Categories
बिखरे मोती

बुरी आदतों से निजात कैसे मिले?

बुरी आदत चाहे शराब पीने अथवा अन्य मादक पदार्थों की हो, धूम्रपान की हो, चोरी करने, ठगी करने, झूठ व कटु बोलने, असंगत बकवास करने, चुगली निंदा करने, मांसाहार, व्याभिचार करने, घात लगाना अथवा षडयंत्र रचने, कुसंग में रहने, फिजूल खर्ची व बढ़बोलेपन की हो, शेखी बघारने अथवा अपने मुंह मियां मिठ्ठू बनने, ईष्र्या द्वेष […]

Categories
बिखरे मोती

आत्मन: प्रतिकूलानि परेषाम् न समाचरेत

आज का सभ्य संसार तनाव, दुराव और अलगाव का शिकार होकर दु:ख तकलीफों व कष्टï क्लेशों की समस्याओं से जूझ रहा है। यह अत्यंत ही दु:ख की बात है कि हम संसार में जो चाहते हैं उस आदर्श व्यवस्था को स्थापित करने के प्रति व्यक्तिगत रूप से अपनी ओर से प्रयास नहीं करते। हम अच्छा […]

Categories
बिखरे मोती

हे प्रभु! मुझे सत्य, यश और श्री दो

विजेंद्र आर्य का संरक्षक का संरक्षण अपने प्यारे प्रभु के दरबार में बैठते ही-यजमान यज्ञ से पूर्व आचमन करता है। बोलता है :-ओउम!अमृतोपस्तरणमसि, स्वाहा।इसका अभिप्राय होता है कि हे जगजननी जगदीश्वर मैं तेरी गोद में आ बैठा हूं। मानो मां की गोद में एक बच्चा आ बैठा हो। बच्चे ने अमृतमयी मां की गोद में […]

Categories
बिखरे मोती

सर्वरक्षक ओउम् का स्वरूप

संसार के रचयिता जगदीश्वर के इस सर्वोत्तम नाम में तीन अनादि सत्ता समायी हुई हैं, जिनका विस्तार से धारा प्रवाह शैली में विवेचन किया जा रहा है। जो कि निम्नलिखित है-तीन अनादि सत्ता- ईश्वर, जीव, प्रकृति।उनके प्रतिनिधि अक्षर- अ, उ, म्।अ अमृत है, म् प्रकृति है। उ अमर म् के पास रहता रहेगा तो यह […]

Categories
बिखरे मोती

शंकर

बाजार में खड़ा हूं। एक चित्रकार की दुकान है। एक चित्र पर मेरी दृष्टिï बरबस जम गयी। मैंने पूछा यह चित्र किसका है? तो दुकानदार मुस्कराया और बोला क्या आप यह भी नही जानते? यह शंकर का चित्र है। इन्हें सारी दुनिया जानती है। मैंने दुकानदार से पूछा-अरे भोले भाई शंकर कहते किसे हैं? वह […]

Categories
बिखरे मोती

इदन्न मम्-यह मेरा नहीं है

जिस प्रकार किसी महान शासक के राज प्रासादों के ध्वंशावशेषों को देखकर कोई भी जिज्ञासु और अन्वेषणशील प्रवृत्ति का इतिहासकार उस शासक के उक्त राजप्रासादों की भव्यता और शोभा का अनुमान लगा सकने में सक्षम होता है उसी प्रकार किसी महान संस्कृति के पतन होने पर उसके साहित्य में, अथवा लोक प्रचलित भाषा में प्रयुक्त […]

Categories
बिखरे मोती

भगवान बुद्घ और अंगुली माल

जो कामनाओं से भरे होते हैं, प्रभु उन्हें धन, स्त्री, पुत्र और पद-नाम के खिलौने देकर अपने से दूर रखते हैं। यदि तुम दानशील हो और दूसरों की पीड़ा को तुम अपनी पीड़ा समझते हो तो धन तुम्हारे लिए वरदान सिद्घ हो सकता है। यदि तुम उस का उपयोग ज्यादा भोग भोगने में ही करते […]

Categories
बिखरे मोती

नेकी कर दरिया में डाल

गतांक से आगे : अन्त: प्रेरणा को सुनना- हम शाम को संकल्प लेते हैं और सुबह विकल्प ढूंढ़ते हैं? इसे कौन कराता है। इसे हमारा मन कराता है, क्योंकि संकल्प-विकल्प की चादर बुनना और उधेड़ना इसी का काम है, व्यापार है। इसे ऋग्वेद (10.164.1) में ‘मनसस्पते दु:स्वप्न: आदि का देव कहा है। हम दु:स्वप्न से […]

Exit mobile version