लखीमपुर काण्ड का मुख्य उद्देश्य – केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री मनोज मिश्रा को उनके पद से हटाना, क्योंकि मनोज मिश्रा ने ऐसा बयान दिया था कि तराई में अवैध कब्जेधारी खालिस्तानियों और अफजल गुरु के समर्थक भयग्रस्त हो गये थे, ऐसे में हाइकमान राकेश टिकैत से विचार विमर्श के बाद लखीमपुर काण्ड कि पटकथा लिखी […]
Author: उगता भारत ब्यूरो
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इतिहास छल करने का प्रपंच
विकास सारस्वत केरल में वर्तमान कम्युनिस्ट सरकार ने केरल में पत्तनम में एक पामा NGO द्वारा उत्खनन की रिपोर्ट को आधार बनाकर यह सिद्ध करने का प्रयास यह स्थल ईसा पूर्व 1000 वर्ष पुराना है। पुरातत्व विभाग द्वारा इस उत्खनन को न मान्यता नहीं दी गई है और न ही कोई विशिष्ट पुरातत्व अनुसन्धान कर्ता […]
-भगवान श्री राम के छोटे भाई श्री लक्ष्मण के लक्ष्मणपुर यानी लखनऊ को नवाबों की नगरी बताकर… इतिहास का सबसे बड़ा इस्लामिक प्रोपागेंडा चलाया गया -पूरा का पूरा पुराना लखनऊ इस्लामिक हमले के पूर्व के हिंदू राजाओं के द्वारा बसाया गया था… यहां के महल जिन्हें अब इमामबाड़े (जहां कभी कोई इमाम नहीं रहा) कहा […]
लखीमपुर हत्याकांड की पृष्ठभूमि…* योगी बाबा ने सांपों के बिल में तेज़ाब डाल दिया है। अतः सांप अब बिलबिलाते फुफकारते हुए बाहर निकल रहे हैं… धीरे धीरे ही सही, लेकिन एक तथ्यात्मक सवाल की चर्चा तो अब शुरू हो गयी है कि 1947 के बाद पाकिस्तान से आए हुए जिन सिक्ख शरणार्थियों को उत्तरप्रदेश के […]
राममंदिर विध्वंस एवं तुलसीदास
-अरुण लवानिया आपको कुछ मुसलमान और कम्युनिस्ट यह चिल्लाते दिखेंगे कि अगर बाबर ने हिन्दू मंदिर तोडा होता तो तुलसीदास ने लिखा होता। मगर इसका कोई प्रमाण रामचरितमानस में नहीं मिलता। सत्य यह है कि तुलसीदास जी ने बाबर के हाथों राममंदिर विध्वंस का वर्णन लिखा था। यह वर्णन रामचरितमानस में नहीं अपितु दोहा शतक […]
पितर, श्राद्ध और तर्पण के सत्य वैदिक स्वरूप महर्षि दयानन्द सरस्वती जी के अनुसार, “श्रत्सत्यं दधाति यया क्रियया सा श्रद्धा, श्रध्दया यत्क्रियते तच्छ्राध्दम् |” अर्थात जिससे सत्य को ग्रहण किया जाये उसको ‘श्रद्धा’ और जो-जो श्रद्धा से सेवारूप कर्म किये जाए उनका नाम श्राद्ध है । “तृप्यन्ति तर्पयन्ति येन पितृन् तत्तर्पणम् |” अर्थात जिस-जिस कर्म […]
जगदीश रत्तनाणी कांग्रेस ही है जिसने देश को सोवियत संघ के तरीके वाली पंचवर्षीय योजनाएं, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों को सम्मानजनक ऊंचाइयां दीं और गरीबी की समस्या से निपटना शुरू किया। यह कांग्रेस ही थी जिसने तिजोरी खाली होते हुए भी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए 1991 में ‘नव उदारवादी नीतियों’ पर चलने का मार्ग […]
🙏बुरा मानो या भला 🙏 —मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री” माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने 4 अक्टूबर 2021 को तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में एक किसान संगठन की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि “जब तीनों कृषि कानूनों पर रोक लगा दी गई है, तो किसान संगठन किसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.” […]
प्रमोद भार्गव टैक्स हैवन यानी कर के स्वर्ग माने जाने वाले देशों में गुप्त संपंत्ति बनाने की पड़ताल से जुड़े दस्तावेजों में 300 प्रतिष्ठित भारतीयों के नाम हैं। इनमें प्रसिद्ध व्यवसायी अनिल अंबानी, विनोद अडाणी, समीर थापर, अजीत केरकर, सतीश शर्मा, किरण मजूमदार शॉ, पीएनबी बैंक घोटाले के आरोपी नीरव मोदी की बहन पूर्वी मोदी, […]
‘सिटिज़न जर्नलिज़्म’ की संभावना व भूमिका
डॉ. पवन सिंह मलिक हम नागरिक पत्रकार क्यों बने ? इस एक प्रश्न के सही चिंतन व विश्लेषण से ही सार्थक नागरिक पत्रकार बनने की दिशा तय होती है। तभी नागरिक पत्रकार किसी मीडिया संस्थान से न जुड़े होने के बावजूद भी निष्पक्ष भाव से समाचार सामग्री का सृजन कर पायेगा। सिटिज़न जर्नलिज़्म शब्द जिसे […]