गतांक से आगे…..तीन वर्ष पहले उस महान क्रातिकारी की आत्मा जेल के सींखचों से ऊब गयी थी। उसे शिवाजी का स्मरण हो आया, उसे भगवान कृष्ण का स्मरण हो आया। जिन्होंने जेल के बंधन को तोड़, अपने जीवन के मार्ग को प्रशस्त किया था। तब उसके हृदय ने उससे पूछा था, क्या मेरा जन्म जेल […]
Month: November 2012
सत्तावन के बाद पहली चिनगारी-4
गतांक से आगे…..तीन वर्ष पहले उस महान क्रातिकारी की आत्मा जेल के सींखचों से ऊब गयी थी। उसे शिवाजी का स्मरण हो आया, उसे भगवान कृष्ण का स्मरण हो आया। जिन्होंने जेल के बंधन को तोड़, अपने जीवन के मार्ग को प्रशस्त किया था। तब उसके हृदय ने उससे पूछा था, क्या मेरा जन्म जेल […]
मनमोहन जी! सुनहरे कल की कल्पना छलावा है
भारत के प्रधानमंत्री, आदरणीय मनमोहन सिंह जी। बतौर प्रधानमंत्री आपके लंबे शासनकाल के अनुभव के बाद एक नागरिक के रूप में अब हम आपके लिए कह सकते हैं आप कल्पना लोक में विचरण करनेवाले प्राणी हैं। आपका वास्तविक धरातल से कोई लेना देना नहीं है। रामलीला मैदान में कल भी आपने सुनहरे कल का छलावा […]
मनमोहन जी! सुनहरे कल की कल्पना छलावा है
भारत के प्रधानमंत्री, आदरणीय मनमोहन सिंह जी। बतौर प्रधानमंत्री आपके लंबे शासनकाल के अनुभव के बाद एक नागरिक के रूप में अब हम आपके लिए कह सकते हैं आप कल्पना लोक में विचरण करनेवाले प्राणी हैं। आपका वास्तविक धरातल से कोई लेना देना नहीं है। रामलीला मैदान में कल भी आपने सुनहरे कल का छलावा […]
विकास का श्रेष्ठतम स्वरूप है छिन्दवाड़ा!उद्योग क्षेत्र-1 पैक हाउस अठारह करोड़ की लागत से बने मोहखड विकास खण्ड के ग्राम तन्सरामाल में संतरा उत्पादक किसानों के लिए निर्मित।2 मसाला पार्क-20 करोड़ की लागत से मसाला फसलों के उत्पादक किसानों को उनकी कृषि उपज का उचित मूल्य दिलवाने तथा रेाजगार उपलब्ध कराने की दृष्टि से निर्मित।3 […]
विकास का श्रेष्ठतम स्वरूप है छिन्दवाड़ा!उद्योग क्षेत्र-1 पैक हाउस अठारह करोड़ की लागत से बने मोहखड विकास खण्ड के ग्राम तन्सरामाल में संतरा उत्पादक किसानों के लिए निर्मित।2 मसाला पार्क-20 करोड़ की लागत से मसाला फसलों के उत्पादक किसानों को उनकी कृषि उपज का उचित मूल्य दिलवाने तथा रेाजगार उपलब्ध कराने की दृष्टि से निर्मित।3 […]
भारत का समाजवादी स्वरूप
भारत के संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ शब्द प्रयुक्त किया गया है जिसका बहुत बड़ा महत्व है। समाजवाद की सीधी-सादी व्याख्या समाज के प्रत्येक वर्ग और व्यक्ति तक शासन की नीतियों का सही लाभ पहुंचाने से है। महल और झोंपड़ी के अन्तर को समाप्त करते-करते धीरे-धीरे पूर्णत: समाप्त करना इस व्यवस्था का उद्देश्य है। इस […]
भारत का समाजवादी स्वरूप
भारत के संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ शब्द प्रयुक्त किया गया है जिसका बहुत बड़ा महत्व है। समाजवाद की सीधी-सादी व्याख्या समाज के प्रत्येक वर्ग और व्यक्ति तक शासन की नीतियों का सही लाभ पहुंचाने से है। महल और झोंपड़ी के अन्तर को समाप्त करते-करते धीरे-धीरे पूर्णत: समाप्त करना इस व्यवस्था का उद्देश्य है। इस […]
‘इस्लामिक द्विराष्ट्रवाद एवं संविधान
जब भारत स्वतन्त्र होने की प्रक्रिया से निकल रहा था तभी भारत के लिए संविधान निर्माण हेतु संविधान सभा का गठन हो गया था। 9 दिसम्बर 1946 से 26 नवम्बर 1949 तक 2 साल 11 महीने 18 दिन में बनकर यह संविधान तैयार हुआ था। हमारे संविधान निर्माताओं के सामने देश में द्विराष्ट्रवाद के सिद्घान्त […]
‘इस्लामिक द्विराष्ट्रवाद एवं संविधान
जब भारत स्वतन्त्र होने की प्रक्रिया से निकल रहा था तभी भारत के लिए संविधान निर्माण हेतु संविधान सभा का गठन हो गया था। 9 दिसम्बर 1946 से 26 नवम्बर 1949 तक 2 साल 11 महीने 18 दिन में बनकर यह संविधान तैयार हुआ था। हमारे संविधान निर्माताओं के सामने देश में द्विराष्ट्रवाद के सिद्घान्त […]