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विशेष संपादकीय

भाजपा को आडवाणी की सीख

हरियाणा की धरती परिवर्तन की प्रतीक रही है। धर्मक्षेत्र कुरूक्षेत्र तो इस बात की साक्षी देता ही है साथ ही पानीपत का वह मैदान भी यहीं पर है जिसमें बाबर और इब्राहीम लोदी के मध्य 1526 में जंग हुई थी। इसी जंग ने सवा तीन सौ साल पुरानी दिल्ली सल्तनत को उखाड़ कर सवा तीन […]

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राजनीति

भारत-चीन सीमा विवाद जल्द सुलझ सकता है

रक्षामंत्री एके एंटोनी ने कहा है कि चीन के साथ सीमा विवाद संबंधी विवाद को सुलझाने की बातचीत अंतिम चरण में है। रक्षा लेखा विभाग की वार्षिकी के मौके पर आयोजित समारोह में बोलते हुए रक्षामंत्री ने कहा कि हर कोई इस तथ्य से परिचित है कि कई दौर की बातचीत के बाद भी सीमा […]

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राजनीति

देश की स्थिति सचमुच चिंताजनक : चक्रपाणि

अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि जी महाराज ने कहा है कि वर्तमान समय में मनमोहन सिंह देश के सबसे असफल प्रधानमंत्री साबित हुए हैं। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति कभी अपने विवेक से निर्णय ही नही ले पाया और जिसे एक रिमोट से एक महिला द्वारा दूर से चलाया गया उससे […]

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महत्वपूर्ण लेख

क्यों जलाया गया था नालंदा विश्वविद्यालय?

एक सनकी और चिड़चिड़े स्वभाव वाला तुर्क मियां लूटेरा था बख्तियार खिलजी. इसने 1199 इसे जला कर पूर्णत: नष्ट कर दिया। उसने उत्तर भारत में बौद्धों द्वारा शासित कुछ क्षेत्रों पर कब्ज़ा कर लिया था. एक बार वह बहुत बीमार पड़ा उसके हकीमों ने उसको बचाने की पूरी कोशिश कर ली। मगर वह ठीक नहीं […]

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प्रमुख समाचार/संपादकीय

जंतर-मंतर पर ममता ने भरी हुंकार–देश के लिए मनमोहन सरकार पूरी तरह बेकार

राकेश कुमार आर्यअक्टूबर का महीना कई अर्थों में महत्वपूर्ण है, इस माह के प्रारंभ में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी व देश के सबसे अधिक आदरणीय प्रधानमंत्री रहे लालबहादुर शास्त्री की जयंती दो अक्टूबर को आती है, जबकि इसी माह के अंत में देश के लौहपुरूष सरदार बल्लभ भाई पटेल की जयंती और लौह महिला के नाम […]

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प्रमुख समाचार/संपादकीय

वेद, महर्षि दयानंद और भारतीय संविधान-36

गतांक से आगे….. जिसका परिणाम निकला कि हमारे संविधानविदों ने और संविधान निर्माताओं ने अस्पृश्यता को देश और समाज के लिए एक कोढ़ माना। इसलिए अस्पृश्यता को मिटाने की और पंथ जाति व लिंग के आधार पर किसी प्रकार की असमानता का व्यवहार न होने देने की दिशा में समाज के लिए एक क्रांतिकारी कदम […]

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महत्वपूर्ण लेख

नलकूप क्रांति से मिल रही है नई चुनौती

प्रमोद भार्गव हमारे देश में बीते चौसठ सालों के भीतर जिस तेजी से कृत्रिम, भौतिक और उपभोक्तावादी संस्कृति को बढावा देने वाली वस्तुओं का उत्पादन बढ़ा है उतनी ही तेजी से प्राकृतिक संसाधनों का या तो क्षरण हुआ है या उनकी उपलब्धता घटी है। ऐसे प्राकृतिक संसाधनों में से एक है पानी। ‘जल ही जीवन […]

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महत्वपूर्ण लेख

पर्यावरण संकट को बढ़ाती हिमालय की दुर्दशा

दिनेश पंतइस वर्ष देश में उम्मीद से कम और अनियमित वर्षा ने ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते खतरे की चिंता को बढ़ा दिया है। विकास और उन्नति के नाम पर औद्योगिकीकरण ने पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया है। निवेश के बढ़ते अवसर ने गांव को भी तरक्की के नक्षे पर मजबूती से उकेरा है। गांवों […]

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