‘विशेष ‘ -भाव जब अश्रु बनते हैं:- हृदय को संवेदना, जब बनती हैं भाव। नयनों में अश्रु बनें , मिट जाता दुर्भाव॥2719॥ भाव कर्म की आत्मा है, कैसे ? कर्म की आत्मा भाव , इसके बहु आयाम। हाथ उठे प्रहार को, कभी करे प्रणाम॥2720॥ तत्त्वार्थ :- इस संसार में प्राय यह देखा जाता है मन, […]
हृदय को संवेदना, जब बनती हैं भाव।
