी……..19साधक को चौबीस घंटे किन भावों के साथ जीना चाहिए।1. अभिप्सा […]
दुखद है: ‘हम अपने आदि संविधान’ वेद से दूर हो गये यह सर्वमान्य सत्य है कि सृष्टि के प्रारंभ में ही सृष्टि’ की प्रलय पर्यन्त जो संविधान वेद के रूप में हमें दिया गया वह आज प्रचलन से बाहर हो गया है। यह अलग बात है कि उसको मानने वाले आज भी भारत में ही […]
नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी (एसपी) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच दूरियां कम होने लगी हैं? एसपी 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को समर्थन देगी? यूपीए सरकार की नीतियों से तंग मुलायम सिंह किसी और राजनीतिक पार्टनर की तलाश में हैं? अभी भले ही ये बातें महज कयास लगें, लेकिन एसपी चीफ मुलायम […]
‘छ’ छकार को हमारे भाषाविदों ने छाया, आच्छादान, छत्र, परिच्छेद, अखण्ड, छेद आदि का समानार्थक माना है। छत, छाता, छवि, छत्वर: (इसी छत्वर से छप्पर शब्द बना है क्योंकि छत्वर: का एक अर्थ पर्णशाला भी है) छिपना, छिपाना, इत्यादि शब्द छ को छाया आदि का समानार्थक सिद्घ करते हैं। इसकी आकृति में बाहरी ओर से […]
बिगड़ता पर्यावरण संतुलन और यज्ञ
आर्थिक व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए ही नही अपितु सामाजिक व्यवस्था को भी सही प्रकार से चलाये रखने के लिए ‘ले और दे’ का सिद्घांत बड़ा ही कारगर माना जाता है। भारतीय संस्कृति में तो इसे और भी अधिक श्रद्घा और आस्था का प्रतीक बनाकर धार्मिक व्यवस्था के साथ जोड़ दिया गया। […]
वीरेन्द्र सेंगरनई दिल्ली। वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने 2013-14 के प्रस्तुत किए गए बजट में काफी चतुराई दिखाने की कोशिश की है। उन्होंने तमाम बजट पूर्वानुमानों को खासे झटके दिए हैं। सत्तारूढ़ कांग्रेस के हलकों में पक्के तौर पर उम्मीद की जा रही थी कि वित्तमंत्री इनकम टैक्स में कर छूट का दायरा जरूर बढ़ाएंगे। ताकि […]
लंदन। अपनी भव्य दावतों और स्वादिष्ट व्यंजनों के शौक के लिए मशहूर ब्रिटेन का शाही घराना कभी मानव मांस खाने का भी शौकीन रहा है। एक किताब में इस बात का खुलासा किया गया है। ममीज, कैनिबाल्स एंड वैम्पायर किताब में खुलासा किया गया है कि ब्रिटेन के शाही घराने के लोग सम्भवत 18वीं सदी […]