Categories
संपादकीय

राजनाथ बने भाजपा के भाग्यनाथ

नितिन गडकरी बहुत असफल अध्यक्ष नही थे लेकिन राजनीति में कभी कभी बना बनाया महल भी पल भर में ढह जाता है। यही उनके साथ हुआ है। भाजपा उन्हें अपना अध्यक्ष मान चुकी थी और उनके नाम पर मुहर लगना ही शेष रह गया था। पर भाग्य ने अंतिम क्षणों में पलटा खाया और उनके […]

Categories
बिखरे मोती

‘विभूति शब्द की व्याख्या’ : राही तू आनंद लोक का

गतांक से आगे…स्वर और व्यंजन दोनों में अकार मुख्य है। अकार के बिना व्यंजनों का उच्चारण नही होता। इसलिए भगवान ने अकार को अपनी विभूति बताया है।अहमेवाक्षय: काल-जिस काल का कभी क्षय नही होता अर्थात जो कालातीत है और अनादि अनंतरूप है। वह काल भगवान ही है। ध्यान रहे सर्ग और प्रलय की गणना तो […]

Categories
विशेष संपादकीय

राष्ट्रपति का देश को सही मार्गदर्शन

रायसीना हिल्स पर बैठे देश के प्रथम नागरिक राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने 64वें गणतंत्र दिवस की पूर्ण संध्या पर बड़े सारगर्भित ढंग से देश को संबोधित किया। उनके संबोधन में गंभीरता थी और देश में गिरते नैतिक मूल्यों के प्रति उनका दर्द साफ झलक रहा था। वास्तव में आज देश में राष्ट्र के सामने नैतिक […]

Categories
महत्वपूर्ण लेख

सत्य की राह पर चलना कठिन है, पर है अच्छा

डॉ. दीपक आचार्यसत्य जीवन का सर्वोपरि कारक है जिसका आश्रय ग्रहण कर लिए जाने पर धर्म और सत्य हमारे जीवन के लिए संरक्षक और मार्गदर्शक की भूमिका में आ जाते हैं और पूरी जिन्दगी इसका सकारात्मक प्रभाव हमारे प्रत्येक कर्म पर तो पड़ता ही है, हमारा समूचा आभामण्डल ही प्रभावोत्पादक और शुभ्र परिवेश का निर्माण […]

Categories
प्रमुख समाचार/संपादकीय

देश-द्रोह का बदला-2

शांता कुमारखुदीराम रात भर भागते रहे। बिना खाए पीए 17 वर्ष का बालक अंधेरी रात में भाग रहा था। किसलिए? क्या उसके दिमाग में कुछ खराबी थी? क्या प्राणों का मोह उसे न था? अपनी जवानी की उमंगें क्या उसके हृदय में उथल पुथल न मचाती थीं? सब कुछ था परंतु अपने देश बांधवों पर […]

Categories
विशेष संपादकीय

महाराणा का अपमान अब भी जारी है

  भारत के जीवंत इतिहास के जिन उज्ज्वल पृष्ठों को छल प्रपंचों का पाला मार गया उनमें महाराणा प्रताप का गौरवमयी व्यक्तित्व सर्वाधिक आहत हुआ है। मैथिलीशरण गुप्त ने कभी लिखा था- जिसको न निज गौरव न निज देश का अभिमान है, वह नर नही नर पशु निरा है और मृतक समान है। जब ये पंक्तियां […]

Categories
आओ कुछ जाने

आओ जानें, अपने प्राचीन-भारतीय वैज्ञानिकों के बारे में-4

गतांक से आगे…श्रीनिवास रामानुजम-आपका जन्म इरोड, तमिलनाडु में 22 दिसंबर 1887 को हुआ। बचपन से ही उनमें विलक्षण प्रतिभा के दर्शन होने लगे। 13 वर्ष की उम्र में इन्हें लोनी की त्रिकोणमिति की पुस्तक मिल गयी और उन्होंने शीघ्र ही इसके कठिन से कठिन प्रश्नों को हल कर डाला। इसके अतिरिक्त अपना स्वयं का शोध […]

Categories
महत्वपूर्ण लेख

अन्तर्मुखी भले रहें अन्तर्दुखी न रहें

डॉ. दीपक आचार्यलोग मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं। अन्तर्मुखी और बहिर्मुखी।बहिर्मुखी लोगों के दिल और दिमाग की खिड़कियाँ बाहर की ओर खुली रहती हैं जबकि अन्तर्मुखी प्रवृत्ति वाले लोगों के मन-मस्तिष्क की खिड़कियां और दरवाजे अन्दर की ओर खुले रहते हैं। आम तौर पर अन्तर्मुखी लोगों को रहस्यमयी और अनुदार समझा जाता […]

Categories
आओ कुछ जाने

हीरा

प्रश्न : क्या है हीरा? उत्तर : हीरा वह नही जो हमें बेशकीमती पत्थर के रूप में सुनार से बना हुआ मिलता है, हीरा वह भी नही जो आपके सुंदर हार में है। सच्चे हीरे तो बच्चे होते हैं। हीरा तो वह होता है जो आपको सम्मान दिलाकर आपकी इज्जत बढ़ाता है। वह आपको दुनिया […]

Categories
महत्वपूर्ण लेख

वैदिक धर्म के अनुसार

रचियता-वेदप्रकाश शास्त्री (पावका न: सरस्वती)अज्ञानतिमिर-विनाशिनी, सदा जगत प्रकाशिनी।जीवन-प्रदायिनी ऊर्जास्वती। पावका न: सरस्वती।। । 1।सरस्वती अर्थात वेदवाणी (वेदविद्या) हमें पवित्र करें। अज्ञानांधकार का नाश करने वाली, समस्त संसार को सदा ही ज्ञान के आलोक से आलोकित करने वाली, शक्ति एवं उत्साह से युक्त, जीवन प्रदान करने वाली वेदवाणी हमें पवित्र करे।स्वस्तिपथ-प्रदर्शिका, सदैव लोकहित-साधिका।सद्ज्ञान-पूरिता तेजस्वती। पावका न: […]

Exit mobile version