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संपादकीय

तलाक : एक सामाजिक विकृति

खुलेपन और आधुनिकता के नाम पर भारत में नित्य प्रति कुछ ऐसी घटनायें घटित हो रही हैं कि जो भारतीयता के लिए ही नही अपितु वैश्विक समाज के लिए भी संकटप्रद सिद्घ होंगी। खुलेपन और आधुनिकता को मानवाधिकारों के साथ कुछ इस प्रकार जोड़कर दिखाने का प्रयास किया जाता है कि उनसे मानवाधिकारों का मानो […]

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बिखरे मोती

आईए चलें: चित्त की पवित्रता और परलोक के आलोक में

हमें अपने राष्ट्र और संस्कृति पर गर्व है। समस्त भूमंडल पर भारत ही एक ऐसा देश है जिसकी सभ्यता और संस्कृति हमारे वंदनीय और अभिनंदनीय ऋषियों के चिंतन से आज भी अनुप्रमाणित होती है। हमारे ऋषियों ने हमारे धर्मशास्त्रों में हमारे जीवन के सशक्त स्तम्भ अथवा आदर्श जहां चार पुरूषार्थों-धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष को माना […]

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विशेष संपादकीय

…सारे तीर्थों से उत्तम तीर्थ

आजकल के युग को विज्ञान का युग कहा जाता है लेकिन विज्ञान के इस आज के वैज्ञानिक युग को बहुत ही संकीर्ण अर्थों व संदर्भों में लिया जाता है। भारतीय वांग्मय में विज्ञान का अर्थ विशेष ज्ञान से लिया जाता रहा है। यह विशेष ज्ञान जब प्रकृति के विषय में होता है, या प्राप्त किया […]

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महत्वपूर्ण लेख

पिता शब्द की धातु और निरूक्ति द्वारा व्याख्या

आचार्य ब्र.नंदकिशोरपिता- ‘पा रक्षणे’ धातु से ‘पिता’ शब्द निष्पन्न होता है। ‘य: पाति स पिता’ जो रक्षा करता है, वह पिता कहलाता है। यास्काचार्य प्रणीत निरूक्त में लिखा है-‘पिता पाता वा पालयिता वा’-नि. 4। 21। ”पिता-गोपिता”-नि. 6। 15 पालक, पोषक और रक्षक को पिता कहते हैं।पिता की महिमा व गरिमावैदिक शास्त्रों, मनुस्मृति वाल्मीकि रामायण, महाभारत […]

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महत्वपूर्ण लेख

हिंदी के लिए बर्बादी का कारण बनी हिंग्लिश

राजेश कश्यपआजकल राष्ट्रभाषा हिन्दी बेहद नाजुक दौर से गुजर रही है। वैश्विक पटल पर अपनी प्रतिष्ठा को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए विभिन्न चुनौतियों से जूझ रही हिन्दी के समक्ष भारी धर्मसंकट खड़ा हो चुका है। इस धर्मसंकट का सहज अहसास भारत सरकार के गृह मंत्रालय और राजभाषा विभाग की सचिव वीणा उपाध्याय द्वारा गतवर्ष […]

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बिखरे मोती

गुणों से भी श्रेष्ठ सौम्य स्वभाव होता है

प्राय: देखा गया है कि कुछ लोगों में कुछ गुण होते हैं किंतु उनका स्वभाव अच्छा नही होता है यथा-जब तक आदमी सामने रहता है तो मुंह देखी बड़ाई करते हैं और उसके जाते ही पीठ पीछे उसी की चुगली-निंदा करते हैं। कुछ ऐसे होते हैं जो दान पुण्य भी कर देते हैं किंतु दम्भ […]

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राजनीति

राजनीति के रंग

जूते-घूंसे राजनीति ओछी गंदी है, उलटी सीधी बात चलें।कहीं पै जूते फिकते देखो, कहीं पै घूंसे लात चलें।।राजनीति है बड़ी निकम्मी, घात और प्रतिघात चलें।मुश्किल सच्चे इंसानों की, बोलो किसके साथ चलें।।कुरसी के जयकारेभाषण में कहते हैं नेता, देश के हम रखवाले हैं।मतदाता के हाथ जोड़ते, सब नेता मतवारे हैं।।नेताओं को प्यारी कुरर्सी, कुरसी को […]

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महत्वपूर्ण लेख

सुशासन बाबू के किले में सुरंग

ढोल का पोल खुल गया है। यह कहावत बिहार में चरितार्थ हो रहा है। नीतीश कुमार के सुशासन के गुब्बारे में लगता है कि पिन लग गई है। ऐसा इसलिए कि मजबूत किलेबंदी के बावजूद नीतीश कुमार की लोकप्रियता के मिथ आजकल राष्ट्रीय मीडिया में टूट कर बिखर चुका है। इसकी पृष्ठभूमि पहले से ही […]

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संपादकीय

शराबी लोकतंत्र की खराबी का राज

पुरोहित कपिल दो सोने की मोहरें पाने के लिए राजा को आशीर्वाद देने गये। राजा ने कहा-”जितना चाहिए मांग लो।” कपिल के मन में लोभ आ गया। वे बोले-”राज सोचकर आता हूं।” कपिल सोचने लगे-दो सोने की मोहरों से क्या होगा? चार मांग लूं? अरे, जब राजा ही मनमानी इच्छा पूरी कर रहा है, तो […]

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महत्वपूर्ण लेख

30 सितंबर को पचासवीं पुण्यतिथि पर विशेष

अंग्रेजों के शासन से मुक्ति के लिए जिन स्वदेश प्रेमी राष्ट्रभक्तों ने सतत संघर्ष किया-उनमें महात्मा गांधी, महामना पं. मदनमोहन मालवीय, लाला लाजपतराय, राजर्षि पुरूषोत्तम दास टंडन की श्रंखला में ही एक विभूति थे लाला हरदेवसहाय। इस महान विभूति ने अपना सर्वस्व स्वदेश, स्वदेशी व स्वाधीनता के लिए जीवन अर्पित कर भारतीय स्वाधीनता संग्राम के […]

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