जिस प्रकार किसी महान शासक के राज प्रासादों के ध्वंशावशेषों को देखकर कोई भी जिज्ञासु और अन्वेषणशील प्रवृत्ति का इतिहासकार उस शासक के उक्त राजप्रासादों की भव्यता और शोभा का अनुमान लगा सकने में सक्षम होता है उसी प्रकार किसी महान संस्कृति के पतन होने पर उसके साहित्य में, अथवा लोक प्रचलित भाषा में प्रयुक्त […]
Author: विजेंदर सिंह आर्य
भगवान बुद्घ और अंगुली माल
जो कामनाओं से भरे होते हैं, प्रभु उन्हें धन, स्त्री, पुत्र और पद-नाम के खिलौने देकर अपने से दूर रखते हैं। यदि तुम दानशील हो और दूसरों की पीड़ा को तुम अपनी पीड़ा समझते हो तो धन तुम्हारे लिए वरदान सिद्घ हो सकता है। यदि तुम उस का उपयोग ज्यादा भोग भोगने में ही करते […]
नेकी कर दरिया में डाल
गतांक से आगे : अन्त: प्रेरणा को सुनना- हम शाम को संकल्प लेते हैं और सुबह विकल्प ढूंढ़ते हैं? इसे कौन कराता है। इसे हमारा मन कराता है, क्योंकि संकल्प-विकल्प की चादर बुनना और उधेड़ना इसी का काम है, व्यापार है। इसे ऋग्वेद (10.164.1) में ‘मनसस्पते दु:स्वप्न: आदि का देव कहा है। हम दु:स्वप्न से […]
जातिवाद के प्रति आपके लगाव ने आपको आपके न्यायपथ से भटका दिया। दूसरा आकर्षण आपके लिए यह था कि आपके, आपकी जाति के लोग भी आपसे यही अपेक्षा करते हैं कि आप अपना निर्णय अपने व्यक्ति के हित में ही देंगे। यदि आप ऐसा करेंगे तो ये आपके अपने लोग आपको सम्मान देंगे और समाज […]