अशोक मधुप शिक्षकों को छात्रों को बताना होगा कि वे अपने माता−पिता, परिवारजन को कोरोना के टीकाकरण का लाभ बताएं। उनसे कहें कि अपने परिवार जनों, रिश्तेदारों, पड़ौसी, मिलने वालों को टीकाकरण के लिए समझाएं। जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाई, उन्हें वैक्सीन लगवाएं। कोरोना की तीसरी लहर को रोकने के लिए देश को तेजी से वैक्सीन […]
Author: उगता भारत ब्यूरो
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प्रो. संजय द्विवेदी योग को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिलने के बाद पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है। भारत के योगशिक्षकों की पूरी दुनिया में मान्यता बढ़ी है। भारतीय मूल के योगशिक्षकों या भारत में प्रशिक्षित योग शिक्षकों को लोग अधिक भरोसे से देखते हैं। भारतीय ज्ञान परंपरा में योग एक अद्भुत अनुभव है। योग […]
नंदकिशोर श्रीमाली हम सब जानते हैं जल है तो कल है। जहां जल नहीं है वहां जीवन नहीं है। इसलिए वैज्ञानिक यह खोजने में लगे हुए हैं कि पृथ्वी के अतिरिक्त और किन ग्रहों पर जल है जिससे वहां जीवन की संभावना खोजी जा सके। पुराणों के अनुसार इस संसार का निर्माण जल के बिना […]
अवधेश कुमार नरेंद्र मोदी सरकार और बीजेपी इस समय जिन विकट परिस्थितियों और कठिन चुनौतियां से घिरी है कुछ महीनों पूर्व तक उसकी कल्पना नहीं थी। आप सोचिए, सामान्य स्थिति में अगर तृणमूल कांग्रेस के नेता दावा करते कि बीजेपी के अनेक विधायक, सांसद और नेता हमारे संपर्क में हैं और वे शीघ्र पार्टी में […]
‘योगस्थः कुरु कर्माणि’
प्रभुनाथ शुक्ल भारत की समस्त सृष्टि और संस्कार में योग समाहित है। योग विकारों से मुक्ति का मार्ग है। योग हमारा आध्यात्मिक और वैज्ञानिक ज्ञान है। योग की सार्थकता को दुनिया के कई धर्मों ने स्वीकार किया है। यह सिर्फ व्यायाम का नाम नहीं बल्कि मन, मस्तिष्क, शारीरिक और विकारों को नियंत्रित करने का माध्यम […]
प्रियांशु सेठ (विश्व योग दिवस पर विशेष रूप से प्रकाशित) आज की विकट सामाजिक परिस्थिति में वैदिक धर्म संस्कृति, सभ्यता, रीति-नीति, परम्पराएं आदि लुप्तप्राय: हो गयी हैं। इसके विपरीत केवल भोगवादी और अर्थवादी परम्पराओं का अत्यधिक प्रचार-प्रसार हो रहा है। ब्रह्म विद्या दुर्लभ होने का यह एक प्रमुख कारण है। स्थायी सुख-शान्ति की प्राप्ति […]
स्व० स्वामी वेदानन्द ‘वेदतीर्थ’ ने देश विभाजन से पूर्व मुलतान (अब पाकिस्तान में) की आर्यसमाज में उपदेश देते हुए सत्यार्थ प्रकाश की गरिमा एवं महत्ता विषयक् रोचक संस्मरण सुनाया था, जो इस प्रकार है- “मैं एक बार हरिद्वार के मायापुर क्षेत्र में घूम रहा था। मैंने देखा कि कुछ सनातनी साधु ‘सत्यार्थ प्रकाश’ लेकर आ […]
सार वीर सावरकर ने मौलवी अहमदुल्लाह शाह के लिए अपनी किताब ‘1857 स्वातंत्र्य समर’ में पूरा एक अध्याय रखा है, और वो अध्याय रानी लक्ष्मीबाई के अध्याय से पहले लिखा है। ये किताब उस समय की घटनाओं का सजीव चित्रण करती है। इस पुस्तक में केवल मौलवी अहमदुल्लाह ही नहीं अजीमुल्लाह खान, खान बहादुर खान […]
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून पर विशेष * संजय पंकज मनुष्य,प्रकृति,सृष्टि और परमात्मा के बीच एक निरंतरता का जो अटूट संबंध है उस संबंध को संवेदनशीलता के साथ जानने समझने और अनुभूत करने के लिए योग सबसे बड़ा माध्यम है। योग केवल कर्म का कौशल ही नहीं धर्म का यथार्थ बोध और मर्म का साक्षात्कार […]
〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ प्राचीनकाल में जब मंदिर बनाए जाते थे तो वास्तु और खगोल विज्ञान का ध्यान रखा जाता था। इसके अलावा राजा-महाराजा अपना खजाना छुपाकर इसके ऊपर मंदिर बना देते थे और खजाने तक पहुंचने के लिए अलग से रास्ते बनाते थे। इसके अलावा भारत में कुछ ऐसे मंदिर भी हैं जिनका संबंध न तो […]