अशोक कुमार पाण्डेयहालांकि भारत को आतंवाद से जूझते हुए लगभग तीन दशकों का समय बीत चुका है, लेकिन इसकी सबसे बड़ी जो बात हुई है वह यह है कि एक तरफ देश आतंकवाद से जूझने में अपनी पूरी शक्ति तथा ऊर्जा का इस्तेमाल कर रहा है यही आतंकवाद थमने के बजाए दिनों दिन बढ़ता ही […]
Month: September 2012
हिंदी और भारतीय भाषाओं को लेकर समाज में एक अजीब सा सन्नाटा है। संचार व मीडिया की भाषा पर कोई बात नहीं करना चाहता। उसके जायज-नाजायज इस्तेमाल और भाषा में दूसरी भाषाओं खासकर अंग्रेजी की मिलावट को लेकर भी कोई प्रतिरोध नजर नहीं आ रहा है। ठेठ हिंदी का ठाठ जैसे अंग्रेजी के आतंक के […]
हम दानव नही मानव बनें
अथर्ववेद के आठवें काण्ड के सूक्त संख्या दो मंत्र संख्या 8 का एक मंत्र है-आरादरातिं निऋतिं परोग्राहिं क्रव्याद:पिशाचान। रक्षा यत्सर्वं दुर्भूतं तत्तम इवाप हन्मसि।।जिन व्यक्तियों में दान न देने की वृत्ति होती है, जो अदानी होते हेँ वह दानव हैं, क्योंकि दान न देने की वृत्ति भोगप्रवण बनाती है, यही भोगप्रवणता मृत्यु की ओर ले […]
चारों वेदों में यज्ञों का महत्व दर्शाया गया है। यज्ञ भी अनेक प्रकार के होते हैं। जैसे अश्वमेध यज्ञ, वृष्टिïयज्ञ आदि सब यज्ञ अग्निहोत्र के द्वारा ही सम्भव होते हैं।महर्षि मनु लिखते हैं-अग्नौ प्रस्ताहुति सम्यक आदित्यं उपतिष्ठति:।आदित्यात जायते वृष्टि: प्रजा:।।यज्ञ में अग्नि के अंदर डाली हुई घी-सामग्री की आहूतियां अग्नि के द्वारा सूक्ष्म होकर सूर्य […]
प्रबंधन में है अपार संभावनाएं
मानव के अंदर अपार संभावनाएं छिपी हुई हैं। परंतु उचित प्रबंधन के अभाव में उनकी योग्यताओं का सही दोहन नही हो पाता है। परिणाम स्वरूप एक योग्य इंसान का अधिकतर समय बेकार के कामों में व्यतीत हो जाता है। इसी समस्या से निजात पाने के लिए मानव संसाधन को प्रबंधन के विषय में शामिल किया […]
बच्चों का रखें ख्याल
हमारे समाज के अधिकांश लोग गांवों में ही रहते हैं। उनका रहन सहन खान पान आधार व्यवहार आदि प्रकृति के अधिक नजदीक है। किंतु अब पाश्चात्य सभ्यता संस्कृति के प्रभाव से हमारा समाज भी प्रभावित हो रहा है। जबकि, प्रवृत्ति, प्रकृति परिवेश और परिस्थितियां इससे मेल नही खाती हैं। इसलिए अच्छे स्वास्थ्य के लिए अपने […]
भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ही स्पष्ट किया गया है कि भारत के प्रत्येक नागरिक को सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक न्याय प्रदान किया जाएगा। संविधान की यह अवधारणा बहुत ही न्यायसंगत है। कोई भी व्यक्ति सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय प्राप्त करने से वंचित नही किया जाना चाहिए। यदि किसी व्यक्ति को इन तीनों प्रकार […]
जीवन में ‘उदय’ का अर्थ
सूर्योदय होते ही रात का अंधकार किसी अंधेरे कोने में जाकर छुप जाता है। दसों दिशाओं में क्षितिज अंत तक प्रकाश का साम्राज्य स्थापित हो जाता है। प्रकाश के साम्राज्य में सभी मानव, पक्षी जीव जंतु अपने परिवार व आश्रितों का पालन पोषण करने के लिए खाद्यान्न, उपयोग के लिए सामान व ज्ञान विज्ञान अर्जन […]
भारतीय संस्कृति मानव की स्वतंत्रता की ही नही अपितु प्राणि-मात्र की स्वतंत्रता की भी उद्घोष है। जिस देशकी संस्कृति में पग-पग पर पशुओं और वनस्पतियों की रक्षा करने के लिए मनुष्य को प्रेरित किया जाता हो उस देश के लिए यह कहना सर्वथा अनुचित ही है कि इस देश में मानव के मौलिक अधिकारों का […]
डॉ हरपाल सिंह 21 जून 2012 को सऊदी अरब ने, लश्करे-तोयबा के दुदांत इस्लामिक जेहादी, सैयद जबीऊद्दीन अंसारी, उर्फ आबू जुंदाल को अमेरिका की सिफारिश पर भारत को सौंप दिया। उसने, कसाब ने और डेविड कौलमेन हैडली ने 26/11 में हुए, पाकिस्तान आर्मी और आईएसआई प्रायोजित और इस्लामी जेहादी संगठन एलईटी द्वारा क्रियान्वित और संचालित, […]