भक्ति की पराकाष्ठा को प्राप्त करने वाले संसार में ऐसे लोग बिरले ही होते हैं जिनमें भगवान के दिव्य गुण भासने लगें। ऐसी महान आत्मा, पुण्यात्मा युगों-युगों के बाद अवतरित हुआ करती हैं जिनके चेहरे पर दिव्य तेज होता है, सौम्यता होती है, जो उनका आभामण्डल बनाती हैं जिसके कारण लोग उन्हें भगवान का प्रतिरूप […]
लेखक: विजेंदर सिंह आर्य
चीन के महान दार्शनिक कन्फ्यूशियश का नाम चीन में ही नही अपितु समस्त विश्व में बड़ी श्रद्घा और सत्कार के साथ लिया जाता है। उनकी ज्ञान की गंभीरता से प्रभावित होकर तत्कालीन चीन के सम्राट ने उन्हें तिब्बत के एक प्रांत का गवर्नर बना दिया था। वह ईश्वर भक्त और महान दार्शनिक थे। इसलिए वे […]
सावधान: मन में छिपे हैं भयंकर तूफान
मनुष्य का व्यक्तित्व बड़ा ही जटिल और गहन है। उसका आर-पार पाना बहुत ही कठिन है। मनुष्य के इस इंसानी चोले में साधु और शैतान दोनों ही छिपे हैं। वह ऊंचा उठे तो इतना ऊंचा उठे कि देवताओं को भी पीछे छोड़ दे और यदि गिरने पर आए तो वह पशुओं से भी नीचे गिर […]
प्राय: देखा गया है कि लोग ज्ञानी शब्द की गंभीरता को नही समझते। यह शब्द ही सारगर्भित है, मौलिक है। जिसका अर्थ बड़ा ही विस्तृत है, व्यापक है और आचरण से जुड़ा हुआ है। जिसकी महिमा बड़ी ही दायित्वपूर्ण है। जो लोग इसे हल्के में लेते हैं, तो लगता है उनका अध्ययन सतही है, ज्ञानी […]
विजेन्द्र सिंह आर्यसीएजी की रिपोर्ट में अब तक का बंपर घोटाला (1.86 लाख करोड़ का) कोयला घोटाला सामने आया है। 2जी स्पैक्ट्रम घोटाला (1.76 लाख) से भी बड़ा यह घोटाला संप्रग सरकार का आजादी की 65वीं वर्षगांठ पर राष्ट्र को उपहार है। इसकी काली छाया में बोलते प्रधानमंत्री के भाषण का सारे देश ने बहिष्कार […]
मिशन मंगल मानव की महान सफलता
हमेशा याद रखो, मनुष्य की जैसी मति होती है, गति वैसी ही होती है। कोई अपने आपको निर्बल और हीन समझता है तो वह आजीवन इसी अवस्था में पड़ा रहता है। प्रकृति की दिव्य शक्तियां उसका साथ छोड़ देती हैं। इस संदर्भ में कवि कितना सुंदर कहता है :-खुद यकीन होता नही, जिनको अपनी मंजिल […]
अब तनिक विचार करें पुण्य की महत्ता पर
महाभारत के दो प्रसंग बड़े ही प्रेरणादायक और अनुकरणीय हैं। पहला प्रसंग जब पाण्डुओं ने राजसूय यज्ञ किया था तब उसमें अग्र पूजा भगवान कृष्ण ने की। इस पर शिशुपाल उत्तेजित हो गया। शिशुपाल ने भगवान कृष्ण के लिए अपशब्दों का भी प्रयोग किया। भगवान कृष्ण ने उसे सौ गाली तक तो क्षमा किया किंतु […]
पुण्य कितना बड़ा रक्षक है?
मनुष्य के दुष्कर्म (पाप) जब उसे विदीर्ण करते हैं अर्थात उसके सामने आते हैं तो वे मनुष्य पर ऐसे प्रहार करते हैं जैसे भूखे भेडिय़े अपने शिकार पर टूटते हैं और उसे नोंच नोंचकर खाने लगते हैं। ऐसे वक्त में अपने भी साथ छोड़ देते हैं। सब हेय भाव से देखते हैं। जीवन नरक बन […]
प्राय: देखा गया है कि लोग आत्म केन्द्रित होने का अर्थ-अपने तक सीमित रहना मानते हैं, जिसे अंग्रेजी में रिजर्व नेचर कहते हैं। यह तो स्वार्थपरता है, अर्थ का अनर्थ है। आत्मकेन्द्रित होने से वास्तविक अभिप्राय है-अपने आत्मस्वरूप में केन्द्रित होना, अनंत आनंद में जीना, संतोष, सरसता और शांति में जीना, इसके लिए ध्यान में […]
यूनान के महान दार्शनिक प्लेटो का जन्म एथेंस में 427 ई.पू. में हुआ था। प्लेटो का जन्म एक प्रसिद्घ तथा अमीर घराने में हुआ था। बीस वर्ष की आयु में वे महान दार्शनिक सुकरात के संपर्क में आए और सुकरात की विलक्षण प्रतिभा से प्रभावित होकर उन्होंने अपने व्यक्तित्व को सुकरात के व्यक्तित्व में लीन […]