मनोज कुमार भाजपा के लिए, खासतौर पर शिवराजसिंह चौहान के लिए यह मानस बन जाता तो चुनौती भरा था लेकिन उन्होंने जनता के सामने जाकर अपनी बात रखी। जनकल्याणकारी योजनाओं से आम आदमी की भलाई और प्रदेश के विकास का अपना एजेंडा रखा। आम धारणा है कि राजनीति संभावनाओं का खेल है। इस बीना पर […]
Author: उगता भारत ब्यूरो
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अजय कुमार उत्तर प्रदेश की राजनीति में जब बात पिछड़ा वर्ग की आती है तो यादव को छोड़कर अन्य पिछड़ी जातियों की सियासत काफी अलग खड़ी नजर आती है। यादव वोटर लम्बे समय से ठीक वैसे ही समाजवादी पार्टी के साथ जुड़े हुए हैं जैसे दलित बसपा का दामन थामे हैं। एक के बाद एक […]
– मुरली मनोहर श्रीवास्तव कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकति जाय… बहंगी लचकति जाय… बात जे पुछेलें बटोहिया बहंगी केकरा के जाय ? बहंगी केकरा के जाय ?….. पर्यावरण संरक्षण की बात चल पड़ी है। प्रकृति के विभिन्न तत्वों के महत्ता को फिर से लोग समझने लगे हैं। हमारी सनातन परंपरा में प्रकृति […]
हेमंत ऋतुचर्या (मार्गशीर्ष-पौष माह) वैद्य राहुल पाराशर हेमंत शीतकालीन ऋतु है। इसका समयकाल आमतौर पर नवम्बर से दिसम्बर तक जाता है, लेकिन हाल के बरसों में मौसम में हो रहे लगातार बदलाव से इसके लक्षण कुछ देर से देखे जा रहे हैं। भारतीय महीनों के हिसाब से ये समय से ये मार्गशीर्ष से पौष तक […]
मार्क्सवादी इतिहासकार प्रो. इरफान हबीब ने इलाहाबाद और फैजाबाद के नाम बदलकर प्रयागराज और अयोध्या किए जाने पर व्यंग्य किया है। उनसे आशा थी कि वह इस का स्वागत करेंगे, किंतु आम वामपंथियों की तरह हबीब में भी हिंदू-चेतना का विरोध ही सबसे प्रमुख जिद है। विदेशी आक्रमणकारियों और शासकों द्वारा थोपे गए नाम हटाने […]
त्योहार के इस मौसम में ये पता लगाना दिलचस्प होगा कि भारत ने चीन से कितना माल आयात किया. अमेज़न और फ़्लिपकार्ट पर व्हाइट गुड्स की ऑनलाइन शॉपिंग करने वालों को अंदाज़ा हो गया होगा कि ऑर्डर किए गए अधिकतर सामान पर ‘मेड इन चाइना’ की मुहर लगी हुई थी. चीन के आंकड़ों के अनुसार, […]
17 नवम्बर/बलिदान-दिवस ‘‘यदि तुमने सचमुच वीरता का बाना पहन लिया है, तो तुम्हें सब प्रकार की कुर्बानी के लिए तैयार रहना चाहिए। कायर मत बनो। मरते दम तक पौरुष का प्रमाण दो। क्या यह शर्म की बात नहीं कि कांग्रेस अपने 21 साल के कार्यकाल में एक भी ऐसा राजनीतिक संन्यासी पैदा नहीं कर […]
चलो देर आए, दुरुस्त आए। वास्तव में कांग्रेस का पतन उसी दिन से शुरू हो गया था, जिस दिन तत्कालीन अध्यक्ष सीताराम केसरी को पार्टी ऑफिस से बाहर फेंक, सोनिया गाँधी को अध्यक्ष बना दिया गया था। उसे भी बर्दाश्त किया गया, लेकिन अयोध्या में राममंदिर मुद्दे पर जनता को भ्रमित करने के साथ-साथ […]
रमेश सर्राफ धमोरा बिहार के चुनाव परिणामों ने देशभर में दरकते एनडीए के रिश्तों को एक बार फिर नए सिरे से मजबूती प्रदान की है। जनता दल (यू) को कम सीटें मिलने पर भी नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाने से भविष्य में एनडीए में और नए दलों के शामिल होने का रास्ता खुलेगा। बिहार विधानसभा […]
राजीव सचान दिल्ली-एनसीआर की नाक में दम करने और भीषण दंगों का कारण बनने वाले शाहीन बाग धरने पर सुप्रीम कोर्ट ने बीते सात अक्टूबर को यह फैसला दिया था कि विरोध प्रदर्शन के नाम पर सड़कों या फिर अन्य सार्वजनिक स्थलों पर कब्जा स्वीकार्य नहीं है। इस फैसले का पंजाब के उन किसान संगठनों […]