समाधान- आर्य (हिंदी) भाषा की लिपि देवनागरी हैं। देवनागरी को देवनागरी इसलिए कहा गया हैं क्यूंकि यह देवों की भाषा हैं। भाषाएँ दो प्रकार की होती हैं। कल्पित और अपौरुषेय। कल्पित भाषा का आधार कल्पना के अतिरिक्त और कोई नहीं होता। ऐसी भाषा में वर्णरचना का आधार भी वैज्ञानिक के स्थान पर काल्पनिक होता हैं। […]
Author: विवेक आर्य
#डॉविवेकआर्य अम्बेडकरवादी यह जानते हुए भी कि कुछ मूर्खों ने मनुस्मृति में श्लोकों की मिलावट की थी सृष्टि के प्रथम संविधान निर्माता महर्षि मनु के प्रति द्वेष वचनों का प्रयोग करने से पीछे नहीं हटते। मिलावटी अथवा प्रक्षिप्त भाग को छोड़कर बाकि सत्य भाग को स्वीकार करने में सभी का हित है। सत्य यह है […]
कुछ समय पूर्व कुरान की कुछ आयतों को हटाने के लिए श्री वसीम रिजवी द्वारा न्यायालय के द्वार खटखटाने पर देश भर में चर्चा का माहौल बना था। एक बार ओस्ट्रेलियन ब्रोडकास्टिंग कोर्पोरेशन को दिए एक इन्टरव्यू में तसलीमा नसरीन ने कहा था कि इस्लाम महिलाओं के साथ गुलामों जैसा व्यवहार करता है और यदि […]
गद्दारों के चाचा नेहरु
यहाँ कुछ नाम बहुत महत्वपूर्ण हैं। यदि पाठक इन पर ध्यान नहीं देंगे तो मेरा लिखना बेकार हो जाएगा। 1- पंडित जगतनारायण मुल्ला – पण्डित जगत नारायण मुल्ला- ब्रिटिश सरकार की ओर से सरकारी वकील थे। बिस्मिल और बाकी क्रांतिकारियों को फांसी दिलवाने मे जी जान लगा दिया। 1926 मे ब्रिटिश सरकार से काकोरी केस […]
डॉविवेकआर्य भारत जैसे बड़े देश में करोड़ों लोग वन क्षेत्र में सदियों से निवास करते है। कुछ लोग उन्हें आदिवासी कहते है क्योंकि उनका मानना है कि आदिकाल में सबसे प्रथम जनजाति इन्हीं के समान थी। कालांतर में लोग विकसित होकर शहरों में बसते गए जबकि आदिवासी वैसे के वैसे ही रहे। हम इसे भ्रान्ति […]
#बलिदान_पर्व – 9 नवंबर और 10 नवम्बर सन 1675 ई. चांदनी चौक, दिल्ली. औरंगज़ेब के शासन काल में उसकी इतनी हठधर्मिता थी, कि उसे इस्लाम के अतिरिक्त किसी दूसरे धर्म की प्रशंसा तक सहन नहीं थी. मुग़ल आक्रांता औरंगजेब ने मंदिर, गुरुद्वारों को तोड़ने और मूर्ती पूजा बंद करवाने के फरमान जारी कर दिए थे, […]
आदर्श आचार-व्यवहार (दार्शनिक विचार) प्रेषक #डॉविवेकआर्य पूर्वाभिभाषी,सुमुखः,होता,यष्टा,दाता,अतिथीनां पूजकः,काले हितमितमधुररार्थवादी,वश्यात्मा,धर्मात्मा,हेतावीर्ष्यु,फलेनेर्ष्युः,निश्चिन्तः,निर्भीकः,ह्रीमान्,धीनाम्,महोत्साहः,दक्षः,क्षमावान्,धार्मिकः,आस्तिकः,मंगलाचारशीलः ।। ―(चरक० सूत्र० ८/१८) अर्थ―मनुष्य को चाहिये कि यदि अपने पास कोई मिलने के लिए आये तो उससे स्वयं ही पहले बोले। वह सदा प्रसन्नमुख, हँसता और मुस्कराता हुआ रहे। प्रतिदिन हवन और यज्ञ करने वाला हो। मनुष्य को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान देना चाहिये, […]
बौद्धों के विनाश के लिए जिम्मेदार कौन ?
सिल्वें लेवी फ्रांसीसी प्राच्यविद्या विशारद और भारतीय विज्ञानविद् थे। फ्रांस में भारतीय धर्म पढ़ाते थे। वो नेपाली ओर तिब्बती भाषा के विद्वान भी थे। वर्ष 1998 में उन्होंने नेपाल की यात्रा की थी। एक लंबा समय नेपाल में सनातन बौद्ध और हिंदू धर्म के अध्ययन में बिताया। तत्पश्चात् उन्होंने फ्रेंच भाषा में तीन खंडों में […]
डॉ विवेक आर्य शंका- पराचीन काल में राजा लोग वैशयावृति में लिपत थे। हमारे यहा पर कामसूतर वं खजराओ कि मूरतियां हैं जोकि हमारी संसकृति का भाग हैं। वेशयावृति को सरकारी मानयता देने से AIDS, STD, ILLEGAL TRAFFICKING आदि कि रोकथाम होगी। समाधान- जो राजा लोग वेशयावृति में लिपत थे वे कोई आदरश नहीं […]
देवेन्द्रनाथ मुखोपाध्याय लिखित अप्रतिम जीवन चरित. ऋषि जीवन की सामग्री को एकत्र करके उन्होने महर्षि की प्रामाणिक और क्रमबद्ध जीवनी को लिखा। महर्षि दयानन्द सरस्वती (1825-1883) की अनुसंधानपूर्ण मौलिक जीवनी लेखकों में बंगाल निवासी बाबू देवेन्द्रनाथ मुखोपाध्याय का नाम सम्मिलित है। आपने 10 वर्षों तक देश भर में घूम कर ऋषि जीवन की सामग्री का […]