प्रेरणादायक संस्मरण स्वामी दर्शनानन्द जी महाराज का सम्पूर्ण जीवन एक आदर्श सन्यासी के रूप में गुजरा। उनका परमेश्वर में अटूट विश्वास एवं दर्शन शास्त्रों के स्वाध्याय से उन्नत हुई तर्क शक्ति बड़ो बड़ो को उनका प्रशंसक बना लेती थी। संस्मरण उन दिनों का हैं जब स्वामी जी के मस्तिष्क में ज्वालापुर में गुरुकुल खोलने का […]
Author: विवेक आर्य
#डॉ_विवेक_आर्य कश्मीर फाइल्स का विरोध, हिजाब पहन कर शिक्षण संस्थान में जाने की जिद, महाविद्यालय में नमाज़ पढ़ना आदि में एक तथ्य समान है। जहाँ जहाँ मुस्लिम जनसंख्या देश में बढ़ रही है। वहां वहां विरोध के स्वर मुखर है। उत्तर प्रदेश में योगी जी चाहे दूसरी बार सत्ता में आ गए हो। अगली बार […]
डॉ. विवेक आर्य इस लेख को पढ़ने वाले ज्यादातर वे पाठक हैं जिन्होंने आजाद भारत में जन्म लिया। यह हमारा सौभाग्य है कि हम जिस देश में जन्मे हैं, उसे आज कोई गुलाम भारत नहीं कहता, उपनिवेश नहीं कहता- बल्कि संसार के एक मजबूत स्वतंत्र राष्ट्र के नाम से हमें जाना जाता है। इस महान […]
डॉ. विवेक आर्य (23 मार्च भगत सिंह के बलिदान दिवस के अवसर पर विशेष) ‘मैं नास्तिक क्यों हूँ? शहीद भगत सिंह की यह छोटी सी पुस्तक वामपंथी, साम्यवादी लाबी द्वारा आजकल नौजवानों में खासी प्रचारित की जा रही है, जिसका उद्देश्य उन्हें भगत सिंह के जैसा महान बनाना नहीं अपितु उनमें नास्तिकता को बढ़ावा देना […]
#डॉ_विवेक_आर्य हिन्दू समाज में भी यही माना जाता है कि हिंदुस्तान में जितने भी मुस्लमान सूफी, फकीर और पीर आदि हुए हैं, वे सभी उदारवादी थे। हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रतीक थे। वे भारतीय दर्शन और ध्यान योग की उपज थे। मगर यह एक भ्रान्ति है। भारत देश पर इस्लामिक आकर्मण दो रूपों में हुआ था। […]
(23 मार्च भगत सिंह के बलिदान दिवस के अवसर पर प्रकाशित) ‘मैं नास्तिक क्यों हूँ? शहीद भगत सिंह की यह छोटी सी पुस्तक वामपंथी, साम्यवादी लाबी द्वारा आजकल नौजवानों में खासी प्रचारित की जा रही है, जिसका उद्देश्य उन्हें भगत सिंह के जैसा महान बनाना नहीं अपितु उनमें नास्तिकता को बढ़ावा देना है। कुछ लोग […]
डॉ.विवेकआर्य महाराजा सह्याजी राव गायकवाड़ आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सरस्वती के शिष्य थे। स्वामी दयानन्द द्वारा “सत्यार्थप्रकाश” में बालक बालिकाओं की शिक्षा के सम्बन्ध में दिए दिशा निर्देशों को महाराजा जी ने अनुसरण किया था। स्वामी जी लिखते हैं- “आठ वर्ष के हों तभी लड़कों को लड़कों की और लड़कियों को लड़कियों की […]
मैक्समूलर के कुछ पत्र अपनी पत्नी, पुत्र आदि के नाम लिखे हुए उपलब्ध हुए हैं। पत्र-लेखक पत्रों में अपने हृदय के भाव बिना किसी लाग-लपेट के लिखता है। अतः किसी भी व्यक्ति के लिखे हुए ग्रन्थों की अपेक्षा उसके पत्रों में लिखे विचार अधिक प्रामाणिक माने जाते हैं। प्रारम्भिक विचार- मैक्समूलर के आरम्भिक काल में […]
_वासन्तीय नवसस्येष्टि होलकोत्सव की आपको और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएँ *तिनको की अग्नि में भूने हुए अधपके फली युक्त फसल को होलक(होला) कहते हैं।* अर्थात् जिन पर छिलका होता है जैसे हरे चने आदि। कईयों के मत मे रवि की फसल में आने वाले सभी प्रकार के अन्न को होला कहते है। “वासन्तीय नवसस्येष्टि […]
#डॉ_विवेक_आर्य उत्तर भारत में रहने वाले लोगों को यह संभवतः यह कम ज्ञात है कि केरल एक ऐसा भूभाग है जहाँ पर अहिन्दू (मुस्लिम +ईसाई) जनसंख्या हिन्दुओं से अधिक हैं। बहुत कम हिन्दुओं को यह ज्ञात होगा कि उत्तरी केरल के कोझिकोड, मल्लपुरम और वायनाड के इलाके दशकों पहले ही हिन्दू अल्पसंख्यक हो चुके थे। […]