डॉ. चन्द्रकान्त राजू (लेखक प्रसिद्ध गणितज्ञ तथा उच्च अध्ययन संस्थान शिमला में टैगोर फेलो हैं।) गणित को सामान्यत: एक कठिन विषय माना जाता है। अक्सर इसके लिए शिक्षकों को दोषी ठहराया जाता है या फिर विद्यार्थी ही स्वयं को दोषी मान लेते हैं। परंतु समस्या की जड़ तक पहुंचे तो लगता है कि वास्तविक समस्या […]
Author: उगता भारत ब्यूरो
बहुत से लेख हमको ऐसे प्राप्त होते हैं जिनके लेखक का नाम परिचय लेख के साथ नहीं होता है, ऐसे लेखों को ब्यूरो के नाम से प्रकाशित किया जाता है। यदि आपका लेख हमारी वैबसाइट पर आपने नाम के बिना प्रकाशित किया गया है तो आप हमे लेख पर कमेंट के माध्यम से सूचित कर लेख में अपना नाम लिखवा सकते हैं।
डॉ राम अचल (लेखक आयुर्वेद चिकित्सक तथा वल्र्ड आयुर्वेद काँग्रेस के सदस्य हैं।) आयुर्वेद के रसाचार्यो के बीच प्राचीन भारत की एक घटना का अक्सर उल्लेख किया जाता है जिसके अनुसार एक बार मगध मे दुर्भिक्ष का प्रकोप हुआ था। वर्षा न होने के कारण सारी फसलों सहित जड़ी-बूटियाँ भी सूख गयी। भोजन के अभाव […]
ज्ञानेंद्र बरतरिया आर्यो के भारत पर आक्रमण की कथा कुछ इस प्रकार बताई जाती है। ईसा से करीब 1500 वर्ष पहले, उत्तर भारत पर आर्य नामक नस्ल के लोगों ने हमला किया था। वे गौर वर्ण के, तीखे नाक-नख्श वाले, घुड़सवार, घूमंतू जाति के बर्बर लोग थे, जो संभवत: मध्य एशिया से, या किसी और […]
अपने ससुर एवं दादा फिरोज जहांगीर गाँधी की कब्र पर फूल चढ़ाने नहीं जाओगे?” आज इंदिरा गांधी के पति, राजीव गांधी के पिता, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के ससुर, राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा के दादा फिरोज खान गांधी की पुण्यतिथि है। लेकिन आज उनकी मजार सूनी पड़ी हुई है। इलाहाबाद प्रयाग के ममफोर्डगंज इलाके […]
रवि शंकर मनुस्मृति में वर्ण की ही चर्चा है, जाति की नहीं। परंतु मनु में जन्मना जाति का निषेध अवश्य पाया जाता है। उदाहरण के लिए कहा गया है कि अपने गोत्र या कुल की दुहाई देकर भोजन करने वाले को स्वयं का उगलकर खाने वाला माना जाए (मनु 3/109)। इसका सीधा तात्पर्य है कि […]
विश्वधर्मगुरू भारत और कुम्भ प्रथा
प्रस्तुति – बाबा नंद किशोर मिश्र कुम्भ शब्द का अर्थ होता है- अमृत का घड़ा यानि ज्ञान का घड़ा और कुम्भ प्रथा का स्पष्ट अभिप्राय है, ज्ञान के घड़े का सदुपयोग। सर्वविदित है कि हमारे राष्ट्र भारत का एक नाम आदिकाल से आर्यावर्त भी है यानि हमारा राष्ट्र आर्य समुदाय बाहुल्य राष्ट्र है, जिसकी संस्कृति […]
लैटिन भाषा में एक कहावत है- वर्बा वोलांट, स्क्रिप्टा मानेंट. माने- कहे हुए शब्द ख़त्म हो जाते हैं, मगर लिखे हुए शब्द हमेशा के लिए रह जाते है। ये कहावत करीब दो हज़ार साल पुरानी है। तब आवाज़ रेकॉर्ड करने की टेक्नॉलजी नहीं थी। इसीलिए इंसान के मरने के बाद भी उसकी रिकॉर्डिंग ज़िंदा रह […]
गुंजन अग्रवाल सम्राट हेमचन्द्र विक्रमादित्य, भारतीय इतिहास के विस्मृत उन चुनिन्दा लोगों में हैं जिन्होंने इतिहास की धारा मोड़कर रख दी थी। हिंदू-सम्राट हेमचन्द्र विक्रमादित्य, पृथ्वीराज चौहान (1179-1192) के बाद इस्लामी शासनकाल के मध्य सम्भवत: दिल्ली के एकमात्र या अन्तिम हिंदू-सम्राट हुए। वह विद्युत की भांति चमके और देदीप्यमान हुए। उन्होंने अलवर (राजस्थान) के बिल्कुल […]
विवेक भटनागर शौर्य और शक्ति के प्रतीक मेवाड़ और चित्तौडग़ढ़ का अपना अस्तित्व सिर्फ किसी जौहर और युद्ध से नहीं है। हम कह सकते हैं कि यह किसी न किसी प्रकार से उत्तर भारत की स्थापत्य कला का शानदार संग्रह भी है। वैसे चित्तौड़ के निर्माता कौन थे, इसके ठोस प्रमाण कहीं से भी प्राप्त […]
गुंजन अग्रवाल महाभारत का युद्ध कब हुआ? इस यक्ष-प्रश्न का उत्तर ढूँढ़ लेने पर भारतीय इतिहास की बहुत सारी काल-सम्बन्धी गुत्थियाँ सुलझ सकती हैं। विगत दो शताब्दियों में अनेक देशी-विदेशी इतिहासकारों ने महाभारत-युद्ध की तिथि निर्धारित करने और उसके आधार पर समूचे इतिहास को व्यवस्थित करने का प्रयास किया है। पाश्चात्य इतिहासकारों ने तो भारतीय […]