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आओ कुछ जाने

सिक्कों की पहचान का लुप्त ग्रंथ : रूपसूत्र

प्राचीन काल में जबकि अलग- अलग इलाकों में अलग-अलग सिक्कों का व्यवहार था, तब सिक्कों के मानक रूप, उनके ऊपर अंकित चिह्नों के अभिप्राय, उनके प्रचलन इलाकों और उन इलाकों की भौगोलिक स्थिति की जानकारी देने वाला एक ग्रंथ था : रूपसूत्र। आज यह ग्रंथ हम खो चुके हैं और इसकी जानकारी तक हमें नहीं […]

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इतिहास के पन्नों से

हड़प्पा सभ्यता के बारे में विशेष जानकारी

हड़प्पा का नाम सुनते ही क्या याद आता है ? पुरानी सभ्यता, भारतीय इतिहास और इन सब का बंटवारे में पकिस्तान चले जाना ? 1947 के बाद से इनपर काफी सर्वे हुआ है | पाकिस्तान में करीब 800 और इसी कालखंड के अवशेषों वाली जगहें मिली थी और भारत में ASI ने करीब 2000 इलाकों […]

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आतंकवाद

पुलवामा एक आक्रमण नहीं एक सबक था

पुलवामा आक्रमण केवल एक घटना नहीं थी, पुलवामा आक्रमण एक सबक था कि जबतक आपके पड़ोस में पाकिस्तान जैसा क्रूर आतंकी देश है, तबतक शांति, सद्भाव और भाईचारे की बात सिवाय बौद्धिक छिनरपन के और कुछ नहीं। पाकिस्तान किसी देश का नाम नहीं है, एक आतंकी विचार का नाम है। एक ऐसा विचार, जो जन्म […]

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इतिहास के पन्नों से

बस्तर के इतिहास पर गहरी छाया है रामायण की

राजीव रंजन प्रसाद रामायण को ले कर प्रगतिशील कहे जाने वाले समाज के अपने पूर्वाग्रह हैं तथा उसके बीच अंतर्निहित अतीत की ओर कोई शोध भरी दृष्टि से देखने का जोखिम नहीं उठाना चाहता। धार्मिक समाज भी मन की गुफाओं में प्रसन्न है; वह सदियों से स्थापित कविता की कल्पनाशीलता से बाहर नहीं आना चाहता […]

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भारतीय संस्कृति

वैलेंटाइन डे और भारत की परंपरा

बालमुकुंद आखिर वैलंटाइन डे आ पहुंचा। यह भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं है। यह ल्यूपरसेलिया नामक एक प्राचीन रोमन त्योहार है, जो 14 वीं शताब्दी तक आते-आते प्रेम की अभिव्यक्ति के दिन में बदल गया। यहां वह अब इतना प्रचलित हो चला है कि संस्कृति के रक्षकों को पहरेदारी करनी पड़ती है। लेकिन भारत में […]

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मुद्दा

उत्तराखंड में घटी घटना की ओर संकेत कर रही है?

अनिल पी जोशी चिपको आंदोलन की जमीन रैणी और लाता में ऋषिगंगा नदी पर बने बांध का बह जाना कई सवाल खड़े करता है। पहला सवाल तो यही बनता है कि क्या हिमालय से जुड़े गाद-गदेरों और नदियों को बांधों की कतारों से बांध देना उचित है? और अगर हमने ऐसा किया है तो क्या […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

महाराजा सूरजमल जाट : 13 फरवरी जन्म दिवस पर विशेष

मुगलों के आक्रमण का प्रतिकार करने में उत्तर भारत में जिन राजाओं की प्रमुख भूमिका रही है, उनमें भरतपुर (राजस्थान) के महाराजा सूरजमल जाट का नाम बड़ी श्रद्धा एवं गौरव से लिया जाता है। उनका जन्म 13 फरवरी, 1707 में हुआ था। ये राजा बदनसिंह ‘महेन्द्र’ के दत्तक पुत्र थे। उन्हें पिता की ओर से […]

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राजनीति

लोकसभा में कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने दिखाया अपना असली रूप

कांग्रेस कब राहुल गाँधी को राजनीति की शिक्षा देगी, अगर परिवार की गुलामी इस बात की आज्ञा नहीं दे रही, निश्चित रूप से कांग्रेस का डूबना निश्चित है। अभी तक दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को ‘पलटीमार’ की महारत थी, लेकिन फरवरी 11 को लोकसभा में केजरीवाल को भी पीछे छोड़ दिया। जो बजट पर […]

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मनु और भारत की जातिवादी व्यवस्था विविधा

दूध का दूध और पानी का पानी

6 दिसंबर 1956 को माननीय डा. अंबेडकर जी का देहावसान हुआ । कानपुर के वैदिक गवेषक पंडित शिवपूजन सिंह जी का चर्चित ‘भ्रांति निवारण’ सोलह पृष्ठीय लेख ‘सार्वदेशिक ‘ मासिक के जुलाई-अगस्त 1951अंक में उनके देहावसान के पांच वर्ष तीन माह पूर्व प्रकाशित हुआ । डा. अंबेडकर जी इस मासिक से भलीभांति परिचित थे और […]

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राजनीति विविधा समाज

प्रश्नों से परे है भारतभक्ति

देश में एक बहस प्रारम्भ करने की कोशिश की गई है, किसका भारत चाहिए, गांधी का या भागवत का? मुझे लगता है कि एक बेमानी बहस बेईमान मानसिकता के साथ शुरू की जा रही है। भारत को बनाने की बात की जाती है तो जिन महापुरुषों के कारण आज भारत सनातन बना हुआ है उनको […]

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