गतांक से आगे : अन्त: प्रेरणा को सुनना- हम शाम को संकल्प लेते हैं और सुबह विकल्प ढूंढ़ते हैं? इसे कौन कराता है। इसे हमारा मन कराता है, क्योंकि संकल्प-विकल्प की चादर बुनना और उधेड़ना इसी का काम है, व्यापार है। इसे ऋग्वेद (10.164.1) में ‘मनसस्पते दु:स्वप्न: आदि का देव कहा है। हम दु:स्वप्न से […]
महीना: दिसम्बर 2011
-बालेन्दु शर्मा दाधीच इंटरनेट के मुद्दे पर भारत गलत कारणों से चर्चा में है। दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने फेसबुक, गूगल और एमएसएन जैसे इंटरनेट दिग्गजों को यह निर्देश देने की (नाकाम) कोशिश की है कि उनकी साइटों पर जाने-माने लोगों (राजनेताओं), समुदायों (धार्मिक गुटों) आदि के बारे में कोई ‘आपत्तिजनक सामग्री’ दिखाई नहीं देनी […]
कड़वा सच – चारों ‘प’ पथभ्रष्ट – –कृष्ण चन्द्र मधुर सच कड़वा होता है और किसी को पसन्द नहीं आता। बचपन से ही सिखाया जाता है कि कोई ऐसी बात न कहो, जिस से कोई शख्स नाराज हो, कोई भी ऐसी बात न बोलो जो सुनने वालों को अच्छी न लगे, कुछ ऐसा न लिखो […]
भारत में सचमुच वह काला दिन था जब देश को सैकुलरिज्म के रास्ते पर डालने की बात सोची गयी थी। क्योंकि सैकुलरिज्म और भारतीय राजनीति का दूर दूर तक का भी कोई सम्बन्ध नहीं है । भारत में राजनीति को पंथनिरपेक्ष बनाने की दिशा में कार्य होना चाहिए था, परन्तु राजनीतिज्ञों की भाषा और उनकी […]
अन्ना हज़ारे ने एक बार पुनः जंतर मंत्र पर बीते रविवार को अपना एक दिवसीय अनशन रखा है। इस बार अन्ना कुछ संभले है और उन्होनें अपनी टीम की पहली गलतियों में सुधार किया है। उन्हें ये अहसास हुआ है कि राजनीति को बिना राजनीतिजों के नहीं हाँका जा सकता और ना ही किसी कानून […]
उत्तर प्रदेश देश का एक महत्वपूर्ण प्रांत है। देश की राजनीति को इसने आजादी के बाद से ही निर्णायिक दिशा दी है। हर क्षेत्र में इसकी अहम भूमिका रही है, पर फिर भी इस प्रदेश का उतना विकास नहीं हो पाया है, जितना कि होना चाहिए था। दो चार साल मुख्यमंत्री रह लेने वाला हर […]
वशिष्ठ स्मृति में कहा गया है कि आचारहीन को वेद भी पवित्र नहीं कर सकते। भविष्य पुराण में भक्त की पवित्रता का उल्लेख करते हुए कहा गया कि कुल, रूप और धन के बल से कोई सच्चा भक्त नहीं हो सकता। भक्ति, ज्ञान और बाह्य प्रतिष्ठा से दूर आंतरिक पवित्रता से आती है, वही भक्त […]
पहली दिल्ली : महाभारत से पूर्व ओर महाभारत के युद्ध के कुछ काल पश्चात तक दिल्ली को इंद्रप्रस्थ कहा जाता था। यह राजा इन्द्र की राजधानी थी राजा इन्द्र का स्वर्ग यहीं पर विधमान था तो युधिष्ठर का ‘धर्मराज’ भी यही से चला था। बाद में उनकी पीढियों ने भी यही से शासन किया। सम्राट […]
-अरुण नेहरूहम वैशिवक दबाव से मुक्त नहीं हैं और एक दशक तक उच्च जीडीपी के बाद हम 7 प्रतिशत या उससे भी कम दर तक लुढ़क सकते हैं और इसका हमारे जीवन के हर पहलू पर असर होगा। मुद्रास्फीति को लेकर यूपीए दबाव में है और भ्रष्टाचार के मामलों ने गठबंधन को कमजोर किया है। […]
-राजनीतिक संवाददातानर्इ दिल्ली। देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एफडीआर्इ पर अकेले पड़ गये है। उनके साथ खड़े होने के लिए उन्हें हाथ ढूंढने पड़ रहे हैं।लगता है ‘कांग्रेस का हाथ उनका साथ छोड़ गया है। राजनीति में ऐसा ही होता भी है। जब कोर्इ जहाज डूबने लगता है तो उस पर बैठना अपनी जान को […]