जेहाद से निपटने का 👉मन्त्र👈 पंडित लीलाधर चौबे की जबान में जादू था। जिस वक्त वह मंच पर खड़े हो कर अपनी वाणी की सुधावृष्टि करने लगते थे; श्रोताओं की आत्माएँ तृप्त हो जाती थीं, लोगों पर अनुराग का नशा छा जाता था। गरमी के दिन थे। लीलाधर जी किसी शीतल पार्वत्य प्रदेश को जाने […]
Author: उगता भारत ब्यूरो
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वैदिक धर्म की सार्वभौमिकता
वैदिक धर्म की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि या विश्व का प्रथम धर्म होने के साथ केवल मनुष्यों की नहीं बल्कि प्राणी मात्र के कल्याण कामना चाहता है , वेद और गीता इस बात की पुष्टि करते है , उदहारण के लिए , शं नो अस्तु द्विपदे शं चतुष्पदे ” यजुर्वेद 36:8 दो पैर […]
आनंद स्त्रोत बह रहा, पर तू उदास है। अचरज है जल में रहकर भी मछली को प्यास है। फुलों में ज्यों सुवास ईख में मिठास है, भगवन् का त्यों विश्व के कण कण में वास है।। 1।। टुक ज्ञान चक्षु खोल के तू देख तो सही, जिसको तू ढूंढता है, सदा तेरे पास है।। 2।। […]
क्या महर्षि मनु जातिवाद के पोषक थे? मनुस्मृति जो सृष्टि में नीति और धर्म (कानून) का निर्धारण करने वाला सबसे पहला ग्रंथ माना गया है उस को घोर जाति प्रथा को बढ़ावा देने वाला भी बताया जा रहा है। आज स्थिति यह है कि मनुस्मृति वैदिक संस्कृति की सबसे अधिक विवादित पुस्तक बना दी गई […]
कई हाऊसिंग सोसायटियों के परिसरों में खुले स्थानों पर बड़ी संख्या में कबूतर घूमते हैं और गंदगी फैलाते हैं। बिल्डिंग के कुछ लोग उन्हें खाना खिलाकर प्रोत्साहित करते हैं। देश में सबसे आम पक्षियों में सबसे पहले कबूतर और उसके बाद कौवा आता है। इसका कारण भोजन और शहरीकरण की प्रचुरता और आसान उपलब्धता […]
आलोचना और निंदा का भेद
आलोचना और निंदा का भेद जरा बारीक है और समझ में न आये तो भूल हो सकती है। आलोचना तो बुद्ध ने भी की, महावीर ने भी की। आलोचना तो क्राइस्ट ने भी की, मुहम्मद ने भी की। ऐसा कोई सदगुरु नहीं हुआ पृथ्वी पर जिसने आलोचना न की हो। भेद क्या है? आलोचना और […]
लेखक- अरुण लवानिया चेन्नई की झुग्गी-झोपड़ी में एक दलित परिवार में जन्मे और वहीं पचीस वर्ष बिताने वाले ऐम वेंकटेशन एक आस्थावान हिंदू हैं। उन्होंने चेन्नई के विवेकानन्द महाविद्यालय से दर्शन शास्त्र में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की है। जब वेंकटेशन ने महाविद्यालय में प्रवेश लिया तो उनके कथनानुसार उन्हें प्रतिदिन पेरियारवादियों के एक ही कथन […]
कहां है दशानन रावण की लंका ?
प्रमोद भार्गव विरोधाभास और मतभिन्नता भारतीय संस्कृति के मूल में रहे हैं। यही इसकी विशेषता भी है और कमजोरी भी। विशेषता इसलिए कि इन कालखंडों के रचनाकारों ने काल और व्यक्ति की सीमा से परे बस शाश्वत अनुभवों के रूप में अभिव्यक्त किया है। इसीलिए वर्तमान विद्वान रामायण और महाभारत के घटनाक्रमों, नायको और […]
संजय सक्सेना आज 18 जुलाई है। वैसे तो यह दिन और दिनों के जैसा ही सामान्य है,लेकिन भारत के इतिहास में आज का दिन काफी महत्व रखता है,क्योंकि आज ही के दिन 18 जुलाई 1947 को अंग्रेजोें ने टू नेशन थ्योरी पर मोहर लगाई थी,जिसका उस समय के कुछ कांग्रेसियों ने विरोध […]
एनआर/एके (डीपीए) 1947 में भारत के बंटवारे का दंश सबसे ज्यादा महिलाओं ने झेला।अनुमान है कि इस दौरान 75 हजार से एक लाख महिलाओं का अपहरण हत्या और बलात्कार के लिए हुआ। जबरन शादी, गुलामी और जख्म ये सब बंटवारे में औरतों को हिस्से आया। 1947 और 1948 के बीच सरला दत्ता को एक पाकिस्तानी […]