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देश विदेश

तिब्बत : चीखते अक्षर, भाग- 9

दलाई लामा ने बताया है कि 1950 के पहले तिब्बत में लगभग 600000 बौद्ध भिक्षु थे। अधिकांश को जेल में डाल दिया गया, यातनायें दी गईं या वे सामूहिक नरसंहार का शिकार हुये। बौद्ध मठों जैसे द्रेपुंग, सेरा, गादेन, लिथांग, दर्जे, बाथांग, चाम्डो, ताशि क्यिल, कुबुम आदि से भारी संख्या में भिक्षु ग़ायब हो गये […]

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इतिहास के पन्नों से

हिन्दू धर्म के प्रति निष्ठावान होने के कारण डॉ राजेंद्र प्रसाद होते रहे थे मुस्लिमपरस्त नेहरू से सदा अपमानित

देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्रप्रसाद की मृत्यु हिंदुत्व का साथ देने की वजह से हुई !!! सोमनाथ मंदिर के लिए डॉ. राजेंद्र प्रसाद व सरदार पटेल को बड़ी कीमत चुकानी पड़ी ये जगजाहिर है कि जवाहर लाल नेहरू सोमनाथ मंदिर के पक्ष में नहीं थे। ऐसा माना जा रहा है की महात्मा गांधी की […]

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Uncategorised आर्थिकी/व्यापार

विकास की मरीचिका में फंसा हुआ देश

प्रो. कुसुमलता केडिया लेख का शीर्षक शायद अटपटा लगे, क्योंकि हम सभी – सामान्य जन हों या अर्थशास्त्री, पत्रकार हों, राजनेता या प्रशासक, इतिहासकार हों या समाजशास्त्री या वैज्ञानिक – हम सभी इस बहस में उलझे हैं कि देश का विकास कैसे हो? इसे सबके लिए उपलब्ध कराने हेतु कौन सा मार्ग अपनाया जाय? पूंजीवादी, […]

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कृषि जगत

आखिर किन कारणों को लेकर कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं किसान?

केन्द्र सरकार सितंबर माह में 3 नए कृषि विधेयक लाई थी, जिस पर राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद वे कानून बन चुके हैं. लेकिन किसानों को ये कानून रास नहीं आ रहे हैं. उनका कहना है कि इन कानूनों से किसानों को नुकसान और निजी खरीदारों व बड़े कॉरपोरेट घरानों को फायदा होगा. किसानों […]

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देश विदेश

तिब्बत : सीखते अक्षर, भाग – 8

जनसंख्या विस्थापन और असंतुलन निश्चित रूप से यह बताना सम्भव नहीं है कि पिछले 30 वर्षों में कितने तिब्बती मर मरा गये लेकिन इस संख्या के दस लाख तक होने की सम्भावना है। शांति हेतु एशियाई बौद्ध सम्मेलन(1982) के अंतरराष्ट्रीय सचिवालय के दलजीत सेन अदेल ने अनुमान लगाया कि पिछले तीन दशकों में कम्पूचिया और […]

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देश विदेश

तिब्ब्त : चीखते अक्षर , भाग – 7

सांस्कृतिक क्रांति जैसा कि बताया जा चुका है सांस्कृतिक क्रांति के पहले ही तिब्बती संस्कृति का अधिकांश ध्वस्त किया जा चुका था। यह दौर तिब्बतियों द्वारा झेले गये मनोवैज्ञानिक उत्पीड़न की चरम गहराई को चिह्नांकित करता है। धर्म का पालन एकदम असम्भव बना दिया गया, व्यक्तिगत सम्बन्ध, केश-सजा, वेश भूषा, व्यक्तिगत आदतें और यहाँ तक […]

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महत्वपूर्ण लेख

खिसकती जा रही है ममता बनर्जी के हाथ से बंगाल की सत्ता?

विष्णुगुप्त क्रांति काल और शांति काल की राजनीति में अंतर होता है। क्रांति काल की राजनीति की सीमाएं अराजक भी होती हैं, उफान वाली भी होती हैं, हिंयक भी होती हैं, सारी मान्यताओं और परमपराओं को तोड़ने वाली होती है जबकि शांति काल की राजनीति न तो अराजक होती है और न ही मान्यताओं और […]

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स्वास्थ्य

पेरासिटामोल और हल्दी में क्या है समानता

  हल्दी के फायदों पर पिछले दिनों हुई एक रिसर्च में खुलासा हुआ है कि अगर कोई इंसान दर्द में जल्दी आराम पाने के लिए पैरासिटामोल और आईबूप्रोफेन की जगह हल्दी लेता है तो यह ज्यादा फायदेमंद होता है। भारतीय घरों में होने वाले देसी इलाजों का फायदा अब दुनियाभर के डॉक्टर और विशेषज्ञ भी […]

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इतिहास के पन्नों से स्वर्णिम इतिहास

भारतीय नौसेना के भीष्म पितामह हैं छत्रपति शिवाजी महाराज

  ज्ञानेंद्र बरतरिया छत्रपति शिवाजी महाराज आज अपने वक्त से ज्यादा प्रासंगिक हैं। छत्रपति शिवाजी ने युद्ध, राजनीति-कूटनीति और सौहार्द की जो नीतियां गढ़ीं, जो परंपराएं स्थापित कीं- उन्हें सोलहवीं सत्रहवीं सदी के भारत में भले जितना समझा गया हो लेकिन उनके विचारों, नीतियों को बीसवीं-इक्कीसवीं सदी तक दुनिया में सबसे ज्यादा अहमियत दी जा […]

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देश विदेश

तिब्बत : चीखते अक्षर , भाग- 6

युद्ध के दौरान चीनियों के अत्याचार इतने वीभत्स थे कि कई वर्षों तक तिब्बती कम्युनिस्ट नेता और तिब्बती राजनीतिक सलाहकार समिति के महत्त्वपूर्ण उपाध्यक्ष पद पर रहे फुंत्सोक वांग्याल को भी उन अत्याचारों का विरोध करने और तिब्बती स्वतंत्रता आन्दोलन से सहानुभूति प्रदर्शित करने के लिये बन्दी बना लिया गया। ल्हासा में पी एल ए […]

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