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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

मेरे वीतराग सन्यासी दयानंद

  दिन काशी शास्त्रार्थ। सांय काल का समय था। आज प्रात: काशी के प्रमुख पंडितों से बनारस के महाराजा की अध्यक्षता में, हजारों काशी के निवासियों के समक्ष वेदों के प्रकाण्ड पंडित स्वामी दयानंद की वीर गर्जना की “वेदों में मूर्ति पूजा का विधान नहीं हैं ” को कोई भी जब असत्य न कह सका […]

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आतंकवाद

कश्मीर से केरल अर्थात सिर से लेकर पैर तक एक समान चुनौती

  #डॉविवेकआर्य आजकल केरल के चुनाव चर्चा में हैं। उत्तर भारत में रहने वाले लोगों को यह संभवत यह कम ज्ञात है कि केरल एक ऐसा भूभाग है जहाँ पर अहिन्दू (मुस्लिम +ईसाई) जनसँख्या हिन्दुओं से अधिक हैं। बहुत कम हिन्दुओं को यह ज्ञात होगा कि उत्तरी केरल के कोझिकोड, मल्लपुरम और वायनाड के इलाके […]

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इतिहास के पन्नों से

5000 साल से सोने वालो जागो

  बिजनौर जनपद में साधारण से दिखने वाले निहाल सिंह सरकारी चौकीदार थे। आपकी अनेक स्थानों पर बदली होती रहती थी। एक बार एक बड़े कस्बें में आपका तबादला हुआ। रात को पहरा देते हुए आप कहते थे “पांच हजार साल से सोने वालो जागो”। आपकी आवाज सुनकर लोग आश्चर्य में पड़ गए क्यूंकि उन्हें […]

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इतिहास के पन्नों से

लोहारू का मुस्लिम नवाब और आर्य समाज का संघर्ष

लोहारू 1947 से पहले एक मुस्लिम रियासत थी। रियासत का नवाब मतान्ध मुस्लिम था। आर्यसमाज का जब प्रचार कार्य लोहारू में आरम्भ हुआ तो मुस्लिम नवाब को यह असहनीय हो गया कि आर्यसमाज उसके रहते कैसे समाज सुधार करने की सोच कैसे सकता है। लोहारू में समाज सुधार के लिए आर्यसमाज की स्थापना हेतु आर्यसमाज […]

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आतंकवाद

‘शेखूलर’ हिंदू

  आजकल हिन्दुओं में साईं संध्या बुलाने का बड़ा प्रचलन चल गया है। साईं संध्या में साईं के भजन गाने के लिए हमसर हयात निज़ामी को बुलाया जाता है। बहुत कम लोग जानते है कि हमसर हयात निज़ामी के पूर्वज ख्वाजा हसन निज़ामी के खादिम (सेवक) थे। दिल्ली के एक कोने में निजामुद्दीन औलिया की […]

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इतिहास के पन्नों से

सत्यार्थ प्रकाश ने ईसाई होने से बचाया

  #डॉविवेकआर्य सठियाला गांव, जिला अमृतसर के रहने वाले डॉ विश्वनाथ जी बोताला में प्रतिदिन पढ़ने जाया करते थे। वहां एक ईसाई मिशनरी रहता था, जो ईसाई मत का खूब प्रचार करता था। स्कूल के विद्यार्थियों को वह सदा रिझाने की फिराक़ में रहता था। वह विद्यार्थियों में बाइबिल की कहानियां सुनाने , छोटे छोटे […]

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धर्म-अध्यात्म

जीवन में कर्म की प्रधानता

-पण्डित गंगाप्रसाद उपाध्याय कुर्वन्नेवेह कर्माणि जिजीविषेच्छतँ समा:। एवं त्वयि नान्यथेतोऽस्ति न कर्म लिप्यते नरे।। (यजुर्वेद अध्याय ४०, मन्त्र २) अन्वय :- इह कर्माणि कुर्वन् एव शतं समा: जिजीविषेत्। एवं त्वयिनरे न कर्म लिप्यते। इत: अन्यथा न अस्ति। अर्थ- (इह) इस संसार में (कर्माणि) कर्मो को (कुर्वन् एव) करते हुए ही मनुष्य (शतं समा:) सौ वर्ष […]

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Uncategorised

श्रद्धानंद के जीवन का एक विस्मृत प्रसंग

  #डॉविवेकआर्य [स्वामी श्रद्धानन्द के जीवन का एक विशेष गुण था। वह था निर्भीकता। यह गुण संसार में उन उन महान व्यक्तियों में प्रदर्शित होता हैं जो ईश्वरीय मार्ग के पथिक होते हैं। केवल और केवल सत्य से अनुराग, ईश्वर से अथाह प्रेम, आत्मा को सदा अनश्वर मानना, कर्मफल व्यवस्था में दृढ़ विश्वास, प्राणिमात्र के […]

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इतिहास के पन्नों से

महात्मा गांधी, इस्लाम और आर्य समाज, भाग – 2

  #डॉविवेकआर्य माता कस्तूरबा बा का अपने पुत्र के नाम मार्मिक पत्र -तुम्हारे आचरण से मेरे लिए जीवन भारी हो गया हैं मेरे प्रिय पुत्र हीरालाल , मैंने सुना हैं की तुमको मद्रास में आधी रात में पुलिस के सिपाही ने शराब के नशे में असभ्य आचरण करते देखा और गिरफ्तार कर लिया। दूसरे दिन […]

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आतंकवाद देश विदेश

अल्पसंख्यकों का मुस्लिम देश में भविष्य, लेखमाला -भाग- 5

  प्रेषक- डॉविवेकआर्य इस लेखमाला की यह अंतिम कड़ी है। आशा करता हूँ कि हिन्दू समाज को अभी तक यह बोध हो गया होगा की CAA/NRC क्यों आवश्यक हैं। मुसलमान इस रणनीति को भली प्रकार से समझता है। इसीलिए शाहीन बाग़ में सड़क पर बैठा है। जबकि हिन्दू युवा ticktock, whats app, you tube, PUBG, […]

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