रवि शंकर बाप बड़ा न भैय्या, सबसे बड़ा रुपैय्या। यह कहावत जिसने भी बनाई होगी, उसने सोचा नहीं होगा कि कभी एक समय पूरा देश उसकी कहावत के पीछे ही चलेगा। रुपैय्या यानी कि धन औप धन अर्थात् अर्थतंत्र। अर्थतंत्र यानी धन कमाना, धन व्यय करना, धन संग्रह करना, धन का वितरण करना। भारतीय शास्त्रों […]
Author: उगता भारत ब्यूरो
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आलोक देवता आओ
* संजय पंकज सूर्य चंद्र की किरणें आओ! आओ गगन धरा पर आओ! आओ नवरस नवलय आओ! आओ दिग्दिगंत पर आओ! जगमग जग को कर जाओ! आलोक देवता आओ !! हर आंगन में मन प्रांगण में उजड़े उजड़े वन कानन में, बहुरंगे फूल खिलाओ! आलोक देवता आओ! तम गहरा है गम ठहरा है कदम-कदम निर्मम […]
दिया जलाए जलते रहना
* संजय पंकज रात अंधेरी दिया जलाए साथी तुम चलते रहना! दूर गगन में सूरज डूबा दिन का संबल टूट गया पनघट से घट लेकर लौटा जल में ही जल छूट गया दिल में अपने दर्द दबाए यादों में ढलते रहना! नहीं धरा से बढ़कर कोई जो थामे आधार बने लहर लहर से अपने चूमे […]
दीप राग बज उठे
<img src=”https://www.ugtabharat.com/wp-content/uploads/2021/10/IMG-20211030-WA0015-300×198.jpg” alt=”” width=”300″ height=”198″ class=”alignright size-medium wp-image-45881″ /> * संजय पंकज एक दीप द्वार पर एक दीप देहरी! दीप दीप जल गए रौशनी हरी हरी! दूर – दूर भूमि यह दीखती कि झूमती कि केंद्र की कील पर मंद – मंद घूमती तान – तान मधुरिमा ज्योति-लय विभावरी! आंख आंख नूर से कोहिनूर बन […]
-जब पाकिस्तान जीता तो हिंदुस्तान में रहने वाले मुसलमानों ने कल जमकर पटाखे फोड़े और आतिशबाजी की… कल दिल्ली में उन इलाकों से पटाखों की आवाजें आती रहीं जहां शाहीनबाग आंदोलन का सबसे ज्यादा जोर था और ऐसा लगा कि ये कोई पटाखों की आवाज नहीं है… ये उन अदृश्य जूतों की आवाज थी जो […]
परिवर्तन प्रकृति का अनिवार्य नियम है। उदाहरण के तौर पर बिहार में “एल्युमीनियम का कटोरा थमा देना” का मजाक चलता है। हमेशा से ऐसा नहीं था। जब 1807 में सर हम्फ्री डेवी ने एल्युमीनियम की वैज्ञानिक नियमों के आधार पर परिकल्पना की तब तक एलेक्ट्रोलायसिस नाम की विधि का किसी को पता ही नहीं था। […]
जजमानी व्यवस्था बनाम बाजार
जजमानी व्यवस्था बनाम बाजार “मतोली कोंहार खांचा भर दियली, कोसा, घंटी, खिलौना, गुल्लक लिए दरवाजे बइठे हैं। बच्चों की रूचि बार बार घंटी बजाने और मिटटी के खिलौनों को देखने और छूने में है। बीच बीच में मतोली डपट लगाते जा रहे हां हां गदेला लोगन खेलौना जादा छू छा जिनि करा टूटि जाये । […]
सफेद शुगर अर्थात गेहूं का आटा
बहुत पुरानी बात नही है ये …… 1960 तक भारत मे गेहूं का आटा जिससे पूड़ियाँ बनती थीं , साल में बमुश्किल एकाध बार जब कभी कोई शादी बियाह य्या काज प्रयोजन होता तो पूड़ियाँ बनती थीं ……. अंग्रेजों के मानसिक गुलाम ही गेहूं की रोटी खाते थे ……. शेष भारत , आम जन सब […]
कश्मीर का प्राचीन इतिहास अनिरुद्ध जोशी जब हम कश्मीर बोलते हैं तो उसमें लद्दाख के हिस्से नहीं आते हैं। हम जम्मू और कश्मीर में से कश्मीर के प्राचीन और पौराणिक इतिहास की बात करेंगे, लेकिन इसके इतिहास के कुछ हिस्से जम्मू से भी जुड़ते हैं। कहते हैं कि कश्मीर भारत का सबसे प्राचीन जनपद रहा […]
उत्तम संतान और गर्भ विज्ञान का रहस्य
डॉ. उमंग जे. पंडया आयुर्वेद को पांचवां वेद माना गया हैं। वेदों के इस नित्य नूतन एवं चिर सनातन विज्ञान में गर्भ संस्कार का काफी महत्व बताया गया है। आचार्य चरक, आचार्य सुश्रुत आदि ऋषि-मुनियों ने इसका वैज्ञानिक प्रतिपादन भी किया है। सभी आचार्यों ने अपनी संहिताओं के शारीरस्थान में इस विषय का विस्तृत वर्णन […]