अमृत महोत्सव लेखमाला सशस्त्र क्रांति के स्वर्णिम पृष्ठ — भाग-4 – नरेन्द्र सहगल – स्वधर्म और स्वराज के लिए 1857 में हुए देशव्यापी स्वतंत्रता संग्राम के बाद स्वतंत्र भारतीय गणतंत्र की स्थापना के लिए वासुदेव बलवंत फड़के द्वारा की गई सशस्त्र बगावत ने भारतीयों को अंग्रेजी शासकों के विरुद्ध हथियार उठाकर संघर्ष करने की ना […]
Author: उगता भारत ब्यूरो
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माता-पिता बच्चों के लालन-पालन में अनेक प्रकार के कष्ट उठाते हैं। यदि बच्चा अस्वस्थ या बीमार पड़ जाता है , तो माता – पिता ईश्वर की प्रार्थना करते हुए रातों को जागते हैं और अस्पताल में डाक्टरों या हकीमों का चक्कर लगा – लगा कर थक जाते हैं , तब कहीं जाकर बच्चे को स्वस्थ […]
उगता भारत ब्यूरो रक्षा बंधन, ये शब्द सुनते ही भाई और बहन का वो पवित्र रिश्ता आँखों के दिखना शुरू हो जाता है जो एक धागे से बंधा होता है। इस दिन श्रावण मास की पूर्णमासी को ये धागा एक बहिन द्वारा अपने भाई की कलाई में बाँध कर भाई से अपनी रक्षा का वचन […]
भारत की विडंबना ही तो है जो हिन्दुओ की हत्याओं पर राजनेताओ को मौन धारण करवा देती है। नाथूराम गोडसे एवं गांधी जी के नाम पर आज तक धार्मिक तुष्टिकरण की राजनीति की जा रही है। गांधी जी की हत्या को आज तक देश रो रहा है पर उन हिन्दुओ की हत्याओं को रोने वाला […]
– नरेन्द्र सहगल – इतिहास साक्षी है जहाँ एक ओर हमारे देश में राष्ट्र समर्पित संत-महात्मा, वीरव्रती सेनानायक, देशभक्त सुधारवादी महापुरुष एवं कुशल राजनेता हुए हैं, वहीं दूसरी ओर देश-हित को नकारकर मात्र अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए शत्रुओं का साथ देने वाले देशद्रोहियों और गद्दारों की भी कमी नहीं रही। इन्हीं गद्दारों की […]
उगता भारत ब्यूरो 15 अगस्त 1947 का वो दिन जब देश एक तरफ आजादी का जश्न मना रहा था तो वहीं दूसरी तरफ दर्दनाक नजारे दिल को दहला रहे थे।अंग्रेज सत्ता ने भारत को आजादी की खुशियां भी बंटवारे की बहुत बड़ी कीमत चुकाकर सौंपी थीं। 14 अगस्त को भारत और पाकिस्तान दो हिस्सों में […]
उगता भारत ब्यूरो भारत का विभाजन-14-15 अगस्त, 1947 को एक नहीं बल्कि दो राष्ट्र भारत और पाकिस्तान अस्तित्व में आए। भारत और पाकिस्तान का विभाजन दर्दनाक था तथा इस पर फैसला करना और अमल में लाना और भी कठिन था। विभाजन के कारण– ⦁ मुस्लिम लीग ने ‘द्वि-राष्ट्र सिद्धान्त’ की बात की थी। इसी कारण […]
हम यह भूल जाते हैं कि पानी के बिना वे सब बेकार हैं। हम अपनी जरूरत से ज्यादा पानी का इस्तेमाल करते रहते हैं। कम से कम हममें से हर व्यक्ति अपने घरों और कार्यस्थलों में पानी का उचित इस्तेमाल तो कर ही सकता है। कई बार ऐसा देखा जाता है कि सड़क किनारे लगे […]
मानसिक गुलामी के 164 साल
2 अगस्त 1858 को हम भारतीय इंग्लैंड की रानी के गुलाम हुए। 15 अगस्त की ट्रांसफर ऑफ पावर को हम धूमधाम से मनाते हैं परन्तु 2 अगस्त की ट्रांसफर ऑफ पावर को हम भुला देना चाहते हैं। कही इस का कोई जिक्र ही नहीं होता। बस अंतर इतना है कि पहली में सत्ता भारतीयों से […]
#वनराज स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व से ही ईसाई मिशनरियों ने गोंड जाति का विशेष अध्ययन करने के प्रयत्न किये। सर्वप्रथम 1842 में जर्मनी से चार ईसाई धर्म प्रचारक (पादरी) मंडला आये और उन्होंने अमरकंटक के पास #करंजिया गाँव में अपना क्षेत्र बनाया, परन्तु जलवायु अनुकूल न होने से प्राकृतिक प्रकोप के कारण चारों की मृत्यु […]