पंकज चतुर्वेदी भले ही तीन कृषि कानून वापस होने के बाद किसान घर लौट गये हों लेकिन गंभीरता से विचार करें तो भारत की अर्थ नीति का आधार खेती-किसानी ही खतरे में है। यह संकट इतना गहरा है कि कहीं देश की बढ़ती आबादी के लिए पेट भरना एक नया संकट ना बन जाए। आजादी […]
Author: उगता भारत ब्यूरो
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लोथल के एक वैदिक शहर होने के प्रमाण
माईकल ए क्रेमो मेरी मुख्य रूचि मनुष्य के प्राचीनकालीन निवास के पुरातात्विक प्रमाणों को जानने की रही है किन्तु मैं अन्य बातों को भी जानना चाहता हूं। उनमें से एक है भारत की वैदिक संस्कृति का इतिहास। वैदिक संस्कृति से मेरा अभिप्राय उस सभ्यता से है जो वेदों पर आधारित है। जिनमें संस्कृत की मूल […]
हेमंत कुमार पाण्डेय चौंकाने या सम्मोहित करने के अलावा ऐतिहासिक राजनिवासों की यह विशेषता होती है कि वे आप को अतीत में ले जाकर खुद से आपकी जान-पहचान करवाते हैं. ऐसा ही कुछ पश्चिम बंगाल के कूचबिहार में स्थित राजबाड़ी की गोद में आकर आप महसूस कर सकते हैं. ब्रिटेन स्थित बकिंघम पैलेस की डिजाइन […]
अनुराग शुक्ला खुफिया रिपोर्टों के मुताबिक पुलवामा हमले से करीब एक साल पहले हुई जैश-ए-मोहम्मद की बैठक में भारत के खिलाफ गजवा-ए-हिंद जारी रखने का फैसला किया गया था पुलवामा हमले के बाद चरम पर पहुंचा भारत-पाकिस्तान तनाव विंग कमांडर अभिनंदन की रिहाई के बाद से घटता लग रहा है. लेकिन यह बात अभी भी […]
सृष्टि का सबसे सुंदर शब्द है मां
डाॅ. कृष्णगोपाल मिश्र माँ शब्दकोश का ही नहीं अपितु जीवन के वाड्मय का भी सबसे प्यारा शब्द है। शिशु के मुख से सबसे पहले यही एकाक्षरी शब्द फूटता है। यद्यपि माँ के अतिरिक्त माता, माई, अम्मा, जननी, मैया आदि कितने ही शब्द इस अर्थ में प्राप्त होते हैं, किंतु माँ शब्द में जो महिमा है […]
उगता भारत ब्यूरो आल्प्स पर्वतों की गोद में बसा बवेरिया जर्मनी का सबसे दक्षिणवर्ती राज्य है।उसके ऊंचे-ऊंचे पर्वतों और हरी-भरी रमणीय घाटियों के बीच बहुत-सी मनोरम झीलें भी हैं। उन्हीं में से एक है, मात्र 10 हज़ार की जनसंख्या वाले शहर टुत्सिंगन से सटी स्टार्नबेर्गर झील।शहर की इसी झील के तट पर, झाड़ियों वाले एक […]
17 दिसम्बर 1927 को गोण्डा के जिला कारागार में अपने साथियों से दो दिन पहले उन्हें फाँसी दे दी गयी। पठन पाठन की अत्यधिक रूचि तथा बाँग्ला साहित्य के प्रति स्वाभाविक प्रेम के कारण लाहिड़ी अपने भाइयों के साथ मिलकर अपनी माता की स्मृति में बसंतकुमारी नाम का एक पारिवारिक पुस्तकालय स्थापित कर लिया था। […]
संदीप सृजन भारतीय लोक परंपरा के जनकवियों में संत कबीर का नाम सबसे अग्रणी है । कबीर गृहस्थ संत थे, भक्त थे ,कवि थे जीवन चर्या के लिए जुलाहे थे । पर इन सबसे अलग वे चिंतक थे, स्पस्टवादी थे ,युग दृष्टा थे और तर्क की कसौटी पर हर बात को कसने वाले थे । […]
प्रधानमंत्री मोदी : शून्य से शिखर तक
भवदीप कांग कुछ लोग नरेंद्र मोदी से प्यार करते हैं तो कुछ लोग नफरत। कुछ उनसे सहमत है तो कुछ असहमत। कुछ उनके विचारों को साझा करते हैं तो कुछ नकार देते हैं। इन सबके बावजूद उनके आलोचक भी उनके उद्देश्य की ताकत, दृढ़ विश्वास, मेहनत और साहस के लिए उन्हें स्वीकार करते हैं। इन्हीं […]
गांधी गॉडसे के बीच की खाई
उगता भारत ब्यूरो नाथूराम गोडसे के नाम और उनके एक काम के अतिरिक्त लोग उन के बारे में कुछ नहीं जानते। एक लोकतांत्रिक देश में यह कुछ रहस्यमय बात है। रहस्य का आरंभ 8 नवंबर 1948 को ही हो गया था, जब गाँधीजी की हत्या के लिए चले मुकदमे में गोडसे द्वारा दिए गए बयान […]