संग्रह-भोग दोनों छिपे, नहीं अकेला काम। राग-द्वेष बाधा बड़ी, कैसे पाऊँ राम॥2770॥ तत्त्वार्थ: – मेरे प्रिय पाठक, उपरोक्त दोहे का मर्म समझें इससे पूर्व इस क्रम को समझेंगे तो बात समझ में आ जायेगी। वस्तु, व्यक्ति अथवा परिस्थिति के प्रति सबसे पहले मन में आसक्ति उत्पन्न होती है। आसक्ति से राग पैदा होता है। अमुक […]
