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इतिहास के पन्नों से

चौरी चौरा कांड और इतिहास की चार भूलें

इतिहास केवल वह नही हैं जो हमें पढ़ाया गया वरन असल इतिहास वह हैं जो हमसे छुपाया गया। उन्ही में से एक हैं चौरी चौरा कांड। ये इतिहास की भयंकर भूले ही कही जाएंगी कि 4 फरवरी 1922 में घटित घटना में उन अंग्रेजी हुकूमत के पुलिस कर्मियों के शहीद स्मारक बना दिए गये जिन्होंने […]

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इतिहास के पन्नों से

क्या महर्षि दयानंद की तत्कालीन वायसराय गवर्नर जनरल लार्ड नॉर्थब्रुक से भेंट हुई थी?

———————– – डॉ. भवानीलाल भारतीय अम्बाला निवासी दीवान अलखधारी नामक एक सज्जन ने मेरठ कॉलेज मेरठ की पत्रिका में 1963 में एक लेख प्रकाशित कराया जिसका शीर्षक था – Dayanand : Political Genius. इसमें उन्होंने महर्षि दयानन्द के 1873 के कलकत्ता प्रवास के समय की एक घटना का उल्लेख किया जिसके अनुसार महर्षि ने भारत […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

धर्म और देश भक्ति के गायक कवि प्रदीप

6 फरवरी/जन्म-दिवस फिल्म जगत में अनेक गीतकार हुए हैं। कुछ ने दुःख और दर्द को अपने गीतों में उतारा, तो कुछ ने मस्ती और शृंगार को। कुछ ने बच्चों के लिए गीत लिखे, तो कुछ ने बड़ों के लिए; पर कवि प्रदीप के लिखे और गाये अधिकांश गीत देश, धर्म और ईश्वर के प्रति भक्ति […]

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आओ कुछ जाने आर्थिकी/व्यापार

प्राइवेट बैंकों का कर्जा और उत्पीड़न झेलते मध्यम वर्ग के लोग

रिजवान अंसारी बैंक कर्ज या साहूकारों से मिलने वाले ऋण के सिलसिले में आमतौर पर किसानों और मजदूरों की बदहाली पर चर्चा होती है। इन बहसों के शोर में प्राइवेट बैंक कर्ज के चलते उत्पीड़न झेल रहे मध्यम वर्ग की पुकारें कहीं दबती हुई दिख रही हैं। बैंकों के इस उत्पीड़न की गंभीरता का पता […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र

किसान आंदोलन का अंतरराष्ट्रीय करण करके देश को बदनाम करने की की जा रही है कोशिश

प्रो0 सुधांशु त्रिपाठी सबसे बड़ी समस्या ये है कि लगभग सभी राजनीतिक दल या दबाव समूह प्रत्येक राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक या धार्मिक मुद्दे का केवल संकीर्ण दलीय नजरिये से देखते हैं। उनके सामने राष्ट्रहित की रक्षा या जनहित की वास्तविक साधना का उद्देश्य हमेशा गौण रहता है। किसानों के नाम पर छद्म भेषधारी उपद्रवियों और […]

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महत्वपूर्ण लेख

भारत में परिपक्वता की छाप छोड़ने में सफल हुआ है लोकतंत्र

विवेक काटजू प्रवासी भारतीय दिवस से जुड़े सम्मेलन में गत 9 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में भारतीय लोकतंत्र से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण वास्तविकताओं पर प्रकाश डाला। चूंकि कुछ दिन बाद ही देश अपने गणतंत्र की वर्षगांठ मनाने जा रहा है तो इन तथ्यों की प्रासंगिकता और बढ़ जाती है। मोदी ने […]

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देश विदेश

बर्मा में तख्तापलट का क्या असर पड़ेगा भारत बर्मा संबंधों पर

रमेश ठाकुर सवाल उठता है कि म्यांमार में सैन्य तख्तापलट होने के बाद भारत से कैसे रहेंगे रिश्ते? इसको लेकर भारत सरकार का चिंतित होना स्वाभाविक भी है। जिस देश ने दुर्दांत सोच और लाचार सिस्टम को संभालने में इतनी मेहनत की लेकिन अचानक उस पर पानी फिर गया। बामुश्किल भारत के अथक प्रयासों से […]

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आर्थिकी/व्यापार

देश की वर्तमान अर्थव्यवस्था की दशा सुधारने में बहुत सहायक होगा यह बजट

ललित गर्ग कोरोना महामारी के कारण चालू वित्त वर्ष में आर्थिक क्षेत्र में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिले, लेकिन इन सब स्थितियों के बावजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण इस बजट के माध्यम से देश को स्थिरता की तरफ ले जाते दिखाई पड़ रहे हैं। भारत भविष्य की आर्थिक महाशक्ति बनने का सपना […]

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आर्थिकी/व्यापार राजनीति

जब 26 नवंबर 1947 को हुआ था भारत का पहला बजट पेश

साल 2021 का पहला आम बजट पेश हो गया। इस बजट से देश को बड़ी उम्मीद रहीं क्योंकि देश कोरोना महामारी का सामना करते हुए एक बार फिर तेज दौड़ लगाने की तैयारी में है। आजादी के बाद यह पहला मौका बताया जा रहा है जब हर शख्स दबाव में है। वैसे देश का पहला […]

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प्रमुख समाचार/संपादकीय

बहुत जरूरत है सरकारी तंत्र में सुधार की

अभिनव प्रकाश पिछले कुछ दशकों में अर्थव्यवस्था और समाज में भारतीय राज्य की भूमिका के बारे में सार्वजनिक विमर्श एक गलत परिपाटी पर चला गया है। नेहरूवादी राज्य और समाजवादी नीतियों की विफलता ने सरकार और विशेष रूप से सरकारी कर्मचारियों के विरुद्ध एक प्रतिक्रिया को उत्पन्न किया। लाइसेंस-कोटा परमिट राज, अक्षम नौकरशाही और बेलगाम […]

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