पाकिस्तान की बेटी मानवाधिकार कार्यकर्ता और लड़कियों में शिक्षा की अलख जगाने वाली 14 साल की मलाला यूसुफजई पर तालिबान ने जो गोली मारी है, वह मलाला के साथ ही इसलाम के बुनियादी उसूलों पर भी चली है। इसलाम लड़कियों को शिक्षा हासिल करने का अधिकार देता है, जिसे रोकना किसी भी सूरत जायज नहीं […]
महीना: अक्टूबर 2012
गतांक………… क्षितीज वेदालंकार जी लिखते हैं ‘सबसे अधिक गड़बड़ी धर्म और मजहब सम्प्रदाय तथा पंथों और सम्प्रदायों को एक ही समझने की भूल से हुई है।” धर्म न रिलीजन है, न मजहब है, न पंथ है, न संप्रदाय। धर्म तो ऐसे शाश्वत सिद्घांतों का नाम है, जिनसे मानव जाति परस्पर सुख और शांति से रहती […]
रसोई गैस के सब्सिडीयुक्त सिलेंडरों की संख्या एक साल में सीमित कर छह करने के केंद्र के निर्णय के बाद जो राजनीति चली आ रही है, उसने इतने संवेदनशील मुद्दे की गंभीरता को खत्म कर दिया है। ऐसा करते हुए लगभग सभी पार्टियों ने खुद को हल्का साबित कर दिया। सबसे पहले यह काम कांग्रेस […]
गौ संवर्धन के उपाय गौवंश संवर्धन व गाय की रक्षार्थ निम्न कार्य किये जा सकते हैं :- 1. गाय की महत्ता का प्रचार जिसमें यह भी आवें कि आने वाले परमाणु युद्घ में भी यदि गाय गोबर से आलिप्त निवास है तो उसकी किरणों का प्रभाव नही के बराबर होगा आदि। 2. मुसलमान तथा गैर […]
राकेश कुमार आर्यजब नक्सलवादी हिंसा 6 मार्च 2010 को छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में हमारे 76 जवानों को शहीद कर दिया तो उसके पश्चात सारा देश इस हिंसा के विरूद्घ आवाज उठाने लगा कि इन हिंसक और अत्याचारी नक्सली राक्षसों के विरूद्घ देश की सुरक्षा के हित में कठोर कदम उठाये जायें। परंतु हमारे गृहमंत्री पी […]
रॉबर्ट वाड्रा ने सैकड़ों करोड़ की संपत्ति अर्जित की है। कहां से आए इतने पैसे? पिछले चार सालों में रॉबर्ट वाड्रा ने एक के बाद एक 31 संपत्तियां खरीदी हैं जिसमें से अधिकांश दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में हैं। इन संपत्तियों को खरीदने में वाड्रा को करोड़ो रुपए चुकाने पड़े हैं।रॉबर्ट वाड्रा और […]
तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी का वर्तमान केंद्र सरकार से समर्थन वापसी का निर्णय अपने आप में न केवल एक अभूतपूर्ण निर्णय था अपितु 1 अक्टूबर को दिल्ली की जंतर-मंतर पर उनके द्वारा की गयी रैली में उमड़ी भीड़ को देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है आज भी उनके लिए माटी-मानुष कितना महत्वपूर्ण है […]
सिद्धार्थ शंकर गौतमवर्तमान पीढ़ी के लिए गांधी दर्शन और उनके आदर्शों पर चलना ठीक वैसा ही है जैसे नंगे पैर दहकते अंगारों पर चलना। चूंकि गांधी द्वारा दिखाया गया सत्य और नैतिकता का मार्ग अत्यंत दुष्कर है व बदलते सामाजिक व आर्थिक ढांचे में खुद को समाहित नहीं कर सकता लिहाजा यह उम्मीद बेमानी ही […]
भारतीय संस्कृति, दयानंद और संविधान के मूल अधिकारगतांक से आगे संसार में क्षुद्र से क्षुद्र कोई ऐसा प्राणी न मिलेगा, जो अपनी गतिविधि में प्रतिबंध को पसंद करे। सभी चाहते हैं कि उनकी गति निर्वाध रहे। वेद में मार्ग के संबंध में प्रार्थना है कि वह अनृक्षर अर्थात कांटों से रहित हो। कांटे मार्ग की बाधा […]
राकेश कुमार आर्यभगवान कृष्ण की गीता और हमारे वेद व्यक्ति को निष्काम कर्म का सदुपदेश देते हैं। निष्काम कर्म वे हैं जिन्हें व्यक्ति लोककल्याण के भाव से करता है और करने के बाद भूल जाता है। जब निष्कामता का यह भाव शासन का आधार बन जाता है तो वह शासन लोककल्याण कारी शासन बन जाता […]