Categories
बिखरे मोती

एक श्रद्घा का भाव ही, नारायण तक जाए

बिखरे मोती-भाग 207 गतांक से आगे…. जर्मनी का महान कवि ‘गेटे’ ”हे परमात्मन! आप मेरी आत्माओं को सत्य और सौंदर्य से अर्थात अपने प्यार और स्नेह से भर दो, मेरे अंतर (हृदय) के पट खोल दो, मेरे मन और वाणी का अंतर मिटा दो।” सिकंदर महान का गुरू-महान विचारक अरस्तु यूनान का विश्वविख्यात दार्शनिक सुकरात […]

Categories
बिखरे मोती

जरा दिल खुदा से लगाकै तो देखो

बिखरे मोती-भाग 206 गतांक से आगे…. परमपिता परमात्मा के नाम के जाप की महिमा के संदर्भ में कवि कितना सुंदर कहता है :- जरा दिल खुदा से लगाकै तो देखो वो करता सभी की, हिफाजत तो देखो।। देने पै आये तो, दे दे वो कितना? अमीरी की उसकी, ताकत तो देखो।। जरा दिल खुदा से […]

Categories
बिखरे मोती

प्रार्थना सीढ़ी शिखर की, इसे करनी मत भूल

बिखरे मोती-भाग 205 गतांक से आगे…. सर्वदा याद रखो, मां-बाप के आंसू आपके हंसते-खेलते खुशहाल जीवन पर कभी भी आसमानी बिजली की तरह टूट पड़ेंगे, इसलिए जितना हो सके इन दो फरिश्तों (माता-पिता) का आशीर्वाद लीजिए, अभिशाप नहीं। यह अटल सत्य है कि मां-बाप के दिल से निकली हुई दुआएं कभी खाली नहीं जाती हैं। […]

Categories
बिखरे मोती

हमारे लिए माता-पिता हैं दो फरिश्ते

बिखरे मोती-भाग 204 गतांक से आगे…. वे स्वयं भूखे पेट और निर्वस्त्र रह लेंगे किंतु तुम्हें भूखे पेट और निर्वस्त्र नहीं रहने देंगे। वे स्वयं पैदल चलेंगे, मगर तुम्हें अपने कंधे पर बिठाकर दुनिया दिखाएंगे। वे तुम्हारे लालन-पालन में अथक मेहनत करेंगे, माथे से पसीना पोछेंगे, मगर फिर भी खुशी महसूस करेंगे। तुम्हारी शिक्षा, स्वास्थ्य, […]

Categories
बिखरे मोती

भूसुर हैं माता पिता, मत नहीं इन्हें रूलाय

बिखरे मोती-भाग 203 गतांक से आगे…. जैसे मछली के जिंदा रहने के लिए जल आवश्यक है वैसे ही आत्मा के रक्षण और पोषण के लिए शांति, प्रेम, प्रसन्नता अत्यंत आवश्यक है, अन्यथा आत्मा का हनन हो जाता है। कुकृत्यों के कारण आत्मा का हनन होने पर मनुष्य धनी होने पर भी अपने को निर्धन महसूस […]

Categories
बिखरे मोती

शान्ति प्रेम प्रसन्नता, आत्मा का है नीड़

बिखरे मोती-भाग 202 गतांक से आगे…. संसार में भोगेच्छा से नहीं, अपितु भगवद्इच्छा से जीओ, और ध्यान रखो, भक्ति मार्ग में प्रभाव का नहीं, स्वभाव का महत्व है। अत: अपने स्वभाव को ऐसा बनाइये, जिससे प्रभु प्रसन्न हो जायें। प्रभु का सामीप्य (प्रभु-कृपा) प्राप्त करने के लिए आवश्यक है कि भक्त का मन इतना सधा […]

Categories
बिखरे मोती

यजन भजन के योग तै, भक्ति चढ़ै परवान

बिखरे मोती-भाग 201 यहां तक कि चोरी और डाका डालने में निष्णात भी हम और हमारा समाज बनाता है। फिर मंदिर में मायावी (नकली) पूजा करने का ढोंग भी उन्हें घुट्टी में हम ही पिलाते हैं। कैसी विडंबना है? एक तरफ तो विकृत मानसिकता के लोगों की भीड़ बढ़ रही है, जबकि दूसरी तरफ नकली […]

Categories
बिखरे मोती

शिशु स्वत: ही धार्मिक, मत बना तू बेईमान

बिखरे मोती-भाग 200 गतांक से आगे…. केकैयी ने अपना स्वार्थ सिद्घि के लिए भगवान राम को वनवास दिलाया और अपने पुत्र भरत को अयोध्या का राज दिलाया। इतना ही नहीं, अपने पति दशरथ की प्राणघातिनी का आरोप भी उस पर लगता है। यह उसकी नकारात्मक सोच और स्वार्थ-सिद्घि की पराकाष्ठा नहीं तो और क्या है? […]

Categories
बिखरे मोती

मनुआ हरि को याद रख, यह माया तो भटकाय

बिखरे मोती-भाग 199 कछुआ भूले ना लक्ष्य को,  बेशक पलटी खाय। मनुआ हरि को याद रख, यह माया तो भटकाय ।। 1132 ।। व्याख्या :- प्रकृति में कछुआ एक ऐसा प्राणी है, जिसमें आत्मसंयम, परिस्थिति से तालमेल और अपने गंतव्य को न भूलने की विलक्षण शांति परमपिता परमात्मा ने उसे उपहार स्वरूप प्रदान की है। […]

Categories
बिखरे मोती

तालमेल विश्वास हो, बने प्रगति का प्रभात

बिखरे मोती-भाग 198 ठीक इसी प्रकार हमारी जीवनी नैया के भी दोनों तरफ चप्पू लगे हैं। एक है लौकिक उन्नति, भौतिक उन्नति का और दूसरा है पारलौकिक उन्नति (आध्यात्मिक उन्नति) का, कैसी हास्यास्पद स्थिति है? पाना चाहते हैं ‘आनंद’ को और चप्पू चलाते हैं, माया का, रात-दिन एक ही रट हाय माया? हाय रूपया पैसा!!! […]

Exit mobile version