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मुद्दा

हिज़ाब से नहीं बल्कि उच्च विचारों से होगा नारी जाति का सम्मान

इस्लामिक मान्यता के अनुसार औरतों को हिज़ाब में रखने से समाज में नारी जाति का हित है। मगर देखने में यह मिलता है कि जिन देशों में हिज़ाब प्रचलित हैं उनमें बलात्कार, छेड़छाड़ जैसी घटनाएँ प्रचलित हैं। इससे यही निष्कर्ष निकलता हैं कि हिज़ाब से अधिक महत्वपूर्ण विचारों की पवित्रता है। क्यूंकि शुद्ध विचारों से […]

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भारतीय संस्कृति

आर्यसमाज हिन्दू समाज का प्रहरी है

(इतिहास का एक लुप्त पृष्ठ) #डॉ_विवेक_आर्य अविभाजित भारत में पंजाब का क्षेत्र विशेष रूप से लाहौर आर्यसमाज की गतिविधियों का प्रमुख केंद्र तो था। आर्यसमाज का प्रचार पंजाब क्षेत्र के साथ साथ सिन्ध क्षेत्र में भी खूब फैला। जिस प्रकार पंजाब की मिटटी विधर्मियों के आक्रमण से पीछे एक हज़ार वर्षों से लहूलुहान थी उसी […]

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गौ और गोवंश धर्म-अध्यात्म

क्या बृहदारण्यक उपनिषद् में गोमांस भक्षण का विधान है?

#डॉ_विवेक_आर्य (साम्यवादी बौद्धिक प्रदुषण को प्रतिउत्तर) राजेंद्रलाल मित्र ने अपनी अंग्रेजी पुस्तक ‘प्राचीन भारत में गोमांस-की भूमिका के पृ. 2-3, पाण्डुरंग वामन काणे ने अपनी अंग्रेजी पुस्तक धर्मशास्त्र के इतिहास, खंड 2, भाग 2, अध्याय 22, आर. सी. मजूमदार ने भारतीय लोगों का इतिहास एवं संस्कृति, अध्याय 21, पृ.577 (प्राचीन भारत में गोमांस-एक समीक्षा, पृ. […]

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इतिहास के पन्नों से

स्वामी श्रद्धानंद हुए थे महात्मा गांधी की राजनीति के शिकार

प्रेषकः डॉ विवेक आर्य जिन्होंने इतिहास के उन पन्नों को पलटा है, जब गांधी जी दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के विरुद्ध लड़ाई लड़ रहे थे, तब उन्होंने आर्थिक सहायता के लिये अभ्यर्थना भारत से की | उन दिनों गुरुकुल कांगड़ी में २-३ अंग्रेजी अख़बार आते थे | स्वामी श्रद्धानंद ने उन अखबारों के आधार पर […]

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आओ कुछ जाने भयानक राजनीतिक षडयंत्र

असम में ऐसे फैला ईसाई धर्म

असम में एक ईसाई धर्मप्रचारक भेजे गए थे, नाम था फादर क्रूज़ इन्हें असम के एक प्रभावशाली परिवार के लड़के को घर आकर अंग्रेजी पढ़ाने का मौका मिला, पादरी साहब धीरे-धीरे घर का मुआयना करने लगे,उन्हें पता चल गया कि, बच्चे की दादी इस घर में सबसे प्रभाव वालीं हैं, इसलिए उनको यदि ईसा की […]

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इतिहास के पन्नों से हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

स्वराज्य केसरी -आर्य नेता लाला लाजपत राय

28 जनवरी जन्मदिवस के अवसर पर सादर नमन आर्यसमाज मेरे लिए माता के सामान हैं और वैदिक धर्म मुझे पिता तुल्य प्यारा हैं- लाला लाजपत राय आज़ादी के महानायकों में लाला लाजपत राय का नाम ही देशवासियों में स्फूर्ति तथा प्रेरणा का संचार कराता है। अपने देश धर्म तथा संस्कृति के लिए उनमें जो प्रबल […]

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इतिहास के पन्नों से

जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस आए थे सातरोड हिसार

लाला हरदेव सहाय स्वामी श्रद्धानन्द जी के शिष्य थे। आप मियांवाली जेल में स्वामी जी के साथ गुरु का बाग मोर्चा सत्याग्रह के अंतर्गत बंद रहे थे। यह मोर्चा सिखों को गुरु का बाग़ गुरूद्वारे को महंतों के चंगुल से मुक्त करवाने के लिए चलाया गया था। आर्यसमाज के शीर्घ नेता और प्रधान स्वामी श्रद्धानंद […]

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इतिहास के पन्नों से

क्या धर्म अफीम है* जैसा कि कार्ल मार्क्स ने बताया है ?

कार्ल मार्क्स ने धर्म के स्थान पर मत को धर्म का स्वरुप समझ लिया । जैसा उन्होंने देखा और इतिहास में पढ़ा, उसको देख कर तो सभी कोई धर्म के विषय में इसी निष्कर्ष पर पहुँचेगा, जैसा मार्क्स ने बतलाया । कार्ल मार्क्स ने अपने चारों और क्या देखा ? मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा यूरोप, एशिया […]

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मुद्दा

धर्म और मजहब में क्या है अंतर ?

हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई आदि धर्म नहीं अपितु मत अथवा पंथ है । धर्म और मत में भेद है । १. धर्म ईश्वर प्रदत है | परन्तु शेष मनुष्य कृत मत-मतान्तर है । २. धर्म लोगो को जोड़ता है | परन्तु मत विशेष लोगो में अन्तर को, दूरियों को बढ़ावा देता है । ३. धर्म […]

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आओ कुछ जाने

भारतीय इतिहास के साथ जोर जबरदस्ती

#डॉविवेकआर्य हमारी आज की हिन्दू युवा पीढ़ी को पढ़ाया जाता है कि महान गोरी और महान गज़नी ने हमारे देश पर हमला किया था। अकबर और टीपू सुल्तान सेक्युलर शासक थे। औरंगज़ेब जिन्दा पीर था। ख्वाजा या गरीब नवाज़ हिंदुओं के लिए पूज्य है। जबकि सत्य विपरीत है। 1- मैं क्यों भूला उस काम पिपासु […]

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