#डॉविवेकआर्य इतिहास के साथ खिलवाड़ इस चरण में बुद्ध मत का नाम लेकर ईसाई मिशनरियों द्वारा दलितों को बरगलाया गया। भारतीय इतिहास में बुद्ध मत के अस्त काल में तीन व्यक्तियों का नाम बेहद प्रसिद्ध रहा है। आदि शंकराचार्य, कुमारिल भट्ट और पुष्यमित्र शुंग। इन तीनों का कार्य उस काल में देश, धर्म और जाति […]
Author: विवेक आर्य
#डॉविवेकआर्य पुणे के समीप भीमा कोरेगांव में एक स्मारक बना हुआ है। कहते है कि आज से 200 वर्ष पहले इसी स्थान पर बाजीराव पेशवा द्वितीय की फौज को अंग्रेजों की फौज ने हराया था। महाराष्ट्र में दलित कहलाने वाली महार जाति के सैनिकों ने अंग्रेजों की ओर से युद्ध में भाग लिया था। हम […]
#डॉविवेकआर्य भाग 1 आजकल देश में दलित राजनीति की चर्चा जोरों पर है। इसका मुख्य कारण नेताओं द्वारा दलितों का हित करना नहीं अपितु उन्हें एक वोट बैंक के रूप में देखना हैं। इसीलिए हर राजनीतिक पार्टी दलितों को लुभाने की कोशिश करती दिखती है। अपने आपको सेक्युलर कहलाने वाले कुछ नेताओं ने एक नया […]
अभी यूरोप, अमरीका और ईसाई जगत में इस समय क्रिसमस डे की धूम है। क्या आप जानते है कि बाइबिल के न्यू टेस्टमेंट्स के किसी भी गॉस्पेल में जीसस की जन्म तिथि अथवा ऋतु की चर्चा नही लिखी हुई है । चर्च के लोग विभिन्न मतभेदों के साथ गोस्पेल ऑफ़ ल्यूक और मैथ्यूज की फिक्शन […]
(स्वामी श्रद्धानन्द बलिदान दिवस पर विशेष रूप से प्रचारित). (प्रेरणदायक संस्मरण) स्वामी श्रद्धानन्द जी के महाराज के हिंदी प्रेम जगजाहिर था। आप जीवन भर स्वामी दयानंद के इस विचार को की सम्पूर्ण देश को हिंदी भाषा के माध्यम से एक सूत्र में पिरोया जा सकता हैं सार्थक रूप से क्रियान्वित करने में अग्रसर रहे। सभी […]
#डॉविवेकआर्य धार्मिक जगत में एक प्रश्न सदा से उठता रहता है कि क्या ईश्वर जीव के भविष्य में करने वाले कर्मों को जानता है? यह प्रश्न इसलिए महत्वपूर्ण है क्यूंकि प्राय: लोग ईश्वर को त्रिकालदर्शी बताते है। स्वामी दयानन्द इस विषय पर सत्यार्थ प्रकाश के सप्तम समुल्लास में इस प्रकार से विवेचना करते हैं। “(प्रश्न) […]
(विवेकआर्य) जलियांवाला बाग घटना। 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन अंग्रेज डायर द्वारा निहत्थे भारतीयों के खून से लिखी ऐसी दर्दनाक इतिहास की घटना है। जिसके इस वर्ष 100 वर्ष पूर्ण होने जा रहे हैं। पंजाब सहित देशभर में रौलेट एक्ट रूपी काला कानून देशवासियों को प्रथम विश्वयुद्ध में अंग्रेजों का सहयोग करने के […]
द्रोणाचार्य बनाम अम्बेडकर
हमारे कुछ दलित भाई एकलव्य के अँगूठे को लेकर बड़े आक्रोशित रहते हैं। उनका कहना है कि द्रोणाचार्य ने जातिवाद का समर्थन करते हुए अर्जुन से अधिक पात्र एकलव्य का अँगूठा इसलिए कटवा दिया क्योंकि अर्जुन उन्हें अधिक प्रिय था। वैसे तो मैं इस घटना को प्रक्षिप्त अर्थात मिलावटी मानता हूँ क्योंकि बिना सिखाये कोई […]
आर्य पुरुषों के अल्प-ज्ञात संस्मरण यह बात उस काल की हैं जब हमारे देश में लड़कियों को पढ़ाना बुरी बात समझा जाता था। स्वामी दयानंद जी द्वारा सत्यार्थ प्रकाश में किये गए उद्घोष की नारी का काम जीवन भर केवल चूल्हा चोका करना नहीं अपितु गार्गी के समान प्राचीन विदुषी बनकर अपना कल्याण करना हैं […]
भेड़ की खाल में भेड़िया
डॉ अम्बेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस पर विशेष रूप से प्रकाशित भ किसी ने मुझसे पूछा की भेड़ की खाल में भेड़िया का उदाहरण दो। मैंने कहा आज के समाज में भेड़ की खाल में भेड़िया का सबसे सटीक उदाहरण “दलित चिंतक/विचारक” हैं। जो खाते इस देश का है, आरक्षण भी इस देश लेते है और […]