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आज का चिंतन

ज्योतिष की शिक्षा को क्यों अनिवार्य माना गया है?

  आचार्य अलंकार शर्मा भारतीय विद्याओं का मूल स्रोत वेद हैं। वेद की शिक्षाओं पर आधारित पुराण, इतिहास और अन्यान्य साहित्य इसके अनुपूरक हैं। सामान्यतया वेद चार हैं, यह ज्ञान लोगों को है परंतु ये क्या हैं, कैसे हैं, उन्हें पढऩे के लिए कौन सी पुस्तक पढऩी चाहिए इस जानकारी का अभाव दिखता है। वैदिक […]

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मुद्दा

धरी रह गई पुलिस की तैयारी

  _-राजेश बैरागी-_ भारत को बंद क्यों करना चाहिए? किसानों के आह्वान पर आज आम जनता ने ज्यादा कान नहीं दिया। इसलिए बंद के बावजूद भारत लगभग खुला रहा। दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के शहरों में बंद को बेअसर करने के लिए पुलिस प्रशासन ने कमर कस रखी थी। बंद को समर्थन देने वाले […]

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महत्वपूर्ण लेख

प्रधानमंत्री मोदी के सत्ता संभालने के बाद बदल गया है राजनीति का तौर तरीका

  अजय कुमार उत्तर प्रदेश में शिक्षक कोटे की जिन छहः सीटों पर चुनाव हुए उसमें से तीन पर भाजपा और एक पर सपा उम्मीदवार जीता। दो निर्दलीय शिक्षक प्रत्याशियों ने भी जीत दर्ज की। कांग्रेस प्रत्याशियों को यहां भी शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा। भारतीय जनता पार्टी ने सियासत का तौर-तरीका ही बदल […]

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आतंकवाद उगता भारत न्यूज़

‘सनातन को उखाड़ फेंकेंगे, भगवा को मिटा देंगे’ : तमिलनाडु में लगे देश विरोधी नारे

                                        IMK के प्रमुख अर्जुन संपत और VCK कार्यकर्ता (साभार: communemag) तमिलनाडु में डीएमके (DMK) और विदुथालाई चिरुथैगल कच्ची (VCK) के कार्यकर्ताओं ने जबरन इंदु मक्कल काची (IMK) के प्रमुख अर्जुन संपत का घेराव कर उन्हें बाबासाहेब […]

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Uncategorised आओ कुछ जाने

दा झंडा गीत और श्यामलाल गुप्त पार्षद

9 दिसम्बर/जन्म-दिवस झण्डा गीत और श्यामलाल गुप्त ‘पार्षद’ भारत की स्वाधीनता के युद्ध में ‘झण्डा गीत’ का बड़ा महत्व है। यह वह गीत है, जिसे गाते हुए लाखों लोगों ने ब्रिटिश शासन की लाठी गोली खाई; पर तिरंगे झण्डे को नहीं झुकने दिया। आज भी यह गीत सुनने वालों को प्रेरणा देता है। इस गीत […]

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भारतीय संस्कृति महत्वपूर्ण लेख

क्या है भारतीय शिक्षा की परंपरा की विशेषता

  डॉ. ओमप्रकाश पांडेय भारतीय परम्परा में वेद को ब्रह्माण्डीय ज्ञान के मूल स्रोत के रूप में स्वीकार करते हुए इसे ईश्वर का नि:श्वास ही माना गया है (यस्य नि:श्वसितं वेदा यो वेदोभ्योऽखिलं जगत्)। यद्यपि वेदों का प्रतिपाद्य विषय सार्वभौमिक उत्कृष्टता के समुच्चय से ही संबंधित है, जिसे देश या काल के आधार पर विभाजित […]

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भारतीय संस्कृति

कैसे बचाई जाए विलुप्त होती कला

अमरेन्द्र सुमन दुमका, झारखंड  <img class="wp-image-95353 lazy" src="data:;base64,” alt=”” width=”380″ height=”257″ data-src=”https://i2.wp.com/www.pravakta.com/wp-content/uploads/2016/10/diya.jpg?resize=380%2C257&ssl=1″ data-srcset=”https://i2.wp.com/www.pravakta.com/wp-content/uploads/2016/10/diya.jpg?w=380&ssl=1 380w, https://i2.wp.com/www.pravakta.com/wp-content/uploads/2016/10/diya.jpg?resize=120%2C81&ssl=1 120w” data-sizes=”(max-width: 380px) 100vw, 380px” data-recalc-dims=”1″ /> बड़े पैमाने पर आर्टिफिशियल (प्लास्टिक, फाइबर व अन्य मिश्रित धातुओं से निर्मित) वस्तुओं का उत्पादन और घर घर तक इनकी पहुँच से जहाँ एक ओर कुम्हार (प्रजापति) समुदाय के पुश्तैनी कारोबार को पिछले […]

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इतिहास के पन्नों से देश विदेश

तिब्बत : चीखते अक्षर , भाग – 15

  आतंक का नया दौर अगस्त 1983 के अंत में चीनियों ने दमन की नयी पारी शुरू की। शिगात्से (27/9/83) और ल्हासा (30/9/83 और 1/10/83) में मृत्युदंड देने की घटनायें हुईं। इसके पश्चात कांज़े में मृत्युदंड दिये गये साथ ही चाम्डो और ग्यात्से में और लोग बन्दी बनाये गये। चीनी बन्दी बनाये गये और मृत्युदंड […]

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आतंकवाद इतिहास के पन्नों से

इंदिरा गांधी ने जरनैल सिंह भिंडरावाले को बना दिया था एक संत से आतंकवादी

    एक समय था जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सज्जन कुमार को 1984 में सिख विरोधी दंगा के दौरान सामूहिक हत्या मामले में सजा होने की बात सोचना भी अकल्पनीय था। ध्यान देने वाली बात यह है कि इसका संज्ञान स्वयं हाईकोर्ट ने लिया था कि किस प्रकार सज्जन कुमार को कांग्रेस की ओर […]

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इतिहास के पन्नों से देश विदेश

तिब्बत : चीखते अक्षर, भाग -14

उद्योग 1976 तक तिब्बत में उद्योगों की संख्या 272 बताई जाती थी। उनमें एक डेरी प्लांट जिसमें डिब्बाबन्द सुखाये गये दूध का उत्पादन होता है, चमड़े के कारखाने और ऊन की मिलें सम्मिलित हैं। हालाँकि, जैसा कि दूसरे उद्योगों के साथ होता है, उत्पादित की गई सामग्री तिब्बत से बाहर चीन, हांगकांग और नेपाल ले […]

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