राम और कृष्ण मानवीय संस्कृति के आदर्श पुरुष हैं। कुछ बंधुओं के मन में अभी भी यह धारणा है कि महर्षि दयानन्द और उनके द्वारा स्थापित आर्यसमाज राम और कृष्ण को मान्यता नहीं देता है।प्रत्येक आर्य अपनी दाहिनी भुजा ऊँची उठाकर साहसपूर्वक यह घोषणा करता है कि आर्यसमाज राम-कृष्ण को जितना जानता और मानता है, […]
Author: विवेक आर्य
वेदों में एक ईश्वर के अनेक नाम बताये गए है। ईश्वर का हर नाम ईश्वर के गुण का प्रतिपादन करता हैं। ईश्वर के असंख्य गुण होने के कारण असंख्य नाम है। 1- शिव –(शिवु कल्याणे) इस धातु से ‘शिव’ शब्द सिद्ध होता है। ‘बहुलमेतन्निदर्शनम्’ इससे शिवु धातु माना जाता है, जो कल्याणस्वरूप और कल्याण का […]
डॉ. विवेक आर्य पिछले दिनों करीना कपूर ने जब अपने बेटे का नाम तैमूर रखा तो देश में एक चर्चा चल पडी कि एक विदेशी आक्रांता और निर्मम हत्यारे के नाम पर कोई अपने बेटे का नाम कैसे रख सकता है? इस क्रम में यह बात तो सबने कहा कि तैमूर ने लाखों लोगों जिनमें […]
#डॉविवेकआर्य देश के इतिहास में सन् 1921 में केरल के मालाबार में एक गांव में मोपलाओं ने हिन्दू जनता पर अमानवीय क्रूर हिंसा की थी। इस घटना पर देशभक्त जीवित शहीद वीर सावरकर जी ने ‘मोपला’ नाम का प्रसिद्ध उपन्यास लिखा था। हिन्दू विरोधी इस कुकृत्य को जानने के लिए हिन्दू जनता द्वारा इस उपन्यास […]
दो शताब्दी पूर्व , ( सन् १७७८, ई० ) में जन्म लेकर , छह वर्ष की अल्पायु में ही शीतला माता के प्रकोप से दोनों आंखें खो देने वाला अनाथ बालक ब्रजलाल सारे देश की दृष्टि बन जाएगा , यह कौन कह सकता था ? माता – पिता के न रहने पर उचित देखभाल के […]
१. गर्भाधानम् संस्कार : – “गर्भस्याऽऽधानं वीर्यस्थापनं स्थिरीकरणं यस्मिन् येन वा कर्मणा, तद् गर्भाधानम् ।” गर्भ का धारण, अर्थात् वीर्य का स्थापन, गर्भाशय में स्थिर करना जिस संस्कार में होता है, इसी को गर्भाधान संस्कार कहते हैं । युवा स्त्री-पुरुष उत्तम् सन्तान की प्राप्ति के लिये विशेष तत्परता से प्रसन्नतापूर्वक गर्भाधान करे । २. पुंसवनम् […]
इतिहास की अमर गाथा
आर्यसमाज के इतिहास में अनेक प्रेरणादायक संस्मरण हैं जो अमर गाथा के रूप में सदा सदा के लिए प्रेरणा देते रहेंगे। एक ऐसी ही गाथा रोपड़ के लाला सोमनाथ जी की हैं। आप रोपड़ आर्यसमाज के प्रधान थे। आपके मार्गदर्शन में रोपड़ आर्यसमाज ने रहतियों की शुद्धि की थी। यूँ तो रहतियों का सम्बन्ध सिख […]
वर्ष 1979, जनवरी का महीना था। पश्चिम बंगाल के दलदली सुंदरबन डेल्टा में मरीचझापी नामक द्वीप पर बांग्लादेश से भागे करीब 40,000 शरणार्थी एकत्रित हो चुके थे। मुख्यतः नामशूद्र दलित हिंदुओं का यह समूह उस महापलायन के क्रम में छोटी-सी एक कड़ी थी जिसमें बंग्लादेश बन जाने के बाद से लगभग 1 करोड़ उत्पीड़ित हिंदू […]
तारीख 23 दिसंबर 1926 । दिल्ली के चांदनी चौक क्षेत्र में दोपहर के समय स्वामी श्रद्धानंद अपने घर में आराम कर रहे थे। वो बेहद बीमार थे। तब वहां पहुंचा एक व्यक्ति। नाम अब्दुल रशीद। उसने स्वामी जी से मिलने का समय मांगा। स्वामी जी ने समय दे दिया। वो उनके पास पहुंचा उन्हें प्रणाम […]
भारतीय इतिहासकार मूलत विदेशी इतिहासकारों और मुग़लों के वेतनभोगी इतिहास लेखकों का अनुसरण करते दीखते हैं। पाठ्य पुस्तकों में हो या मिडिया में हर जगह हिन्दुत्व को नीचा दिखाने की कोशिश होती है. जावेद अख्तर राजपूतों को हारा हुआ राजा बताता है तो मुगलों को अपना अब्बाजान. मनोज मुन्तशिर के मुगलों पर कडवा सच कहने […]