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भयानक राजनीतिक षडयंत्र

आर्य और द्रविड़ के अस्तित्व का भ्रामक जाल

श्रीमत् स्वामी समर्पणानन्दजी सरस्वती देश के गृहमंत्री अमित शाह जी ने हिंदी भाषा को राष्ट्रीय भाषा बनाने के लिए आग्रह किया। गृहमंत्री जी का कहना था कि हिंदी को अंग्रेजी के स्थान पर प्राथमिकता देनी चाहिए। उनके इस बयान में कुछ भी गलत नहीं था। – भारत में फूट के लिए सबसे अधिक उत्तरदाता विदेशी […]

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इतिहास के पन्नों से

हिंदू और सिख समाज की एकता की मिसाल थे गुरु तेग बहादुर

डॉ. राजेन्द्र साहिल 21 अप्रैल को 400वें प्रकाश पर्व पर विशेष.. डॉ. राजेन्द्र साहिल संसार को ऐसे बलिदानियों से प्रेरणा मिलती है, जिन्होंने जान तो दे दी, परंतु सत्य का त्याग नहीं किया। नवम पातशाह श्री गुरु तेग बहादुर जी भी ऐसे ही बलिदानी थे। गुरु जी ने स्वयं के लिए नहीं, बल्कि दूसरों के […]

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आज का चिंतन

यजुर्वेद में यज्ञ की महिमा

            श्री सायण, उव्वट, महीधर ने जिस प्रकार वेदों के अश्लील परक अर्थ किए। उससे ईश्वरीय वाणी के रूप में स्थापित रहे वेदों की महिमा का बहुत अधिक हनन हुआ। इन अश्लील परक अर्थों को पकड़कर दूसरे मत, पंथ व संप्रदायों के लोगों ने हमारे पवित्र धर्म ग्रंथों का उपहास […]

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आज का चिंतन

देव पूजा, संगतिकरण और दान

यज्ञ में देव पूजा संगतिकरण और दान का विधान है। देव पूजा जहां ब्राह्मण वर्ण से संबंधित है, वहीं संगतिकरण क्षत्रिय वर्ण से और दान वैश्य वर्ण के लोगों से संबंधित है। देव पूजा ज्ञान प्रधान होने से ब्राह्मण वर्ण पर यह कार्य आरोपित करती है कि उन्हें समाज से अज्ञान नाम के शत्रु को […]

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भारतीय संस्कृति

वेदों के पारायण यज्ञ से राष्ट्र यज्ञ की ओर

आर्य जाति की अधोगति और आर्य समाज के सिकुड़ने के क्या कारण हैं ? जाति वही जीवित रहती है जो अपनी रक्षा स्वयं कर सकती है। जाति वही सुरक्षित है जिसमें बुद्धि भी है और बल भी है । बल और बुद्धि का सम्मिश्रण केवल मनुष्य जाति ही नहीं प्रत्युत प्रत्येक प्राणी के जीवित रहने […]

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धर्म-अध्यात्म

कोई भी चोर, पापी कभी उत्पन्न न हो

उत्तम कर्म की सिद्धि के लिए ईश्वर की प्रार्थना अवश्य करनी चाहिए । ईश्वर का सानिध्य और सामीप्य प्राप्त करने से हमें असीम आनंद की अनुभूति होती है। धीरे धीरे जैसे-जैसे अभ्यास बढ़ता जाता है वैसे वैसे उस अतुलित आनंद की अनुभूति हमें अपने साथ बांधने लगती है। उत्तम कर्म की सिद्धि के लिए ईश्वर […]

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भारतीय संस्कृति

शरीर अन्त में भस्म होने वाला होता है

परमपिता परमेश्वर की असीम अनुकंपा से हमें यह मानव का चोला मिला है ।जो लोग इस चोले को पाकर इतराते हैं और इसका दुरुपयोग करते हैं वे अंत में पछताते हैं । अच्छी बात यही है कि हम संसार से जाने से पहले सावधान हो जाएं। यजुर्वेद के इस मंत्र में ऐसी ही चेतावनी मनुष्य […]

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धर्म-अध्यात्म

प्राचीन अरब का समाज और भारत के वेद

प्राचीन अरबी काव्य-संग्रह ‘शायर-उल्-ओकुल’ में एक महत्त्वपूर्ण कविता है। इस कविता का रचयिता ‘लबी-बिन-ए-अख़्तर-बिन-ए-तुर्फा’ है। यह मुहम्मद साहब से लगभग 2300 वर्ष पूर्व (18वीं शती ई.पू.) हुआ था । इतने लम्बे समय पूर्व भी लबी ने वेदों की अनूठी काव्यमय प्रशंसा की है तथा प्रत्येक वेद का अलग-अलग नामोच्चार किया है— ‘अया मुबारेक़ल अरज़ युशैये […]

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इतिहास के पन्नों से

ओडिशा के लौहपुरुषः स्वर्गीय बीजू पटनायक

अशोक पाण्डेय ओडिशा के लौहपुरुषः स्वर्गीय बीजू पटनायक की अंतिम इच्छा थी कि 21वीं सदी में ओडिशा की जिम्मेदारी स्वेच्छापूर्वक ओडिशा के वैसे युवा-युवती संभालें जिनके मन में ओडिशा को विकासशील से विकसित बनाने का जजबा हो।उनके मन में ओडिशा के गौरवशाली इतिहास को बचाये रखने की दृढ इच्छाशक्ति हो।बीजू बाबू को आजीवन ओडिशा के […]

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गौ और गोवंश

गोरक्षण एवं गोसंवर्धन-समिति के गौरक्षण हेतु दिए गए सुझाव

जब 15अगस्त 1947 को देश की स्वतंत्रता की घोषणा का निश्चय हुआ, तब देश की जनता की और से इस स्वतंत्रता के साथ ही ‘गोहत्या-निषेध ‘ का उल्लेख करने की माँग की गयी । 8 अगस्त 1947 को श्री नेहरू जी से इस सन्दर्भ में एक शिष्टमंडल भी मिला । नेहरू जी ने इस घोषणा […]

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